पहली गुरु हमारी ‘मां’ 

गुरु पूर्णिमा विशेष

by teenasharma
पहली गुरु हमारी ‘मां’

पहली गुरु हमारी ‘मां’ 

‘गुरु पूर्णिमा’ विशेष में कहानी का कोना में पढ़िए लेखिका कल्पना गोयल द्वारा लिखा गया लेख। शीर्षक हैं पहली गुरु हमारी ‘मां’……। 

संसार में आने के साथ ही हमारी पहली गुरु हमारी मां ही होती है,वही हमें संसार(जगत) के हर दृश्य से परिचित कराती है, हर रिश्ते से जोड़ती है और अच्छे-बुरे कर्म के भान के साथ कदम-दर-कदम चलना सिखाती है।

मां ही हमारा प्रथम विद्यालय होती है,मां ही वह शक्ति है जो बच्चे का समग्र रूप से कल्याण चाहती है। मां की शुभ भावना ही हमारा मार्गदर्शन करती है जिस तरह कुम्हार घट का निर्माण करता है। चाक पर उसको रूप देकर उसे मजबूत बनाने हेतु बाहर से चोट तो देता है, मगर भीतरी सतह पर सहारा रूप में अपना हाथ लगाए रखता है।

पहली गुरु हमारी ‘मां'

कल्पना गोयल

गुरु भी वही करता है बाहरी जगत से अवगत कराते हुए हमारी भीतरी शक्ति को भी आधार देता रहता है। गुरु हमें जीवन मंत्र और शक्ति प्रदान करता है, नित्य पाठ पढ़ाने के साथ अभ्यास पर जोर देता है ताकि सफलता तय हो सके। गुरु साधक होता है हर विपत्ति का उन्हें पूर्व में आभास हो जाता है और सूक्ष्म रूप में वह हमें भी उसका भान करा देते हैं।

गुरु को ब्रह्मा, विष्णु और महेश का स्वरूप कहा गया है।
गुरु रचयिता भी है पालक भी और संहारक भी। हमारी सृष्टि में गुरु के सानिध्य में ही हमारे पौराणिक पात्र प्रशिक्षित हुए हैं, यह परंपरा काफी प्राचीन है।

अब इसका स्वरूप परिवर्तित हो गया है गुरुकुल की जगह विद्यालयों ने ले ली है शिक्षण-प्रणाली भी बदल गई है, गुरु वर्ग का स्तर भी कहीं न्यून होता दिख रहा है। वर्तमान समाज में दृष्टिगत विसंगति भी इसका मूल कारण है। वैचारिक समता क्षीण हो रही है और प्रमुख रूप में चिंतन- मनन का अभाव होने से परिणाम भी नकारात्मक दिख रहे हैं।

गुरु के प्रति श्रद्धा भाव कम हो रहा है, इसमें कहीं ना कहीं हमारा ऑनलाइन ज्ञान भी अहम स्थान रखता है। हमने पौराणिक संदर्भों को हमारे अनुसार परिवर्तित किया है,इससे हमारे मूल्य गिर गए हैं।गुरु से ज्ञान लेने का वह भाव ना जाने कहां विलुप्त हो रहा है।

हर चीज सस्ते दर पर उपलब्ध हो रही है, मेहनत करने की जरूरत अब ना के बराबर हो गई है। गुरु महत्व कम होने से हमारी संस्कृति समाप्त हो जाएगी इसका संभवत हम अंदाजा भी नहीं लगा पा रहे हैं ।

गुरु हमें गढ़ता ही नहीं, अपितु जीवन को संस्कारों का बाना पहनाकर सजाता-संवारता भी है।गुरु परंपरा ने ही हमारे इतिहास रचे हैं और अपनी जान की कुर्बानी देकर भी वचन निभाने की रीति का निर्वहन किया है।

गुरु का जीवन में होना अति आवश्यक है जिस तरह बिना लगाम का घोड़ा स्वतंत्र यहां-वहां विचरण करता है ठीक उसी तरह बिना गुरु के हमारा जीवन एक दिशा प्राप्त नहीं कर सकता है। उचित मार्ग निर्देशन हेतु हमें गुरु का आधार अति आवश्यक है।

गुरु के द्वारा दी गई मंत्र दीक्षा का अगर अक्षरश: पालन किया जाता है तो ईश कृपा से सफलता का मापदंड भी उच्च स्तर का ही होता है।

गुरु मेरा जीवन आधार है
वही तो मूल,वही सार है
हर पल दे रहा आस मुझे,
वही नवल प्रकाश है!!

   आइए! हम सभी बचपन से लेकर आज तक हमारे जीवन पथ में,चरित्र निर्माण में सहायक बने सभी श्रेष्ठ एवं पूज्य जनों का वंदन करते हैं, उन्हें स्मरण करते हैं और साथ ही उन्हें नत मस्तक कर अपने कर्तव्य का निर्वहन करते हैं। किसी से भी प्राप्त आशीष का अगर हम आभार व्यक्त करते हैं और उसके प्रति कृतज्ञ होते हैं तो ईश्वर भी हमारा हर कदम पर साथ देते हैं।

गुरु की असीम शक्तियों को जान पाना तो असंभव है ही, मगर उन्हें सोच पाना भी इस मानव की सहज सोच में सरल नहीं है,ऐसा मेरा मानना है। हमारे वैदिक शास्त्रों, ग्रंथों और महा पुराणों में गुरु की महत्ता का विस्तृत वर्णन है।

गुरु वरदान देते हैं तो श्राप भी। महाकवि कालिदास द्वारा रचित शाकुंतलम में हम सभी के द्वारा पढ़ा गया है कि ऋषि दुर्वासा ने विस्मृति का श्राप दिया तो रामायण में गुरु द्रोणाचार्य श्री रामचंद्र के गुरु हुए, द्वापर युग के प्रणेता श्री कृष्ण ऋषि संदीपन के आश्रम में पढ़े।

कहने का तात्पर्य यही है कि गुरु जीवन का मूल है,तत्व वेत्ता है और जीवन रूपी घट का निर्माण करने वाले हैं। गुरु पूर्णिमा के दिन संपूर्ण जगत इनकी वंदना करता है। सभी अपने गुरुजनों के पास मीलों दूर भी दर्शनार्थ जाते हैं और आशीष प्राप्त करते हैं जीवन का उत्थान करते हैं।

कल्पना गोयल,जयपुर

 

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2 comments

Kalpana goyal July 4, 2023 - 4:39 am

बहुत आभार टीना जी

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teenasharma July 17, 2023 - 3:27 am

ji thankyu

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नमस्कार,

   ‘कहानी का कोना’ में आप सभी का स्वागत हैं। ये ‘कोना’ आपका अपना ‘कोना’ है। इसमें कभी आप ख़ुद की कहानी को पाएंगे तो कभी अपनों की…। यह कहानियां कभी आपको रुलाएगी तो कभी हंसाएगी…। कभी गुदगुदाएगी तो कभी आपको ज़िंदगी के संघर्षों से लड़ने का हौंसला भी देगी। यदि आप भी कहानी, कविता व अन्य किसी विधा में लिखते हैं तो अवश्य ही लिख भेजिए। 

 

टीना शर्मा ‘माधवी’

(फाउंडर) कहानी का कोना(kahanikakona.com ) 

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