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गर लफ़्ज़ों की दहलीज होती, तो स्त्रियों सी जुबां पर तहजीब होती, जुबां की बंदिशों पर समाज बन बैठता प्रहरी। न छिड़ती स्वर लहरी, न …
‘कहानी का कोना’ में आज पढ़िए लेखिका, कवियित्री निरुपमा चतुर्वेदी ‘रूपम’ की लिखी कविता ‘गूंगी कविता’…। ‘मौन की चीत्कार’ से जन्मी ‘गूंगी कविता’ स्त्री मन …
नमस्कार,
‘कहानी का कोना’ में आप सभी का स्वागत हैं। ये ‘कोना’ आपका अपना ‘कोना’ है। इसमें कभी आप ख़ुद की कहानी को पाएंगे तो कभी अपनों की…। यह कहानियां कभी आपको रुलाएगी तो कभी हंसाएगी…। कभी गुदगुदाएगी तो कभी आपको ज़िंदगी के संघर्षों से लड़ने का हौंसला भी देगी। यदि आप भी कहानी, कविता व अन्य किसी विधा में लिखते हैं तो अवश्य ही लिख भेजिए।
टीना शर्मा ‘माधवी’
(फाउंडर) कहानी का कोना(kahanikakona.com )
kahanikakona@gmail.com