जगन्नाथ मंदिर में ‘चंदन यात्रा’ उत्सव

ओडिशा जगन्नाथ

by teenasharma
जगन्नाथ मंदिर में 'चंदन यात्रा' उत्सव

जगन्नाथ मंदिर: चंदन यात्रा उत्सव

  • भगवान जगन्नाथ को लगाया विशेष चंदन
  • कर्नाटक के मैसूर व ओडिशा के कोरापुट से आता है चंदन
  • कर्नाटक के मैसूर व ओडिशा के कोरापुट में तैयार होता है चंदन
  • पीढ़ियों से चंदन बना रहे ‘घटुआरी’ नामक सेवक

ओडिशा, पुरी के जगन्नाथ मंदिर में ‘चंदन यात्रा’ उत्सव की शुरुआत भगवान को चंदन लगाकर की गई। ये उत्सव 42 दिनों तक चलेगा। जिसे प्रतिवर्ष दो भागों में 21—21 दिनों तक मनाया जाता है। उत्सव का पहला भाग ‘बहार चंदना’ है जो अक्षय तृतीया से शुरु होता है। जिसी बेहद हर्षोउल्लास के साथ मनाया जाता हैं। 

जगन्नाथ मंदिर में 'चंदन यात्रा' उत्सव

भगवान जगन्नाथ

वहीं भितर चंदना दूसरे भाग के रुप में अगले 21 में मनाया जाता है। चंदना यात्रा को ‘गंधलेपना’ यात्रा भी कहा जाता है। यह यात्रा भारत में मनाए जाने वाले विभिन्न उत्सवों में सबसे लंबा उत्सव है। खास बात ये है कि जगन्नाथ के लिए कर्नाटक के मैसूर और ओडिशा के कोरापुट में ये विशेष चंदन तैयार किया जाता है। जिसे ‘घटुआरी’ नामक सेवक बनाते हैं। जो पीढ़ियों से जगन्नाथ जी के लिए चंदन बनाने का कार्य करते आ रहे हैं।

ऐसा माना जाता है कि मानव की तरह ही भगवान जगन्नाथ को भी गर्मी लगती है। इसलिए चंदन यात्रा उत्सव के तहत उन्हें चंदन लगाने के साथ ही जलक्रीड़ा करवाई जाती है।

ताकि उन्हें शीतलता मिल सके। जलक्रीड़ा के लिए जगन्नाथ के साथ विमान पर मदन मोहन, भू देवी, श्री देवी, पंच महादेव तथा पालकी में अष्टधातु से निर्मित राम—कृष्ण भी जाते हैं।

जगन्नाथ मंदिर में 'चंदन यात्रा' उत्सव

जगन्नाथ मंदिर

इतना ही नहीं पूरे 21 दिनों तक जगन्नाथ जी को अलग—अलग वेशभूषा पहनाई जाती है। भगवान जगन्नाथ सुंदर, आकर्षक और अपने मनोहारी रुप में भक्तों को दर्शन देते हैं।

वहीं ‘केली’ और ‘मांडुअ’ दो विशेष प्रकार का भोग भी बनाया जाता है। जो बाद में प्रसादी के रुप में भक्तों में बंटता है।

राम मंदिर प्राण-प्रतिष्ठा

राम मंदिर प्राण-प्रतिष्ठा

राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा

राम मंदिर प्राण-प्रतिष्ठा

हरियाली अमावस्या

 

 

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