रक्षाबंधन: बचपन का झगड़ा एक प्रेम

रक्षाबंधन संस्मरण

by teenasharma
रक्षाबंधन: बचपन का झगड़ा एक प्रेम

रक्षाबंधन: बचपन का झगड़ा एक प्रेम

बचपन में, मैं और मेरा छोटा भाई क्षमेंद बहुत ज्यादा झगड़ते थे। इतना कि, हम कुछ दिनों तक तो एक—दूसरे से बोलना बंद कर देते। रक्षाबंधन: बचपन का झगड़ा एक प्रेम शीर्षक से राखी स्पेशल में पढ़िए तारावती सैनी ” नीरज ” का लिखा हुआ एक संस्मरण। 

एक बार हम दोनों में लड़ाई हुई तो उसने मेरे सारे चप्पल—जूते नाली में फेंक दिए और फिर न वो लेने गया न मैं। वो सारे चप्पल—जूते कई घंटों तक ऐसे ही बाहर नाली में पड़े रहे। बस मैं उन पर नजर रखे थी। कोई ले न जाए और फिर वह सारे चप्पल—जूते मेरे बाबूजी उठाकर लेकर आए। 

मैंने भी गुस्से में आकर उसके सारे प्रेस किए कपड़े बाथरूम में डाल कर उन पर पानी डाल दिया और उन पर कूद कूदकर गंदा भी कर दिया।

रक्षाबंधन: बचपन का झगड़ा एक प्रेम

रक्षा बंधन

मेरा भाई बोलता अरे! इसकी शादी कर दो।
ये यहां से चली जाए तो मुझे चैन मिले। दो पल सुकून भरी जिंदगी जिऊं। मैं भी कहती, शादी के बाद तू मेरे ससुराल आया तो तेरी खैर नहीं। मेरे पास कभी मत आना। बस एक रक्षाबंधन का ही दिन ऐसा था जब हम दोनों भाई—बहन लड़ते नहीं थे लेकिन जब मेरी शादी हुई तो वह सबसे ज्यादा रोया। उसने अपनी गोदी में उठाकर मुझे गाड़ी में बैठाया।

मैं जयपुर आ गई और उसके बाद से वह मेरे पास ही रहा। उसने अपनी पूरी पढ़ाई कंप्लीट की। मैंने उसके कपड़े धोए उनको प्रेस भी किया। उसकी हर इच्छा पूरी करने की कोशिश की। जिस भाई की मैं बात—बात पर शिकायत करती थी मैंने उसकी बहुत सी बातों को मम्मी बाबूजी से छुपाया।

उसकी बातों का कभी बुरा नहीं माना और मेरा भाई भी। मैं उसको जिस काम के लिए बोलती उसे तुरंत करता उसने कभी मुझे मना नहीं किया। बहुत बार जब मेरी तबीयत खराब हो जाती तो वही खाना बनाता।

आज मेरा भाई एक सिविल इंजनीयर है। अब हम ज्यादा नहीं मिल पाते हैं लेकिन वह आज भी मेरे साथ हर पल खड़ा रहता है। उसके लिए मुझे एक आवाज लगाने की भी जरूरत नहीं पड़ती।

शायद वो हमारे बीच की लड़ाइयां ही थी जिन्होंने हमें एक दूसरे की अच्छी—बुरी सारी बातों को याद रखवाया।

तारावती सैनी ” नीरज “

रक्षा बंधन गीत

राखी: रिश्ते का रिन्युअल

 

Related Posts

Leave a Comment

नमस्कार,

   ‘कहानी का कोना’ में आप सभी का स्वागत हैं। ये ‘कोना’ आपका अपना ‘कोना’ है। इसमें कभी आप ख़ुद की कहानी को पाएंगे तो कभी अपनों की…। यह कहानियां कभी आपको रुलाएगी तो कभी हंसाएगी…। कभी गुदगुदाएगी तो कभी आपको ज़िंदगी के संघर्षों से लड़ने का हौंसला भी देगी। यदि आप भी कहानी, कविता व अन्य किसी विधा में लिखते हैं तो अवश्य ही लिख भेजिए। 

 

टीना शर्मा ‘माधवी’

(फाउंडर) कहानी का कोना(kahanikakona.com ) 

kahanikakona@gmail.com

error: Content is protected !!