कविता दरवाज़े से जब

कवयित्री

by teenasharma
कविता—दरवाज़े से जब

कविता—दरवाज़े से जब

लेखक व साहित्यकार श्रेणी में आज पढ़िए कवयित्री अर्चना जैन की लिखी कविता दरवाज़े से जब….। कवयित्री की विभिन्न पत्र—पत्रिकाओं में रचनाएं प्रकाशित होती रही हैं।  इनका लिखा हुआ एक साझा काव्य संग्रह और एक एकल काव्य संग्रह ‘ पौनी सी ही चखी ज़िंदगी’ नाम से प्रकाशित हो चुका हैं। 

कविता

दरवाज़े से जब
अलसुबह सूरज की गुनगुनी धूप
दस्तक देती है ,

मेरे दिवास्वप्नों के ख्वाबगाह की
सभी खिड़कियाँ खुल जाती हैं…..
मन झाँकता है बाहर
इन खिड़कियों से
तो देखता है

कविता—दरवाज़े से जब

अर्चना जैन

दुनिया कितनी हसींन है
फूल है,पेड़ है

मेरे घर की मुंडेर पर
एक गुनगुनाती चिड़िया है….
छिपकली का पीछा करती
एक गिलहरी
और शिकार की तलाश में भटकती
एक बिल्ली है….

पार्क में टहलते कुछ लोग
आपस में बतियाती
कुछ बुढियाएँ हैं….

कुछ धार्मिक लोग
सूरज को जल चढ़ाते
और कुछ
बरगद की पूजा करती स्त्रियाँ हैं….

ये सब वो कर रहे हैं
जिनको करके वो खुश हैं….
इन सबको खुश देखकर

मन लौट आता है
ख्वाबगाह में,
और फिर रोज़
नए नए खवाब सजाता है….

ज़रूरी नही ये ख्वाब पूरे हो
ज़रूरी नहीं ये खुशियाँ हरपल हो
पर जैसे रात को छुप जाने के बाद
सूरज फिर निकल आता है

मन मेरा बावरा
रोज़ नए ख्वाब सजाता है….

 

लेखक
अर्चना जैन
जयपुर

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इसके लिए आप सभी से अपनी रचनाएं आमंत्रित हैं। चूंकि ‘कहानी का कोना’ आपका अपना ‘कोना’ है, इसीलिए आप सभी के लिए ये मंच खुला हैं। आप चाहे स्थापित लेखक व कवि हैं या फिर अभी—अभी ही आपने लिखना शुरु किया हैं।

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धन्यवाद
टीना शर्मा ‘माधवी’
(एडमिन)

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टीना शर्मा ‘माधवी’

(फाउंडर) कहानी का कोना(kahanikakona.com ) 

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