अपनी 'बात' पुस्तक परपुस्तक समीक्षा दीपिका पादुकोण-पुस्तक चर्चा झंझावात में चिड़िया by teenasharma March 21, 2023 written by teenasharma March 21, 2023 दीपिका पादुकोण-पुस्तक चर्चा अप्रतिम सौंदर्य की धनी दीपिका पादुकोण जब इस विज्ञापन में आई तो यूं ही नहीं ‘लिरिल’ साबुन की टिकिया से खुशबू आई होगी, ऐसे ही कुछ रोचक किस्सो को शब्दों में समेटे हुए है, लेखक प्रबोध कुमार गोविल की लिखी ये पुस्तक ‘झंझावात में चिड़िया’। झंझावात में चिड़िया दीपिका पादुकोण की कहानी लेखक—प्रबोध कुमार गोविल पुस्तक चर्चा—टीना शर्मा ‘माधवी’ अप्रतिम सौंदर्य की धनी दीपिका जब इस विज्ञापन में आई तो यूं ही नहीं ‘लिरिल’ साबुन की टिकिया से खुशबू आई होगी, कुछ तो बात होगी इस पारंपरिक भारतीय लुक वाली लड़की में जिसने सागर की उत्ताल पर थिरकर सबका ध्यान अपनी ओर खींच लिया था। ये बात कोई नई नहीं हैं जब ”दीपिका वर्सेज़ कॉन्ट्रोवर्सी” सुनने को मिलें। इससे पहले भी फ़िल्म ‘छपाक’ के विरोधी छींटे इस सुंदरी के चेहरे पर पड़ चुके हैं। भूल ये हुई कि, वे दिल्ली के जेएनयू विश्वविद्यालय परिसर में जा पहुंची थी। पुस्तक चर्चा अबके भूल ये हुई कि, वे फ़िल्म पठान में ‘भगवा यानी केसरिया’ रंग पहने हुए थिरक रही हैं…। दीपिका दुनिया के झंझावातों में फिर घिर गई हैं। पर यूं ही नहीं वे यहां तक डटी हुई हैं। आख़िरकार वे एक संजीदा,सरल और विनम्र पिता प्रकाश पादुकोण की बेटी हैं। जिन्हें बैडमिंटन कोर्ट पर ‘जेंटल टाइगर’ यानी ‘विनम्र सिंह’ नाम से पुकारा जाता था। ऐसे में शायद ये झंझावात भी दीपिका के इरादों को डगमगा नहीं पाएंगे। प्रबोध कुमार गोविल की लिखी पुस्तक ‘झंझावात में चिड़िया’ में पिता प्रकाश पादुकोण के बचपन से उनके बड़े होने और बैंडमिंटन खेल में सफलता की शीर्षतम रेंक हासिल करने तक की कहानी है तो, वहीं मां का अनुशासन, परिवार और पिता से विशेष लगाव रखते हुए अपनी ज़मीन तलाशती हुई दीपिका के ‘सपने’..’संघर्ष’..’हौंसलें’ और ‘ सफलता’ की वाहवाही के बीच कॉन्ट्रोवर्सी से मिली तकलीफ़ का दर्द और एक वक़्त अपनी गहरी रिलेशनशिप के ब्रेकअप के बाद अवसाद में चले जाने तक की सच्चाई भी हैं। इसी पुस्तक का एक बेहद ही रोचक वाकया है जो इस वक़्त सही एवं सटीक भी नज़र आता हैं। इकबारगी फ्रांस देश की गरिमा से खासी प्रभावित दीपिका ने दर्शकों में तमाम रंगीनियां बिखेर कर भी सफ़ेद और पीले रंग को अपनी ख़ास पसंद बताया था…। इसके बाद ये भी चर्चा होने लगी कि दीपिका को सर्वश्रेष्ठ, सबसे बेहतर और सबसे उम्दा से ही प्यार हैं…। पुस्तक चर्चा शायद, ‘पद्मावत’, ‘गोलियों की रासलीला राम-लीला’, ‘पीकू’, ‘चेन्नई एक्सप्रेस’, ‘बाजीराव मस्तानी’ इसका एक सफल उदाहरण है, जिसने दीपका को झंझावातों के बावजूद एक सफल अभिनेत्री का औहदा भी दिलाया। इसकी परिणति, स्क्रीन अवॉर्ड, फ़िल्म फ़ेयर अवॉर्ड, सेक्सीएस्ट वूमन और बेस्ट एक्ट्रेस का आइफा अवॉर्ड और इससे बढ़कर जीवनसाथी रणवीर सिंह हैं। शुरु से ही दीपिका की कद—काठी, लंबी—छरहरी काया ये भरोसा दिला रही थी कि, ये रुप लावण्य खेल में पसीना बहाने के लिए नहीं बल्कि अपनी चमक से एक नया आसमान रोशन करने में ख़ुश रहेगी। प्रबोध कुमार गोविल ‘ओम शांति ओम’ में जब शाहरुख खान के साथ पर्दे पर नज़र आई तभी विशेषज्ञ उन्हें ‘लेडी ऑन द स्क्रीन’ मानने लगे थे। दीपिका की चर्चा नामचीन अभिनेत्रियों काजोल, प्रियंका चोपड़ा, विद्या बालन और ऐश्वर्या की तरह होने लगी। बहरहाल, ‘पठान’ तक का सफ़र और बेशर्म रंग के ‘छींटों’ के बीच ये पुस्तक एक सूत्र हैं जो, पाठकों को दीपिका के ‘वास्तविक रंग’ से मिलवाती हैं। कुछ अन्य रचनाएं पढ़ने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें— शाहरुख मुसलमान इसलिए विरोध ‘इकिगाई’ मिलकर काम करें ‘लेखक—प्रकाशक’ फेसबुक दोस्त कॉमन मैन— ‘हुकमचंद’ गाइड book reviewdeepika paadukonpathanदीपिका पादुकोणप्रबोध कुमार गोविलशाहरुख खान 0 comment 0 FacebookTwitterPinterestEmail teenasharma previous post प्यार के रंग next post अपनत्व Related Posts ‘इकिगाई’ May 20, 2022 Leave a Comment Cancel Reply Save my name, email, and website in this browser for the next time I comment.