कला/संस्कृतिसम सामयिकस्लाइडर कौन हैं खूनी नागा प्रयागराज महाकुंभ-2025 by teenasharma December 31, 2024 written by teenasharma December 31, 2024 कौन हैं खूनी नागा नागा साधुओं का सबसे गुस्सैल और भयानक रुप हैं ”खूनी नागा”…। अब प्रश्न उठता है आखिर कौन हैं खूनी नागा…। ये रुप इतना भयानक होता है कि साधारण मनुष्य इनके समीप जाना तो दूर इन्हें देखकर ही कांप उठता हैं। ————————————— आपने नागा साधु और उनकी रहस्यमयी दुनिया के बारे में तो सुना होगा। पर क्या आप नागा साधुओं के अलग—अलग रुप और व्यवहार के बारे में जानते हैं। शायद नहीं। पर आपको ये जानकर बहुत हैरानी होगी कि नागा साधुओं का सबसे गुस्सैल और भयानक रुप हैं ”खूनी नागा”…। ये रुप इतना भयानक होता है कि साधारण मनुष्य इनके समीप जाना तो दूर इन्हें देखकर ही कांप उठता हैं। कौन हैं खूनी नागा असल में खूनी नागाओं की दुनिया बड़ी रहस्यमयी होती हैं। जो आम मनष्य की सोच और समझ से परे एक दुनिया हैं। वैसे तो नागा साधु पूरी उम्र एक संन्यासी के तौर पर व्यतीत करते हैं। जो योग साधना के जरिए स्वयं को ठंड, गर्मी, बारिश व अन्य सभी तरह के मौसम के अनुरुप ख़ुद को ढाल लेते हैं। उनका अपने आप पर नियंत्रण और संयम होता हैं। असल में नागा साधु एक सैन्य पंथ की तरह है। जो न सिर्फ कंदराओं में रहते हैं बल्कि त्रिशूल, तलवार, शंख से भी अपने सैन्य साहस व पराक्रम को दर्शाते हैं। कौन हैं खूनी नागा नागा साधुओं का ऐसा ही पराक्रमी रुप है खूनी नागा..। वास्तविकता में ऐसे संन्यासी जिन्हें उज्जैन में नागा साधु बनने की दीक्षा दी जाती है। जो बाबा महाकाल की पूजा करते हैं। इतना ही नहीं जो उज्जैन के कुंभ मेले में नागा बनते हैं, उन्हें ‘खूनी’ नागा कहा जाता है। खूनी नागा साधु सैनिक की तरह होते हैं। जो अस्त्र व शस्त्र धारण करते हैं। सबसे बड़ी और अहम बात ये है कि खूनी नागा साधु धर्म की रक्षा के लिए खून भी बहा सकते हैं। कौन हैं खूनी नागा चूंकि उज्जैन में महाकाल की पूजा होती है और गर्मी के मौसम में यहां कुंभ का आयोजन होता है। ऐसे में मान्यता है कि इसका प्रभाव उज्जैन में नागा बनने वाले संन्यासियों के स्वभाव पर भी पड़ता है। इसी वजह से उज्जैन में नागा बनने वाले साधु गुस्सैल प्रवृत्ति के होते हैं। कैसे बनते हैं खूनी नागा? दरअसल, नागा साधु बनने की प्रक्रिया किसी अग्निपरीक्षा से कम नहीं होती है। किसी भी अखाड़े में प्रवेश के बाद शुरुआत के तीन साल उन्हें महंतों की सेवा में बिताने पड़ते हैं। इसके पीछे ये कारण होता है कि वे अखाड़ों के नियमों को पूरी तरह से समझ सकें। इसके साथ ही उनके ब्रह्मचर्य की भी परीक्षा ली जाती है। कहीं उनका मन सांसारिक मोह माया से तो नहीं बंधा हैं। कहीं वे वापस जाने के बारे में तो नहीं सोचते हैं। ऐसी कई बातों को लेकर उन्हें कठिन परीक्षा से गुजरना पड़ता हैं। वहीं खूनी नागा साधु बनने की प्रक्रिया में उस व्यक्ति को रात भर ओम नम: शिवाय का जाप करना होता है। इसके बाद अखाड़े के महामंडलेश्वर विजया हवन करवाते हैं। इसमें सफल होने के बाद ही उनका मुंडन किया जाता है। इसके बाद मां क्षिप्रा नदी में 108 बार डुबकी लगानी पड़ती है। अखाड़े के ध्वज के नीचे उनसे दंडी त्याग करवाया जाता है। तब जाकर बनते हैं खूनी नागा साधु। ——————————- बांडी नदी को ओढ़ाई साड़ी जगन्नाथ मंदिर में ‘चंदन यात्रा’ उत्सव रामचरित मानस यूनेस्को ‘मेमोरी ऑफ द वर्ल्ड’ सूची में राम मंदिर प्राण-प्रतिष्ठा राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा राम मंदिर प्राण-प्रतिष्ठा गाथा: श्री घुश्मेश्वर महादेव khooninagamahakumbh2025prayagrajkumbhmelaprayagrajmahakumbh 0 comment 0 FacebookTwitterPinterestEmail teenasharma previous post लोक गायिका शारदा सिन्हा का निधन Related Posts लोक गायिका शारदा सिन्हा का निधन November 7, 2024 छत्तीसगढ़ का भांचा राम August 29, 2024 बंजर ही रहा दिल August 24, 2024 जन्माष्टमी पर बन रहे द्वापर जैसे चार संयोग August 24, 2024 देश की आज़ादी में संतों की भूमिका August 15, 2024 विनेश फोगाट ओलंपिक में अयोग्य घोषित August 7, 2024 बांडी नदी को ओढ़ाई साड़ी August 3, 2024 मनु भाकर ने जीता कांस्य पदक July 28, 2024 रामचरित मानस यूनेस्को ‘मेमोरी ऑफ द वर्ल्ड’ सूची... May 15, 2024 नीमूचाणा किसान आंदोलन May 14, 2024 Leave a Comment Cancel Reply Save my name, email, and website in this browser for the next time I comment.