कविता गर लफ़्ज़ों की दहलीज होती कविता by teenasharma April 23, 2023 written by teenasharma April 23, 2023 गर लफ़्ज़ों की दहलीज होती, तो स्त्रियों सी जुबां पर तहजीब होती, जुबां की बंदिशों पर समाज बन बैठता प्रहरी। न छिड़ती स्वर लहरी, न लगती कोर्ट कचहरी, गर लफ़्ज़ों की दहलीज होती…।। ‘कहानी का कोना’ में पढ़िए रचनाकार वैदेही वैष्णव की लिखी कविता ‘गर लफ़्ज़ों की दहलीज होती’…..। ———————————————————————————– गर लफ़्ज़ों की दहलीज होती वो बरसों से चुप थी, सहनशक्ति का मूर्त स्वरूप थी। वो खामोश सी एक नदी थी, जो सदियों से अविरल बह रही थी। गर लफ़्ज़ों की दहलीज होती, तो स्त्रियों सी जुबां पर तहजीब होती, जुबां की बंदिशों पर समाज बन बैठता प्रहरी। न छिड़ती स्वर लहरी, न लगती कोर्ट कचहरी, गर लफ़्ज़ों की दहलीज होती…।। बोलने के हक पर जुबां फिर दिन-रात रोती, फिर न चलने पाती, शायद पंगु ही हो जाती। या कर दी जाती घायल, फिर हमेशा ही लड़खड़ाती, गर लफ़्ज़ों की दहलीज होती…।। वैदेही वैष्णव मुहावरे होते, ना कोई कहावत होती, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता भी खोखली ही रहती। जुबां गर खामोश हो जाती, फिर मौन की धारणा सार्थक हो जाती, गर लफ़्ज़ों की दहलीज होती…।। सुलगते अरमानों पर फिर शान्ति छा जाती, न होता झूठ का बोलबाला, न होता गड़बड़ झाला। न करता कोई वाद, न होते फिर विवाद, गर लफ़्ज़ों की दहलीज होती…।। क्या कहूं कि लफ़्ज़ों की दहलीज की कहानी, दुनियां में मौजूद है लफ़्ज़ों की कई निशानी। कभी शूल तो कभी लफ़्ज़ मरहम बन जाते हैं, शायद इसलिए ही लफ़्ज़ों की दहलीज नहीं होती।। वैदेही वैष्णव कुछ अन्य रचनाएं पढ़ने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें— ह से हिंदी ग़ज़ल निरुपमा चतुर्वेदी कविता दरवाज़े से जब गूंगी कविता…. hindikavitakavitaअभिव्यक्ति की स्वतंत्रतादहलीज की कहानीमरहमलफ़्ज़ों की दहलीज 0 comment 0 FacebookTwitterPinterestEmail teenasharma previous post ऑटिज़्म जागरुकता पर चर्चा Related Posts खुद के लिए जीना April 20, 2023 सन्दूक January 25, 2023 ह से हिंदी January 18, 2023 हे नव-वर्ष प्रेरित करो हमें January 4, 2023 कविता दरवाज़े से जब December 18, 2022 ग़ज़ल निरुपमा चतुर्वेदी December 16, 2022 गूंगी कविता…. May 27, 2022 कविता ‘मां’ May 8, 2022 कविता ‘नई पौध’ May 4, 2022 ‘प्रतीक्षा है कविता’… April 30, 2022 Leave a Comment Cancel Reply Save my name, email, and website in this browser for the next time I comment.