रक्षाबंधन: दिल के रिश्ते ही हैं सच्चे रिश्ते

राखी की कहानी

by teenasharma

रक्षाबंधन: दिल के रिश्ते ही हैं सच्चे रिश्ते

रक्षासूत्र को बांधने और बंधवाने का त्योहार रक्षाबंधन है आज। यह भाई बहन के प्रेम और स्नेह का अनूठा प्रतीक होता है। रक्षाबंधन: दिल के रिश्ते ही हैं सच्चे रिश्ते शीर्षक से पढ़िए शोभा गोयल की लिखी कहानी…।

कलाई पर राखी सजाना दुनिया मे भाई बहनो के आपसी रिश्ते के लिए सबसे खुबसूरत रस्म है। जिसे शिद्दत से निभाया जाता है। इस दिन का भाई-बहन बेसब्री से इंतजार करते है।

मेरा कोई भाई नहीं था। सहेलियों और चचेरी बहनो को इस दिन की तैयारी करते हुए देखती तो मन में हुक उठती काश मेरा भी कोई भाई होता। कजिन भाई से रिश्ते औपचारिक थे। उनमे न भावना थी और न ही मन था। राखी बांधना केवल रस्म अदायगी थी।

रक्षाबंधन: दिल के रिश्ते ही हैं सच्चे रिश्ते

रक्षाबंधन: दिल के रिश्ते ही हैं सच्चे रिश्ते

उस दिन मम्मी ने मुझे जल्दी जगा दिया। अनु जल्दी से तैयार हो जाओ, आज तुम्हे लड़के वाले देखने आने वाले हैं।
ओहो! मम्मी, आज तो रक्षाबंधन है, छुट्टी है और त्योहार भी है। आज कैसे?

लड़का दो दिन बाद अमेरिका जा रहा है। उसके घरवाले चाहते है कि आज ही लडका लडकी आपस में मिल ले। तू जल्दी से रेडी हो, कुछ ही देर में वे लोग आ जायेंगें। पिस्टल पिंक रंग का सूट पहनकर मैं तैयार हो गई। वैसे भी पापा के निर्देशानुसार मुझे राखी बांधने शाम चार बजे चाचाजी के घर जाना था। इसलिए मैंने राखी की थाली भी सजा ली।

तय समय पर वे लोग घर आए। चाय नाश्ते के बाद मम्मी ने उन लोगो से मिलवाने के लिए मुझे बुलाया। सबको अभिवादन कर मैं वहीं पर सकुचाती हुई बैठ गई। मम्मी ने उन लोगों से कहा यदि यह दोनों चाहे तो अकेले में…।

मम्मी की बात पूरी होने से पहले ही राजीव ने कहा, मैं अनु से शादी नही कर सकता। राजीव की बात सुनकर सब चौंक गए। मम्मी—पापा सकते में आ गए। यही हाल उसके परिवार का था। उनके चेहरे पर भाव आ जा रहे थे। तभी राजीव ने कहा, ‘घबराइए नहीं, अनु वाकई अच्छी लड़की है। यह मेरी बहन जैसी है।’

कैसे? एक साथ समवेत स्वर गूंजा।
कुछ दिन पहले एक दुकान पर हम दोनों गलती से टकरा गए थे। इस चक्कर में मेरा चश्मा गिर गया। अनु ने चश्मा उठाकर देते हुए कहा, भाई आपका चश्मा। इसने मुझे भाई कहकर संबोधित किया। मैं इस शब्द का मान रखता हूं।

अनु से मेरा बहन के अलावा कोई और रिश्ता कायम नही हो सकता। भाई शब्द-एक पवित्र शब्द है और इसे मै खंडित नहीं कर सकता।

रक्षाबंधन: दिल के रिश्ते ही हैं सच्चे रिश्ते

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राजीव की बात सुनकर सबकी नजरों में उसकी इज्जत बढ गई। मुझे भी वह वाकया याद आ गया। राजीव के पापा ने कहा- अनु आज राखी है। अपने भाई को राखी नही बांधोगी? आज हम नए रिश्ते में बंधने जा रहे हैं। राजीव को बहन मिली है तो हमें भी प्यारी सी बेटी मिली है।

राखी की थाली तो पहले से ही तैयार थी। मैंने राजीव के हाथों में राखी बांधकर इस रिश्ते को अपना बना लिया। बदले में राजीव ने अपनी दोस्ती उपहार मे दी। तब से लेकर आज तक राजीव भाई की तरह मेरा ख्याल रखते हैं। सच है रक्त संबधो के रिश्तों से बढ़कर दिल के रिश्ते ही सच्चे होते हैं।

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