यूं तेरा ‘लौटना’…

by Teena Sharma Madhvi
kahani

 

 यूं तेरा ‘लौटना’ बेशक एक नई शुरुआत है

जिसमें ख़ुद से ख़ुद की मुलाकात है।

तेरा ‘लौटना’ बेशक आत्मा का एक ‘सुकून’ है,….।

     उस भोली सुबह की पहली किरण भी है।

तेरा ‘लौटना’ उस पहली 

‘छुअन’ की याद दिलाना और

साथ गुज़ारें पलों का अहसास भी है…।  

निश्चत ही तेरा ‘लौटना’ मेरा ‘वजूद’ भी है

और मेरे होने का ‘सबूत’ भी…। 

मगर….! मगर….!

सिद्धी शर्मा 

तेरा लौटना उस ‘अंत’ के बाद की शुरूआत है,

जो न ‘लौटने’ के लिए हुआ था कभी….। 

 

 
तेरा लौटना उस ‘अंत’ के बाद की शुरूआत है,

जो न ‘लौटने’ के लिए हुआ था कभी….। 

दिल तेरे यूं लौट आने पर कैसे खोले वो दरवाज़े

  जिसे ख़ुद तूने ही बंद किए थे कभी….।

बेशक तेरा यूं ‘लौट आना’ एक नई शुरुआत है

एक नई शुरुआत हैं…’मगर’…! 

अब न वो ‘हालात’ हैं

और न वो ‘बात’ है…।  

बेशक तेरा यूं ‘लौट आना’

एक नई शुरुआत है……

टीना शर्मा ‘माधवी’

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3 comments

कविता 'नई पौध' - Kahani ka kona May 4, 2022 - 5:06 am

[…] यूं तेरा 'लौटना'… […]

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कभी 'फुर्सत' मिलें तो... - Kahani ka kona June 10, 2022 - 9:28 am

[…] यूं तेरा 'लौटना'… […]

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गढ़िए एक 'झूठी कहानी' - Kahani ka kona June 11, 2022 - 8:31 am

[…] यूं तेरा 'लौटना'… […]

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टीना शर्मा ‘माधवी’

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