विंड चाइम्स

हिन्दी कहानी

by teenasharma
विंड चाइम्स

विंड चाइम्स

उसने मुझे एक चिट्ठी और एक गिफ्ट थमा दिया और “दिशा ने भिजवाया है, घर जाकर खोलना” ये कहकर वो लौट गई। मैंने वो गिफ्ट खोला उसमें विंड चाइम्स था। साथ में एक चिट्ठी भी थी। पढ़िए दिप्ति मिश्रा की लिखी कहानी ”विंड चाइम्स”…

—————–

मेरा जन्मदिन आने में अभी दो महीने बाकी थे लेकिन पता नही क्यों उसे जल्दी थी मनाने की। सो किसी तरह से समय निकाल कर उसने मिलने का प्लान बनाया। तय तारीख, समय और जगह पर हम दोनों आमने सामने थे पहली बार।

मैंने उससे कहा भी कि,”ऐसी क्या आफत आ गई कि तुम्हे दो महीने पहले जन्मदिन मनाना है मेरा, उस दिन भी प्लान कर सकते थे हम लोग,”। वो हँस दी और बोली,” इतना सब्र नही है मुझमें और न ही टाइम।” वो फिर ज़ोर से हँस पड़ी।

हँसती बहुत थी वो, कभी कभी तो मैं झुंझला जाता था, “क्या हर बात पे खी खी करती हो, कभी तो
सीरियस हुआ करो” वो फिर झूठमूठ का गुस्सा हो जाती।

विंड चाइम्स

विंड चाइम्स

करीब एक साल से बात हो रही थी हमारी, आसपास के शहर में रहते हुए भी हम अभी तक मिले नही थे, उसने ज़िद करके अपने शहर बुलाया, मैं भी ये सोचकर चला गया कि थोड़ा चेंज ही हो जाएगा। आज हम आमने सामने थे । वो हक़ीक़त में भी उतनी ही सिंपल थी जितना कॉल पे बात करने में लगती थी।

खैर, जन्मदिन तो मनाना था पर केक नही था हमारे पास और जहां हम थे वहां आसपास कोई बेकरी भी नहीं थी, मैंने सवाल भरी नजरों से उसे देखा वो समझ गई और बोली,” केक लेके आती तो खराब हो जाता इतनी देर में और मुझे क्या पता था यहां नही मिलेगा”।

चारों तरफ नज़र दौड़ाई तो हलवाई की दुकान दिखी, वो दौड़ के गई और मिल्क केक के दो पीस ले आई कागज़ की प्लेट में, मोमबत्ती नही थी लेकिन उसे अपने पर्स में माचिस मिल गई और चाकू की जगह नेलकटर काम आया।

वो ये सब करते समय एक बच्ची की तरह चहक रही थी और मैं बस टकटकी बांधे उसे ही देख रहा था। मैंने सोचा भी नही था कि अपना जन्मदिन मैं ऐसे भी मनाऊंगा वो भी दो महीने पहले।

मैं समझ ही नहीं पा रहा था कि वो क्या चाह रही है लेकिन न जाने क्यों उससे कोई सवाल नही कर पाया न ही उसे ये सब करने से रोक पाया। उसे ये सब करते देख अब मुझे उस पर प्यार आने लगा था।

खैर! बहुत ही सिंपल और अजीब तरीके से मेरा जन्मदिन मनाया, मेरा गुस्सा और चिढ़ अब गायब हो चुकी थी। बहुत प्यारी सी लगी मुझे बस बोलती बहुत थी। वो बहुत खुश थी लेकिन जाते हुए उसकी आँखों में आंसू थे।

उसे जाता देख पता नही क्यों मुझे भी अच्छा नही लगा पर रोक भी न सका। उस दिन के बाद उसका कोई मैसेज नहीं आया,पहले कभी ऐसा होता था तो मैं ध्यान नही देता था लेकिन अब पता नही क्यों बार बार उसी की तरफ ध्यान जा रहा था।

मेरे मैसेज का भी कोई रिप्लाई नही मिल रहा था। करीब एक हफ्ते बाद पूजा (हमारी एक कॉमन फ्रेंड) ने मुझे मिलने बुलाया। मैं कुछ कहता उससे पहले उसने मुझे एक चिट्ठी और एक गिफ्ट थमा दिया और “दिशा ने भिजवाया है, घर जाकर खोलना” ये कहकर वो लौट गई। मैंने वो गिफ्ट खोला उसमें “विंड चाइम्स” था। साथ में एक चिट्ठी भी थी। मैंने पढ़ना शुरू किया।

डिअर विशाल, जब तक तुम्हे ये चिट्ठी मिलेगी तब तक मैं जा चुकी होंगी। तुम्हे एक सच बताना चाहती हूं जो मैंने तुमसे छुपाया जिसके लिए मैं तुमसे क्षमा मांगती हूँ, दो महीने पहले ही मेरी शादी तय हो गई है। पापा मम्मी को ना न कह सकी सो शादी के लिए हां कर दी।

खास वजह यही थी तुम्हारा जन्मदिन अपने साथ मनाने की। पूजा को भी मैंने ही मना किया था तुम्हे बताने को। तुम्हे खोना नही चाहती इसलिए तुम्हे बताया नही पर देखो न फिर भी दूर तो हो ही गए। मेरे मन में तुम्हारे लिए जो फीलिंग हैं वो हमेशा मेरे दिल में ही रहेंगी।

मुझे नही पता कि तुम्हारे मन मे मेरे लिए क्या है, पर तुम्हारे साथ बिताया हुआ हर एक पल मेरे लिए एक खूबसूरत याद बनकर हमेशा मेरे दिल में रहेगा। लिखने के लिए बहुत कुछ है पर सब धुंधला सा दिखाई देने लगा है अचानक इसलिए अब ज़्यादा नही लिख पाऊंगी। मेरी हर दुआ में ये दुआ भी शामिल रहेगी कि तुम हमेशा तरक्की करो और खुश रहो।

दिशा

चिट्ठी तो खत्म हो गई थी पर मेरे दिमाग में उसके साथ की गई हर बात फ़िल्म की तरह घूम रही थी, मेरा दिमाग सुन्न हो गया था, मैंने कभी नही सोचा था कि वो भी मेरे लिए कुछ फील करती है, चिट्ठी के कुछ शब्द धुंधले से लिखे थे।

शायद उसके आंसुओं ने उन शब्दों को गीला किया था। अब मैं चाह कर भी कुछ नही कर सकता था। मैंने वो “विंड चाइम्स” अपने बेड के सामने वाली खिड़की पर टांग दिया।

इस बात को तीन साल बीत चुके हैं। प्यारी सी केयरिंग वाइफ और एक क्यूट सी बेटी भी है। मेरे कमरे की हर चीज़ ने जगह बदली है बस वो खिड़की पर लटकते उस “विंड चाइम्स” के अलावा।

खुद के लिए जीना

राखी: रिश्ते का रिन्युअल

मीठे नीम से पिता

प्यार के रंग

Related Posts

Leave a Comment

नमस्कार,

   ‘कहानी का कोना’ में आप सभी का स्वागत हैं। ये ‘कोना’ आपका अपना ‘कोना’ है। इसमें कभी आप ख़ुद की कहानी को पाएंगे तो कभी अपनों की…। यह कहानियां कभी आपको रुलाएगी तो कभी हंसाएगी…। कभी गुदगुदाएगी तो कभी आपको ज़िंदगी के संघर्षों से लड़ने का हौंसला भी देगी। यदि आप भी कहानी, कविता व अन्य किसी विधा में लिखते हैं तो अवश्य ही लिख भेजिए। 

 

टीना शर्मा ‘माधवी’

(फाउंडर) कहानी का कोना(kahanikakona.com ) 

kahanikakona@gmail.com

error: Content is protected !!