अपनत्व 

कहानी— सुनीता बिश्नोलिया

by teenasharma
अपनत्व

 अपनत्व 

हाथ में कुत्ते का बहुत छोटा पिल्ला देखकर रागिनी ने उसे डांटते हुए कहा – “फिर ले आए तुम कुत्ता…! बाहर छोड़ो इसे।” मैं इसे अंदर नहीं लाने दूँगी। पढ़िए लेखक सुनीता बिश्नोलिया की लिखी कहानी अपनत्व….। 
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 “ममा….जल्दी गेट खोलो !” डोर बेल बजाने के बाद भी बिल्लू दरवाज़ा खोलने के लिए मम्मी को आवाज़ लगा रहा था और घंटी की एक आवाज में रागिनी ने दरवाज़ा खोल दिया। दरवाज़ा खुलते ही बिल्लू जल्दी से घर के अंदर आने लगा।

अपनत्व

सुनीता बिश्नोलिया

पर बिल्लू के हाथ में कुत्ते का बहुत छोटा पिल्ला देखकर रागिनी ने उसे डांटते हुए कहा – “फिर ले आए तुम कुत्ता…! बाहर छोड़ो इसे। मैं इसे अंदर नहीं लाने दूँगी  चलो.. चलो छोड़ कर आओ इसे जहाँ से लाए हो।” 
      पर बिल्लू का पूरा ध्यान उस पिल्ले पर ही था इसलिए मम्मी की बात को अनसुनी करते हुए मम्मी को अपना ट्यूशन बैग पकड़ाते हुए वो फिर बोला – “ममा इसे उढ़ाने के लिए जल्दी से कोई कपड़ा लाओ ना देखो ठंड के मारे ये कैसे कांप रहा है ।” मम्मी बिल्लू की बात का कोई जबाव देती इससे पहले ही वो फिर बोल पड़ा – 
  ” ममा  जल्दी करो ना..! देखो ये कैसे रो रहा है शायद इसे भूख भी लगी है, थोड़ा दूध भी गर्म करके लाना।” 

       बहुत गुस्सा आया था रागिनी को बिल्लू पर वो कहना चाहती थी -” आए दिन गली के कुत्तों को घर उठा लाता है..हर बार तो घर के बाहर खाना दे देता था पर आज तो घर के अंदर ही…!” पर बिल्लू द्वारा उस छोटे से पिल्ले की परवाह और संवेदना को देखकर रागिनी ने उसे कुछ नहीं कहा। बिल्लू की कोमल भावनाओं और उस सहमे हुए पिल्ले  को देखकर रागिनी का निर्मल मन पिघल गया।

अपनत्व

सुनीता बिश्नोलिया

     बिल्लू को उस पिल्ले के साथ एक जगह बैठने का निर्देश देकर वो अंदर गई और अपना पुराना स्कार्फ ले लाई । बिल्लू ने जल्दी से माँ के हाथ से स्कार्फ लेकर अच्छी तरह उसे पिल्ले को उढ़ा दिया।
स्कार्फ उढ़ाने से  शायद उसे कुछ गर्माहट महसूस हुई होगी पर अभी भी वो कूं-कूं कर रहा था। 
 ये देखकर रागिनी फटाफट रसोई में जाकर दूध लाई और बिल्लू उसे पिलाने की कोशिश करने लगा पर पिल्ला सहमा हुआ था और लगातार कूं..कूं किये जा रहा था।
इस पर  रागिनी से रहा ना गया वो स्नेह से उसके सिर पर हाथ फेरने लगी। यह अपनत्व पाकर पिल्ले का कूं-कूं करना बंद हो गया तो वो बिल्लू के हाथ से दूध पीने लगा।
       पिल्ले के दूध पीने के बाद रागिनी ने बिल्लू से कहा – “जाओ अब इसे छोड़ आओ इसकी माँ इसे ढूंढ रही होगी।”
मम्मी की बात सुनकर  बिल्लू रुआँसा होकर बोला – “नहीं ममा वो कभी नहीं आएगी। इसकी माँ को किसी गाड़ी ने टक्कर मार दी और वो मर गई। सर्दी से काँपता हुआ ये अपनी माँ के पास बैठकर रो रहा था। किसी ने इसे चुप नहीं करवाया बस सब लोग इसे रोते हुए देख रहे थे। इसलिए मैं इसे अपने साथ ले आया। ममा इसे यहीं रहने दो ना बाहर छोड़ने पर ये मर जाएगा। ”  
      बेटे की बात सुनकर रागिनी को बहुत दुख हुआ पर वो असमंजस में पड़कर सोचने लगी 
   “बहुत अच्छा किया इसे यहाँ ले आए जानवरों की मदद करना बहुत अच्छी बात है। पर हम सभी जानवरों को घर तो नहीं रख सकते ना..! आज इसे यहीं रहने देते हैं कल एनीमल केयर सेंटर भेज देंगे।”
  यही सोचते हुए रागिनी ने बिल्लू से कहा
 “ठीक है देखते हैं।” 
 यह कहते हुए उसने बिल्लू की गोदी में निश्चिंत होकर सोते पिल्ले को देखा तो उसपर बहुत प्यार आया। उसने जल्दी से एक पुरानी बेडशीट बिछाकर  बिल्लू के हाथ से लेकर पिल्ले को उस पर सुला दिया।
बिल्लू ने जब तक  हाथ धोए और कपड़े बदले तब तक उसके पापा भी घर आ गए बिल्लू के घर में पिल्ला लाने की जानकारी उन्हें बाहर ही मिल चुकी थी इसलिए घर आकर उन्होंने ज्यादा कुछ नहीं कहा और रागिनी से पिल्ले को एनीमल केयर सेंटर भेजने की बात की।
ये सुनकर बिल्लू थोड़ा उदास जरूर हुआ पर वो कुछ नहीं बोला..तभी उसने देखा कि पिल्ले की नींद खुल गई और वो मम्मी के पीछे-पीछे जा रहा है।
रागिनी के पीछे उसे रसोई में जाता देखकर बिल्लू के पापा ने उसे रोकना चाहा पर वो नहीं रुका तो उन्होंने उसे धीरे से हाथ लगाया.. और उसके कोमल स्पर्श से वो उसे गोदी में लेने पर मजबूर हो गए।
 यह देखकर मम्मी मुस्कुरानी लगी और बिल्लू सोचने  लगा – “शायद अब इसे एनीमल केयर सेंटर नहीं भेजना पड़ेगा..! “
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टीना शर्मा ‘माधवी’

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