दिवस विशेषप्रासंगिकसम सामयिकस्लाइडर देश की आज़ादी में संतों की भूमिका स्वतंत्रता दिवस by teenasharma August 15, 2024 written by teenasharma August 15, 2024 आज़ादी में संतों की भूमिका देश की आज़ादी में संतों की भूमिका महत्वपूर्ण रही है। सोचिएगा ज़रुर। गर इतनी ही सस्ती होती ये आज़ादी तो हर गली मोहल्लों में लगने वाली थड़ी और ठेले पर भर—भर प्लेट मिलती। कीमती है बहोत, तभी तो तिरंगे संग लहराती हैं। स्वतंत्र भारत..। हमारा भारत…। कितना खूबसूरत एहसास होता हैं ना ये पुकारते हुए। जहां पर हैं एक उन्मुक्त गगन..। अपनी हवा…अपना पानी…अपनी माटी और अपने लोग..। 15 अगस्तस्वतंत्रता दिवस पर क्या आज से 78 साल पहले खुलकर ये कह पाना आसान था। वो भी उन अंग्रेजों के सामने जिन्होंने छल और कपट से हमारे देश पर अपना राज जमा लिया था। कितना कठिन रहा होगा ना, उस दासता से ख़ुद को मुक्त कर पाना…। कभी जेल तो कभी लाठियां…। कभी बरसते कोड़े…फिर मौत…। तब मिली हैं ये आज़ादी हमें। सोचिएगा ज़रुर। गर इतनी ही सस्ती होती ये आज़ादी तो हर गली मोहल्लों में लगने वाली थड़ी और ठेले पर भर—भर प्लेट मिलती। कीमती है बहोत, तभी तो तिरंगे संग लहराती हैं। आज भारत अपना 78 वां स्वतंत्रता दिवस मना रहा है। इस पावन अवसर पर ऐसी ही एक कहानी है उन संतों की भी। जिन्होंने हमारे वीर शहीदों की तरह ही इस देश को आजादी दिलाने में अपनी अहम भूमिका निभाई थी। क्या आप जानते हैं कि अयोध्या के संतों ने देश की आज़ादी में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। ऐसे ही संतों में एक हैं बृजनंदन ब्रह्मचारी। जिन्हें नमक सत्याग्रह में सक्रिय भागीदारी के कारण छह माह की सजा हुई। कई स्थानों पर डाक बक्से जलाने और रेलवे लाइन का तार काटने के जुर्म में वे पुन: गिरफ्तार हुए और दो भिन्न धाराओं में दो-दो वर्ष कैद एवं 50 रुपए जुर्माने की सजा पाई। स्वाधीनता आंदोलन के फलक पर एक अन्य साधु ने भी छाप छोड़ी। यह थे वासुदेवाचार्य। लगानबंदी आंदोलन में शामिल होने के कारण वासुदेवाचार्य को एक माह की सजा हुई। इसके बाद क्रांतिकारियों से संपर्क रखने पर तीन बार गिरफ्तार हुए। ये भारत छोड़ो आंदोलन में शामिल होने पर 35 माह से कुछ अधिक समय तक जेल में रहे। अक्षय ब्रह्मचारी भी स्वाधीनता आंदोलन के प्रमुख किरदार रहे। 15 अगस्तस्वतंत्रता दिवस भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान एक वर्ष की कैद के साथ दो माह तक नजरबंद रहने की सजा मिली। वहीं संतोषी अखाड़ा से जुड़े संत गंगादास ने सविनय अवज्ञा आंदोलन में हिस्सा लिया और छह माह कैद के साथ सौ रुपए जुर्माना की सजा भोगी। तो हनुमानगढ़ी के नागा साधु गोवददास के शिष्य प्रयागदास ने छह माह की कैद के साथ 25 रुपए जुर्माना की सजा भुगती। हनुमानगढ़ी के ही लालतादास को उग्र गतिविधियों में संलिप्तता के कारण 15 माह की सजा मिली और चार साल तक नजरबंद रहना पड़ा। नीमूचाणा किसान आंदोलन गणतंत्र दिवस मनु भाकर ने जीता कांस्य पदक विनेश फोगाट ओलंपिक में अयोग्य घोषित 15 augustaazadiindependenceday2024swatantratadiwas 0 comment 0 FacebookTwitterPinterestEmail teenasharma previous post विनेश फोगाट ओलंपिक में अयोग्य घोषित next post जन्माष्टमी पर बन रहे द्वापर जैसे चार संयोग Related Posts छत्तीसगढ़ का भांचा राम August 29, 2024 बंजर ही रहा दिल August 24, 2024 जन्माष्टमी पर बन रहे द्वापर जैसे चार संयोग August 24, 2024 विनेश फोगाट ओलंपिक में अयोग्य घोषित August 7, 2024 बांडी नदी को ओढ़ाई साड़ी August 3, 2024 मनु भाकर ने जीता कांस्य पदक July 28, 2024 रामचरित मानस यूनेस्को ‘मेमोरी ऑफ द वर्ल्ड’ सूची... May 15, 2024 नीमूचाणा किसान आंदोलन May 14, 2024 जगन्नाथ मंदिर में ‘चंदन यात्रा’ उत्सव May 12, 2024 वैदेही माध्यमिक विद्यालय May 10, 2024 Leave a Comment Cancel Reply Save my name, email, and website in this browser for the next time I comment.