कवितालेखक/साहित्यकारस्लाइडर बंजर ही रहा दिल कविता-सुमनजीत कौर by teenasharma August 24, 2024 written by teenasharma August 24, 2024 बंजर ही रहा दिल कहानी का कोना में आज पढ़िए लेखक सुमनजीत कौर की लिखी हुई कविता बंजर ही रहा दिल…। सुमनजीत कौर का एकल काव्य संग्रह “सादगी” राजस्थान साहित्य अकादमी से अनुमोदित हैं, साथ ही इन्हें कई साहित्यिक सम्मान भी प्राप्त हैं। बंजर ही रहा दिल हर जमीन की खुदाई में न ही निगाहों के बीज थे ना ही सपने के शजर थे तन्हां गुजर गया सफर हर राह से खास यारी के बाद भी ना ही कदमों में बेकरारी थी ना ही मंजिल की जुस्तजू थी सुमनजीत कौर बेमतलब ही ज़िंदगी के कॉलम खाली रह गए ना ही इम्तहान में सवाल थे ना ही नतीजों में जवाब थे फिजूल ही खर्च होती गई चिल्लर यादों की न वो इश्क ही मूल था ना वो वक्त ही ब्याज था सुमनजीत कौर अन्य रचनाएं पढ़ने के लिए नीचे दिए लिंक पर क्लिक करें— पानी पानी रे विंड चाइम्स समर्पण पहली गुरु हमारी ‘मां’ गर लफ़्ज़ों की दहलीज होती hindi kavitakahanikakonakavitapoempoetrysumanjeetkaur 0 comment 1 FacebookTwitterPinterestEmail teenasharma previous post जन्माष्टमी पर बन रहे द्वापर जैसे चार संयोग next post छत्तीसगढ़ का भांचा राम Related Posts छत्तीसगढ़ का भांचा राम August 29, 2024 जन्माष्टमी पर बन रहे द्वापर जैसे चार संयोग August 24, 2024 देश की आज़ादी में संतों की भूमिका August 15, 2024 विनेश फोगाट ओलंपिक में अयोग्य घोषित August 7, 2024 बांडी नदी को ओढ़ाई साड़ी August 3, 2024 मनु भाकर ने जीता कांस्य पदक July 28, 2024 रामचरित मानस यूनेस्को ‘मेमोरी ऑफ द वर्ल्ड’ सूची... May 15, 2024 नीमूचाणा किसान आंदोलन May 14, 2024 जगन्नाथ मंदिर में ‘चंदन यात्रा’ उत्सव May 12, 2024 वैदेही माध्यमिक विद्यालय May 10, 2024 Leave a Comment Cancel Reply Save my name, email, and website in this browser for the next time I comment.