रक्षा बंधन:मिठास और सादगी भरा त्यौहार

राखी पर्व

by teenasharma
रक्षा बंधन:मिठास और सादगी भरा त्यौहार

रक्षा बंधन:मिठास और सादगी भरा त्यौहार

नेह, अपनत्व, मिठास और सादगी से भरा त्यौहार है रक्षाबंधन। दूरियां मिटाने का एक मौका भी है रक्षाबन्धन। पढ़िए रक्षा बंधन:मिठास और सादगी भरा त्यौहार शीर्षक से शिल्पी पचौरी का लिखा हुआ ये लघु लेख…।

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नेह, अपनत्व, मिठास और सादगी से भरा त्यौहार है रक्षाबंधन। दूरियां मिटाने का एक मौका भी है रक्षाबन्धन। इसमें समाहित रक्षा शब्द मानो भाइयों को वरदान स्वरूप मिला है।

रक्षा बंधन:मिठास और सादगी भरा त्यौहार

रक्षा बंधन:मिठास और सादगी भरा त्यौहार

अपनी उम्र से बड़ी बहिन का भी वो भैया है, भले ही वो अभी बोलना ही सीखा हो। तोतली बोली में फिक्र का भाव दिखाकर रक्षा करता है, मम्मी देखो दीदी अभी तक नहीं आई इत्ती देर तो हो दई।

दीदी अकेले कहां जा रही हो?
मैं भी चलूंगा साथ तुम्हारे।
दीदी ज्यादा मेकअप मत करो। 

कपड़े सही पहनो, कहकर बहिन का रक्षा कवच बनने का भरकस प्रयास करता है।बराबर के भैया-बहिन तो लड़-झगड़कर ही प्रेम दिखाते है और अगर भैया बड़ा हो तो पिता सदृश लाड़ दिखाता है।

रक्षा बंधन:मिठास और सादगी भरा त्यौहार

रक्षा बंधन:मिठास और सादगी भरा त्यौहार

बहिने भी भाइयों के लिए खूब सज, संवरकर ठसक से पीहर जाती है। सीमा पार हमारे सैनिक भाइयों को भी राखी भेजती है और तो और राखी के दिन जेल की सलाखें भी भैया-बहिन को मिलने से नहीं रोक पाती। अनूठा है यह प्रेम।

दूर-दराज ब्याही गई बिटिया महिना भर पहले राखी पोस्ट कर देती है ताकि समय पर भैया की कलाई में राखी सज सकें किन्तु आजकल वीडियो कॉल द्वारा राखी बांध ली जाती है और बहिन का नेक पेटीएम हो जाता है किंतु वो अहसास दिल को स्पर्श नहीं करते।

राखी के दिन मां भी घर में सेवई, फेनी की खीर बनाती है और कई घरों में कागज पर श्रवण कुमार जी अपने कंधे पर माता-पिता को तीर्थ ले जाते हुए का चित्र उकेरकर उनकी पूजा की जाती है। उन्हें भी राखी बांधी जाती है व खीर खिलाई जाती है। कुछ महिलाएं लड्डू गोपाल जी को अपना वीर मानती है तो वह उन्हें भी राखी बांधती हैं। वाकई अनूठा है रक्षाबंधन।

 

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टीना शर्मा ‘माधवी’

(फाउंडर) कहानी का कोना(kahanikakona.com ) 

kahanikakona@gmail.com

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