'इकिगाई'
'ओकिनावा' और 'ओगिमी' के लोग 'शतायु' हैं...वे अधिक वर्षो तक जीवन जीते हैं इसलिए नहीं कि यहां की जलवायु में ये वरदान हैं बल्कि इसलिए कि इन सभी के पास अपना 'इकिगाई' हैं...। इससे पहले तक 'हेक्टर गार्सिया' और 'फ्रांसिस मिरेलस' भी ये नहीं जानते थे जो कि एक राइटर हैं..। इन दोनों की एक खोज और अथक प्रयासों ने इन्हें इस 'जादुई शब्द' 'इकिगाई' तक पहुंचाया..और इन्होंने क़िताब के माध्यम से इस राज़ को दुनिया तक पहुंचाया...।
मेरे हाथ में क़िताब 'इकिगाई' का हिन्दी संस्करण हैं जिसे 'प्रसाद ढापरे' ने अनुवादित किया हैं...। दरअसल, मुझे इसका 'टाइटल' बेहद आकर्षित लगा 'इकिगाई'...। एक लंबे समय की कोशिशों के

'हेक्टर गार्सिया' और 'फ्रांसिस मिरेलस'
'हेक्टर गार्सिया' और 'फ्रांसिस मिरेलस'
बाद समय निकालकर आख़िरकार मैंने इसे पढ़ ही डाला...। दोनों राइटर 'हेक्टर गार्सिया' और 'फ्रांसिस मिरेलस' अपनी इस क़िताब में वहीं बताने और कहने की कोशिश कर रहे हैं जिसमें से कुछ—कुछ तो हम सभी जानते हैं पर मानते नहीं हैं...और जापान के लोग जानने के साथ ही इसे मानते हैं और मरते दम तक इसे फॉलो भी करते हैं...। असल में उन्हें उनका 'इकिगाई' पता हैं...।
लेकिन हम में से अधिकतर को अपना 'इकिगाई' पता ही नहीं होता हैं...और पूरी उम्र बीत जाती हैं...। जो असल में इस जादुई शब्द को समझ सके हैं असल में वे ही 'शतायु' हैं...।
इस एक शब्द में भरपूर जीवन जीने का रहस्य छुपा हैं...। डे—वन से मेरा इकिगाई मेरे साथ हैं...जिसे लेकर मैं बहुत स्पष्ट हूं...पर क्या आप हैं...?
ये क़िताब ऐसे ही सवालों का जवाब हैं...कोई ज्ञान नहीं देती बल्कि एक सच से रुबरु करवाती हैं...। जैसे—जैसे आप पन्ने पलटेंगे नए—नए शब्दों से परिचित होंगे...। 'मोआई'...'हारा हाची बु'...'इचारीबो चोडे'...। इन सभी के अर्थ आपको कहीं न कहीं सुकून देंगे...।
दक्षिणी जापान स्थित 'ओगिमी' एक गांव हैं जो कि दीर्घायु लोगों के गांव के रुप में जाना जाता हैं। इस गांव की आबादी महज 3000 के करीब हैं लेकिन इनके जीने का तरीका कुदरती होने के साथ ही साथ एक और वजह पर टीका हैं...वो हैं 'इकिगाई'...। यही 'इकिगाई' ओकिनावा टापू पर रहने वाले लोगों के दीर्घायु होने का भी राज़ हैं..।
टीना शर्मा 'माधवी'
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