‘महासंग्राम तक यात्रा’ व ‘कौतुक ताना’

पुस्तक चर्चा

by teenasharma
'महासंग्राम तक यात्रा' व 'कौतुक ताना' पर परिचर्चा

‘महासंग्राम तक यात्रा’ व ‘कौतुक ताना’ 

अखिल भारतीय साहित्य परिषद जयपुर की ओर से ‘महासंग्राम तक यात्रा’ व ‘कौतुक ताना’ पुस्तक पर परिचर्चा का आयोजन। कभी आसुरी तो कभी कौरवीय, और आज के परिदृश्य में कहें तो कट्टरता रूपी संकीर्ण प्रवृत्ति विश्व में दिखाई देती है। इन प्रवृत्तियों को तो हम नष्ट नहीं कर सकते हैं, किंतु उनका समन्वय ही एक समाधान अवश्य है।

मानव प्रवृत्तियों का सूक्ष्म वर्णन करता ‘महाभारत’

– मनोज कुमार

कभी आसुरी तो कभी कौरवीय, और आज के परिदृश्य में कहें तो कट्टरता रूपी संकीर्ण प्रवृत्ति विश्व में दिखाई देती है। इन प्रवृत्तियों को तो हम नष्ट नहीं कर सकते हैं, किंतु उनका समन्वय एक समाधान अवश्य ही है।

'महासंग्राम तक यात्रा' व 'कौतुक ताना'

पुस्तक विमोचन व परिचर्चा

मुख्य वक्ता के रुप में अखिल भारतीय साहित्य परिषद के सह संगठन मंत्री मनोज कुमार शिक्षा संकुल परिसर में आयोजित पुस्तक विमोचन एवं परिचर्चा कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे।

उन्होंने कहा कि मनुष्य की प्रवृत्तियां भिन्न होती हैं और महाभारत ग्रंथ में मनुष्य की इन्हीं प्रवृत्तियों का बड़े ही सूक्ष्म रुप में वर्णन मिलता है। साथ ही श्रेष्ठ जीवन मूल्यों के माध्यम से उसके नियमन का वृतांत भी इसमें शामिल हैं। इस बात को ‘गीता’जी में बहुत ही सुंदर तरीके से समझा जा सकता हैं, जो आज भी प्रासंगिक है।

दोनों ही पुस्तकों के बारे में उन्होंने कहा कि याजवेंद्र यादव ने अपनी पुस्तक ‘महासंग्राम तक यात्रा’ में महाभारत के पात्रों की विवेचना की है। जो महाभारत का सार है।

यह पुस्तक कई रुपों में विभिन्न समस्याओं समाधान भी हैं। वहीं व्यंग्य चित्रकार धर्मेंद्र कुमार ‘धकू’ की ‘कौतुक ताना’ रेखाचित्र के माध्यम से एक बेहतर संदेश देती हैं।

'महासंग्राम तक यात्रा' व 'कौतुक ताना'

मनोज कुमार-सह संगठन मंत्री

विकास तिवाड़ी ने विभिन्न विषयों एवं सामाजिक मुद्दों को लेकर पुस्तक पर संवाद किया, एवं पाठकों के प्रश्न जानें।

गीतांजलि गौतम ने महासंग्राम यात्रा काव्य के कृष्ण–कर्ण संवाद सर्ग का वाचन किया।

परिचर्चा में साहित्य परिषद के प्रदेश संगठन मंत्री विपिन, प्रदेश महामंत्री केशव कुमार शर्मा, विभाग संयोजक विकास बागड़ा, साहित्यकार विष्णु हरिहर शामिल हुए। संचालन देवेन्द्र भारद्वाज ने किया। 

 

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