कहानियाँ एक ‘पगार’ … by Teena Sharma Madhvi April 27, 2021 written by Teena Sharma Madhvi April 27, 2021 बेटी के जन्मदिन की पांचवी वर्षगांठ थी। सोचा कि एक छोटी—सी बर्ड—डे पार्टी रखी जाए। इस बहाने अपनों से मुलाकात भी हो जाएगी और सारे बच्चे आपस में मिल भी लेंगे। तब पति के साथ मिलकर मेहमानों की लिस्ट तैयार की। करीब सौ लोगों को पार्टी के लिए आमंत्रित किया। काम वाली बाई ‘चंदा’ का नाम भी इस लिस्ट में था। जब मैंने उसे पार्टी में अपने बच्चों व पूरे परिवार के साथ आने को कहा, तब वह झेपते हुए बोली। दीदी, आप बड़े लोगों की पार्टी में हम कहां मैच होंगे…। मैं, आपकी मदद के लिए आ जाउंगी। उसकी बात सुनने के बाद मैंने उसे डांटा और कहा, कैसी बातें करती हो ‘चंदा’…? तुम भी मेरे परिवार की सदस्य हो, सभी को लेकर आना पार्टी में, समझी…। पिंक और व्हाइट थीम से सजी पार्टी में हर कोई बहुत ही सुंदर व कीमती कपड़ों में शामिल था..। सभी के हाथों में गिफ्ट्स के बड़े—बड़े पैकेट थे। तेज म्यूजिक के साथ बच्चे थिरक रहे थे और बड़े स्वादिष्ट व्यंजनों का लुत्फ ले रहे थे। इस पार्टी में चंदा भी अपने परिवार के साथ आई थी। लेकिन वह डरी—सहमी सी थी। मैंने उससे कहा कि मजे करो अपने बच्चों के साथ…। उसने कहा कि दीदी आज से पहले इतनी बड़ी पार्टी हमने कभी नहीं देखी और ना ही ऐसा नाच—गाना और खाना देखा हैं। इसीलिए मेरे बच्चे भी घबरा रहे हैं। मैंने उसे बहुत समझाया तब जाकर वह सहज हुई और पति—बच्चों के साथ खाना खाया। धीरे—धीरे पार्टी ख़त्म होने लगी…। बेटी को विश करके और गिफ्ट देकर मेहमान जानें लगे। चंदा पार्टी खत़्म होने तक रुकी रही। जब कोई नहीं बचा तब उसने संकोच के साथ मेरे हाथ में गिफ्ट पकड़ाया। मैंने उसे टोका…इसकी क्या ज़रुरत थी चंदा…? उसने कहा, दीदी ये तो बेटी के लिए हैं…। ये सुनकर मैं चुप हो गई। फिर चंदा भी पार्टी से चली गई। बर्थ—डे पर क्या—क्या गिफ्ट्स मिलें बेटी में इसे लेकर बेहद उत्साह था। उससे बिल्कुल भी सबर नहीं हुआ। रात को हम सभी परिवार के लोग एक—साथ बैठे और एक—एक करके बेटी ने अपने गिफ्ट्स खोलें। कुछ लिफाफें थे…जिसे खोलने में उसे कोई रुचि नहीं थी। उसने वो लिफाफें मुझे पकड़ा दिए। कुछ गिफ्ट्स उसे पसंद आए और कुछ नहीं…। तभी मुझे याद आया कि चंदा भी गिफ्ट देकर गई थी। जिसे मैंने अपने बैग में ही डाल दिया था। मैं फौरन उस गिफ्ट को लेकर आई और बेटी को दे दिया। जैसे ही उसने गिफ्ट खोला वो खुशी से झूम उठी…। वाकई गिफ्ट उसकी पसंद का ही था। उसे बार्बी डॉल वाली जैकेट चाहिए थी। जिसका रंग पिंक हो…और ये जैकेट पिंक ही थी…। बेटी को खुश देखकर मेरी आंख भर आई…। उसकी खुशी उन तोहफों में नहीं मिली, जो कीमती भी थे और सिर्फ पैसों से खरीदें गए थे। पूरी रात मैं सो नहीं पाई…। अगले दिन चंदा जब काम पर आई तब मैंने उससे आगे चलकर बताया कि तुम्हारा गिफ्ट ही बेटी को सबसे ज़्यादा पसंद आया। वह बेहद खुश हो गई और उसकी आंखें भर आई। मैंने उसे कहा कि, वैसे चंदा मुझे पूछना तो नहीं चाहिए फिर भी मैं पूछ रही हूं…’जैकेट’ कितने में खरीदी….? वह झेंप गई और कुछ नहीं बोली। मैंने उसके कांधे पर हाथ रखकर थोड़ा जोर डालते हुए पूछा, बताओ कितने में खरीदी…? उसने एक ही जवाब दिया, एक ‘पगार’….। मैं जानती थी उसकी एक पगार कितनी हैं…। आज ज़िंदगी में पहली बार इतना बड़ा ‘दिल’ देख रही थी…। बड़े लोगों के गिफ्ट के बीच बेटी को ये ही क्यूं पसंद आया। इसकी वजह भी ये बड़ा दिल ही था। इसी ‘दिल’ से खरीदा गया वो बेशकिमती तोहफा ‘पिंक जैकेट’ आज भी बेटी की वार्डरोब में टंगा हुआ हैं। जिसे मैं देख रही हूं…। 0 comment 0 FacebookTwitterPinterestEmail Teena Sharma Madhvi previous post ‘एकांकी’ – नहीं ‘चुकाऊंगी’ झगड़ा next post ‘गुफ़्तगू’ हैं आज ‘दर्द’ से…. Related Posts अपनत्व April 12, 2023 प्यार के रंग March 13, 2023 बकाया आठ सौ रुपए March 1, 2023 एक-एक ख़त…बस February 20, 2023 प्रतीक्षा में पहला पत्र February 16, 2023 लघुकथा—सौंदर्य February 11, 2023 एक शाम January 20, 2023 गुटकी January 13, 2023 कुछ पन्ने इश्क़ December 30, 2022 कहानी स्नेह का आंगन December 23, 2022 Leave a Comment Cancel Reply Save my name, email, and website in this browser for the next time I comment.