कहानियाँहॉरर एक पुराना ‘हैंडपंप’..पार्ट—2 by Teena Sharma Madhvi June 1, 2021 written by Teena Sharma Madhvi June 1, 2021 सत्यप्रकाश अपनी आप-बीती को मित्र के साथ साझा करने में सकुचा रहे थे । उन्हें पूरा भरोसा था कि उनकी बात पर सब उनका मख़ौल उड़एंगे। मन ही मन उन्होंने यह तय किया – नाहक ही हास्य का पात्र बनने से अच्छा हैं अन्य किसी उपाय के माध्यम से इस पुराने हैंडपंप के गाँव से पिंड छुड़ाना होगा। टीना शर्मा ‘माधवी’ अचानक तेजी से एक गेंद सत्तू काका के पास से गुजरी औऱ उनके विचारों की तंद्रा टूटी । वे अतीत की गहरी खाइयों से वर्तमान के धरातल पर आ पहुँचे । सूर्या हाथ में बल्ला लिए उनकी तरफ़ दौड़ता हुआ आ रहा था । उनके नजदीक पहुँचकर तुतलाई बोली में कहने लगा – ताताजी आपतो लदी तो नहीं ? आप बॉल से डरे तो नहीं ? देथा आपने मैंने तैसा चौता मारा । सत्तू ने उसकी औऱ प्यारभरी निगाह से देखा और हँसते हुए कहा – नहीं बेटे , इस गाँव में ठहर गए, ये क्या कम सबूत हैं बहादुरी का जो इस मामूली गेंद की चोट से डर जाऊं….। सत्तू काका अपने घर की ओर चल दिए । संध्या का समय था , गाँव के शिव मंदिर में आरती हो रहीं थीं। घण्टा ध्वनि से वातावरण गुंजायमान हो रहा था । हॉस्पिटल में बैठे शिव भक्त बिहारी यानी बाँके बिहारी मालवीय को दूर से सुनाई देती घण्टा ध्वनि भाव विभोर कर रहीं थीं । एक अद्भुत , सकारात्मक ऊर्जा का अनुभव करते हुए बिहारी ने मन ही मन संकल्प लिया – हे भोलेनाथ ! कभी तो मुझें अवकाश दिलवाओ ताकि मैं भी आरती में उपस्थित हो सकूँ । तभी वार्ड बॉय ने कमरे में प्रवेश किया और बिहारी से कहा – sir एक इमरजेंसी हैं आपको तुरन्त जाना होगा । स्टेथोस्कोप को उठाते हुए बिहारी ने कहा – शंकर जल्दी से मेरे जाने का इंतजाम करो । डिलीवरी केस था , बिहारी ने तत्काल पहुँच कर मरीज को जयपुर रेफर करने की बात कही । हरदयाल मजदूरी करके आजीविका चलाता था । उसके लिए तुरन्त जयपुर जाना सहज नहीं था । बिहारी ने हरदयाल की परिस्थिति को भांप लिया। हरदयाल के कंधे पर हाथ रखते हुए बिहारी बोला – चिंता न करो जयपुर तक ले जाने का जिम्मा मेरा….। जरूरी सामान औऱ मेडिकल रिकॉर्ड रख लो, मैं गाड़ी लेकर आता हूँ । हरदयाल हाथ जोड़कर निःशब्द खड़ा रहा । बिहारी उसके दोनों हाथों पर अपनी हथेली रखकर अपनापन जताते हुए वहाँ से तेजी से आगे बढ़ गया । कुछ ही समय में बिहारी की गाड़ी जयपुर के सवाई मानसिंह अस्पताल के मुख्य द्वार पर जाकर रुक गई । हरदयाल अपनी पत्नी को सहारा देकर चलता हुआ अस्पताल में दाख़िल हुआ। उसके पीछे ही बिहारी था जो फोन को कंधे औऱ कान के बीच लगाए हुए किसी से बात कर रहा था और एक हाथ में फ़ाइल लिए उसमें से जानकारी दे रहा था। हॉस्पिटल की सारी फॉर्मेलिटी को पूरा करके बिहारी ने हरदयाल को फ़ाइल सौपते हुए कहा – अब चिंता की कोई बात नहीं हैं , यहाँ इलाज अच्छे से हो जाएगा । अब मैं चलता हूँ । हरदयाल – मैं आजीवन आपका आभारी रहूँगा कहते हुए बिहारी के पैर छूने के लिए झुका ही था कि बिहारी ने उसे पकड़ते हुए कहा – ये आप क्या कर रहें हैं ? यह तो मेरा फर्ज था। आपको कभी भी मेरी जरूरत महसूस हो तो मुझें फोन लगा लीजिएगा । हरदयाल दूर जाते हुए बिहारी को नम आँखों से देखता रहा । व्यस्तता के लंबे अंतराल के बाद आज शहर में आकर बिहारी को थोड़ी राहत महसूस हुई । बिहारी ने हॉस्पिटल से सीधे सरस पॉइंट की औऱ रूख़ किया। कार पार्क करके तुंरत स्टॉल की औऱ कदम बढ़ा दिए , भीड़ को चीरता हुआ बिहारी स्टॉल पर पहुँच गया उसने अपने पसंदीदा पनीर पकोड़े औऱ लस्सी ऑर्डर की । पनीर पकौड़े का लुफ़्त लेते हुए बिहारी को उसका पुराना दोस्त मिल गया जो जयपुर में ही रहता हैं । हेलो बिहारी…हाऊ डु यु डु ! बिहारी – वैरी वेल, व्हाट अबॉट यू ?? दोस्त – सैम हियर । यार तू तो छुपा रुस्तम निकला नाराज हुँ तुझसे । जयपुर में हैं और बताया भी नहीं। बिहारी – जयपुर में होता तो जरूर बताता । मेरी पोस्टिंग जयपुर के पास चिताणुकलां गाँव में हुई हैं , आज भी काम के सिलसिले में जयपुर आया था। छुट्टी ही नहीं मिल रहीं वरना तुझसे मिलने कब का ही आ गया होता। चिताणुकलां का नाम सुनकर विक्रम के होश उड़ गए। तू वहाँ रह कैसे रहा हैं भाई ? बिहारी हँसते हुए बोला- ” जैसे सब रहते हैं “ विक्रम – अबे वो भूतिया गाँव हैं । बिहारी – ओह ! तो तू भी दकियानूसी अफवाहों को मानता हैं । विक्रम – भाई कसम से ये कोई अफवाह नहीं हैं । चिताणुकलां मेरा ननिहाल हैं , बचपन से कई किस्से सुनते आया हुँ । बिहारी – क़िस्से ही तो अफवाहों की जननी हैं। किसी ने कोई कहानी बनाई , फिर सदियों तक किसी ने फैलाई । कोई तथ्यात्मक सबूत हैं ? विक्रम – (हिचकिचाते हुए) नहीं बस बड़े – बुजुर्गों व कुछ दोस्तों से सुना हैं । बिहारी – यहीं तो , जब तक खुद आँखों से देख न लो , जांच न लो तब तक सच मत मानो । समझे विक्रम द वॉरियर… विक्रम – समझ गया बिहारी द साइंटिस्ट… दोनों मित्र आपस में हँसी ठिठोली करते रहें । बिहारी ने घड़ी देखते हुए कहा – ओह नो , वक़्त का पता ही नहीं चला 12 बज गए । चल मिलते हैं फिर कभी। अभी के लिए गुड बाय । विक्रम – आज रात मेरे घर ठहर जा , सुबह जल्दी चले जाना। वैसे भी रात को कभी भूत दिख गया तो आज ही तेरा सच से सामना हो जाएगा – चुटकी लेते हुए विक्रम ने कहा। बिहारी – अरे नहीं यार , नई पोस्टिंग हैं फिर सरकारी नौकरी । पेशा भी ऐसा हैं की जरा सी चूक औऱ भारी नुकसान। नजाकत को समझते हुए विक्रम ने कहा – ठीक हैं , पहुँचकर फोन करना। विक्रम से अलविदा लेकर बिहारी अपने गाँव की औऱ चल पड़ा । सुनसान सड़क , चारों औऱ घने जंगल डरावने लग रहे थें । बिहारी ने म्यूजिक ऑन कर लिया। संगीत लहरियों से वातावरण बदल सा गया। ” मैं ज़िंदगी का साथ निभाता चला गय….. हर फिक्र को धुँए में उड़ाता चला गया “ बिहारी गाने के साथ खुद भी गुनगुनाता हुआ मस्ती में कार ड्राइव कर रहा था। वह कब चिताणुकलां की सीमा में प्रवेश कर गया उसे पता ही नहीं चला । गाँव में प्रवेश पाते ही उसने साउंड सिस्टम ऑफ कर दिया । वह जानता था कि गाँव में सभी जल्दी सो जाते हैं और म्यूजिक नींद में बाधा पहुँचाएगा । बिहारी को हैंडपंप चलने की आवाज आई। उसे याद आया कि आज तो पीने का पानी भरा ही नहीं , वह कार को हैंडपंप की औऱ ले गया । उसने हैंडपंप के ठीक सामने कार रोक दी और बॉटल लेकर कार से बाहर आया तो देखा हैंडपंप को एक महिला चला रहीं थीं । बिहारी चुपचाप महिला से थोड़ा दूर उसके ठीक पीछे खड़ा होकर अपनी बारी की प्रतीक्षा करने लगा । लगभग 20 मिनट बाद भी जब महिला का घड़ा नहीं भर पाया तो बिहारी हैंडपंप की औऱ आ गया। महिला घूँघट ओढ़े थी इसलिए उम्र का अंदाजा कर पाना मुश्किल था , जिसके कारण सम्बोधित करने में भी समस्या थीं और बिहारी यू भी ब्रह्मचारी स्वभाव का था , वह महिला से बातचीत करने में कतराता था। बिहारी उधेड़बुन में था तभी उसकी नजर घड़े पर पड़ी । आकार के हिसाब से तो घड़े को 5 मिनट में ही भर जाना चाहिए था । ये कौन—सा साइंस हैं ? यह बिहारी की समझ नहीं आया । तभी उसके दिमाग ने काम किया – अरे इनका घड़ा मिट्टी का हैं और इसमें छेद होगा तभी ये भर रहीं हैं पर ये पूरा नहीं हो पा रहा। बिहारी महिला से बोला – लगता हैं आपके घड़े में दरार पड़ गई हैं , तभी यह भरता ही नहीं हैं। आप थक जाएगी हैंडपंप चलाते हुए । महिला ने बिहारी की बात सुनकर हैंडपंप चलाना बंद कर दिया और घड़ा उठाकर जाने लगीं । बिहारी हैरत से देखने लगा – उँगली को होंठ पर रखता हुआ सोचने लगा अगर घड़े में छेद होता तो घड़े से पानी निकलता हुआ दिखता। खैर, जो भी हो पानी लेकर जल्दी से घर पहुँचकर सो जाऊँगा । बॉटल भरकर बिहारी कार में बैठ गया। उसने कार स्टार्ट कर दी। बिहारी अब भी हैंडपंप पर हुए वाक़िये पर विचार कर रहा था। उसके सभी तर्क विफल हो रहें थे । बिहारी वैज्ञानिक ढंग से स्वयं को उदाहरण देकर हर वस्तु की क्रियाविधि के बारे में समझा रहा था। न्यूटन का ये नियम ऐसे लागू होता हैं, अब जैसे कार को ही देखो इसके शीशे भी सजावट के लिए थोड़े ही हैं इसके पीछे भी विज्ञान हैं । कहते हुए जैसे ही बिहारी ने कार के शीशे में देखा तो पाया कि पीछे की सीट पर वहीं हैंडपंप वाली महिला बैठी हैं। बिहारी का ध्यान भटका औऱ उसका संतुलन बिगड़ गया । गाड़ी दाएं – बाएं चलती हुई एक पेड़ से जा टकराई । बिहारी बेहोश हो गया । बिहारी की गाड़ी तेज़ी से पेड़ से टकराई जिसके कारण तेज आवाज से आसपास के घरों के लोग जाग गए । बिखरुं जिसका मकान पेड़ के पास ही था , हड़बड़ी में घर से बाहर निकलकर आया। यहाँ -वहाँ नजर दौड़ाने पर बिहारी की कार पेड़ के पास दिखीं । वह अपने बेटों को आवाज लगाता हुआ दौड़ कर पेड़ के पास पहुँचा । हरिया ….लाला…. जल्दी आओ … डॉक्टर बाबू की गाड़ी पेड़ से जा भिड़ी हैं …जल्दी आओ… शोरगुल से बाक़ी घरों के भी किवाड़ खुलने लगे औऱ चंद मिनटों में ही गाँव वालों का हुजूम इकट्ठा हो गया। बिखरुं के दोनों बेटे हरिया औऱ लाला ने अपनी सूझबूझ से कार का दरवाजा खोला और मूर्छित बिहारी को बाहर निकाला। अचेतावस्था में ही बिहारी को बिखरुं के घर ले जाया गया। बिखरुं की बिटिया चंपा ने तुरन्त खटिया बिछा दी और टेबल फैन लगा दिया । बिहारी को सावधानीपूर्वक खटिया पर लेटा कर हरिया औऱ लाला भीड़ से मुखातिब हो सारा घटनाक्रम सुनाने लगें । शांता ताई – ” हों न हो इसके पीछे पुराना हैंडपंप ही हैं ” सत्तू काका भी आ गए थे । शांता ताई की बात का समर्थन करते हुए बोले – ठीक कहा आपने । मैंने तो पचासों बार इसे उस हैंडपंप पर जाने से रोका पर आज की युवा पीढ़ी किसी की सुनती ही कहाँ हैं…। भीड़ में उपस्थित सबसे वयोवृद्ध राजहुजुर सिंह बोले – घटना के पीछे की वजह तो डॉक्टर साब के होश में आने पर ही पता चलेंगी अभी व्यर्थ की चर्चा करने से क्या लाभ…? सभी ने उनकी बात का सम्मान करते हुए हामी भर दी । पर सबके मन में वजह सिर्फ और सिर्फ पुराना हैंडपंप ही था। सब अपने-अपने घर को लौट गए । पक्षियों के मधुर कलरव औऱ शिव मंदिर की प्रातः आरती की घण्टा ध्वनि से बिहारी की नींद खुली । स्वयं को नई जगह पाकर वह चौंककर उठ बैठा । चंपा हाथ में जल का पात्र लिए मुस्कुराती हुई बिहारी की औऱ आई और कहने लगीं – खम्मा घणी सा बिहारी (सकुचाते हुए) – जी नमस्ते ! मैं यहाँ कैसे…? चंपा – कल आपकी गाड़ी पेड़ से टकरा गई थीं । बेहोशी की हालत में आपको यहाँ लाये थे । आप तो खुद ही डॉक्टर हैं , फिर भी माँ ने कल आपका उपचार कर दिया था। तभी चंपा की माँ चाय लेकर वहाँ आई । बिहारी से हालचाल पूछने लगीं । अब कैसे हो बेटा ? ( चाय का प्याला बिहारी को देते हुए ) बिहारी – जी अब ठीक हुँ , शुक्रिया आप सबने मेरी बहुत खातिरदारी की, मेरा ख्याल रखा । मुझें बहुत जरूरी काम से जयपुर जाना हैं , मैं चलता हुँ .. चाय के घूँट समाप्त कर बिहारी अपने घर की औऱ चल दिया । बिहारी को रात की घटना परेशान कर रहीं थीं । अब तक जिसे वो एक मिथक मान रहा था , वह आईने की तरह साफ हो चुका था । जल्द ही बिहारी पुराना हैंडपंप से जुड़ी सभी बातों को जानना चाहता था। गाँव वाले भी कल हुई घटना की वजह जानने के लिए बिहारी का इंतजार कर रहे थें । बिहारी सबसे बचता हुआ अपने घर आ गया। तुरन्त तैयार होकर जयपुर के लिए रवाना हो गया । बिहारी कार ड्राइव कर रहा था । उसे अब भी यहीं डर था कि कही पीछे मुड़कर देखने पर उसी महिला से फिर से मुलाक़ात न हो जाए । शिवजी को याद करता हुआ बिहारी जयपुर पहुँच गया , विक्रम को कॉल करके उसका पता पूछा । विक्रम ने लोकेशन व्हाट्सएप कर दी। बिहारी ने कार वैशाली नगर की औऱ मोड़ दी । कुछ ही देर में बिहारी विक्रम के घर पहुंच गया। विक्रम पार्किंग लॉट में ही खड़ा था । बिहारी को गले लगाते हुए बोला – क्या बात हैं भाई बहुत जल्दी मेहमाननवाजी का मौका दे दिया । बिहारी – कुछ परेशान सा था , अपने भाव को छुपाता हुआ हल्का सा मुस्कुरा दिया। विक्रम उसे घर के अंदर ले आया। उसने बिहारी का परिचय परिवार के सभी सदस्यों से करवाया । बिहारी ने हाथ जोड़कर सबका अभिवादन किया। कुछ देर इधर- उधर की बातचीत करने के बाद विक्रम बिहारी को अपने रूम में ले गया । विक्रम – भाई तेरी शक़्ल बता रहीं हैं कि कल कुछ कांड हुआ हैं , अब जल्दी बता क्या हुआ कल ? बिहारी ने सारा घटनाक्रम विक्रम को बताया। बिहारी – बस अब तू मेरी इतनी सी मदद कर दे कि मुझे पुराना हैंडपंप का सारा इतिहास बता । विक्रम – वो तो तू नानी की ज़ुबानी सुन ले वो मुझसे ज़्यादा जानती हैं । वो यहीं हमारे साथ रहती हैं । विक्रम औऱ बिहारी नानी के रूम की औऱ चल दिए । नानी पीठ को दीवार से टिकाएं अपने बिस्तर पर बैठि हुई थीं । बिहारी उनके पैर छूकर बोला – नानी मुझें पुराना हैंडपंप की कहानी सुनना हैं । नानी को कहानी – किस्से सुनाने का शौंक था , उत्साहित होकर वे शुरू से पुराना हैंडपंप का इतिहास बताने लगीं । बात उन दिनों की हैं बेटा जब अंग्रेजों का शासन हुआ करता था। अंग्रेजों ने भारत में अनेकों नई – नई तकनीक का विकास किया उन्हीं में से एक हैंडपंप भी थीं। चिताणुकलां आमेर का ही गाँव हैं औऱ उस समय तो राजे रजवाड़े ही होते थे । आमेर रियासत में चिताणुकलां के उधमसिंह सिपहसालार हुआ करते थे उनकी ही देन थीं वह पुराना हैंडपंप। उस समय जाति-पाती का भेदभाव भी बहुत हुआ करता था । पुराना हैंडपंप सिर्फ संभ्रात वर्ग के लिए ही हुआ करता था, बाकी के लोग जल संकट के समय दूर गाँव जाया करते थे। ऐसे ही एक बार झलकारी जो कि एक निर्धन परिवार की महिला थीं उस पुराना हैंडपंप पर आई , उसने बहुत मिन्नतें की, एक घड़ा जल भरने दो मेरा बच्चा प्यास से व्याकुल हो रहा हैं । लेकिन किसी ने उसकी एक न सुनी । उल्टा यह कह दिया – अपने कुँए से पानी लो । सूख गया हैं तो तुम्हारी समस्या हैं । वह बेचारी घड़ा लेकर पास के गाँव की औऱ दौड़ी । जब तक वह पानी लेकर आई उसके बेटे के प्राण पखेरू उड़ चूंके थे । यह सदमा वह बर्दाश्त न कर सकी औऱ घड़े सहित धड़ाम से गिर गई । माँ की ममता ही थीं कि गिरते ही झलकारी के प्राण निकल गए । उसके बाद से ही झलकारी पुराना हैंडपंप पर दिखाई देने लगीं । धीरे – धीरे लोगों ने वहाँ से पानी भरना छोड़ दिया । बिहारी – नानी, झलकारी बाई हमेशा ऐसे ही रहेंगी ? नानी – नहीं बेटा , अगर कोई हिम्मतवाला उससे उस समय पानी मांगें जब वो हैंडपंप पर पानी भर रहीं हो औऱ याचना पर वह निर्विरोध प्यासे की प्यास बुझा दे तो उसकी मुक्ति हो जाएगी । बिहारी – धन्यवाद नानी । अब आप सबसे आज्ञा चाहूंगा , जल्द ही फिर आऊंगा कह कर बिहारी ने विदा ली । सूर्यास्त होने में कुछ ही समय बाक़ी था । बिहारी चिताणुकलां की औऱ तेज गति से गाड़ी चलाता हुआ जा रहा था । उसके चेहरे पर संतोष के भाव थे। संध्या का समय था शिव मंदिर पर आरती की तैयारी चल रही थीं । बिहारी ने कार मंदिर के सामने रोक दी । आरती समाप्ति के बाद बिहारी ने संकल्प लिया कि – हे शिव अगर मेरे भाव सच्चे हैं तो मुझें मेरे कार्य में सफलता मिले । मैं अब तब ही जल ग्रहण करूंगा जब झलकारी बाई मुझें पानी पिलायेंगी । कठोर संकल्प लिए बिहारी अपने घर आ गया । उसने कमरे में आते ही दरवाजे की कुंडी लगा दी । फिलहाल वह किसी से भी बात कर पाने की स्थिति में नहीं था। बिहारी का कंठ सूखने लगा , अब बिना पानी के रहना मुश्किल हो रहा था। रात के 11 बज रहे थें । बिहारी को झलकारी का बेसब्री से इंतजार था। रात करीब 12:30 बजे बिहारी घर से निकला औऱ पुराना हैंडपंप की औऱ चल दिया । बिहारी का चेहरा मुरझा गया था । अब तो उसके चलने की गति भी धीमी हो गई थीं । हैंडपंप पर कोई नहीं था । बिहारी सारी रात वहीं इंतज़ार करता रहा । गाँव में बिहारी के जल त्याग की बात जंगल की आग की तरह फैल गई। बिहारी को लोग समझाने लगे क्यों अपनी जान जोखिम में डाल रहे हो? जब बिहारी किसी से भी नहीं माना तो सत्तू काका ने उसे अंगूर औऱ संतरे देते हुए कहा – जल त्यागा हैं फल नहीं । ये खाते रहो प्यास बुझेगी औऱ एनर्जी बनी रहेंगी । रात करीब 1 बजे बिहारी हैंडपंप की औऱ गया । हैंडपंप चलने की आवाज ने बिहारी के शरीर में स्फूर्ति पैदा कर दी , वह तेज गति से हैंडपंप पहुँच गया। वहाँ घूँघट ओढ़े वहीं महिला घड़ा भर रहीं थीं । बिहारी महिला के पास जाकर धीरे से बोला – मैं आज अपनी बोतल लाना भूल गया , आप मुझें घड़े से पानी पिला देंगी ? महिला कुछ नहीं बोली – लगातार हैंडपंप चलाती रहीं । गाँव वाले भी अपने घरों से ये दृश्य देख रहे थे। महिला घड़ा लेकर जाने लगीं । बिहारी समझ गया की उसका संकल्प पूरा नहीं हो पाएगा । उम्मीद टूटने के साथ ही उसकी शक्ति ने भी जवाब दे दिया। माँ – माँ चिल्लाता हुआ वह जमीन पर गिर पड़ा , प्यास से तड़पता हुआ बिहारी अचेत होने लगा। तभी उसे महसूस हुआ कि किसी ने उसका सिर उठाकर गोद में रख लिया । अधखुली आँखों से बिहारी को धुँधली छबि दिखाई दी । वहीं घूँघट वाली महिला थीं , जो बिहारी के सिर को सहला रहीं थीं , बिहारी के मुहँ को अपने आँचल से पोछ रहीं थीं । उसने अपने घड़े से पानी लेकर अपने हाथ की अंजुली में भरकर बिहारी को पानी पिलाया । बिहारी गटागट पानी पीने लगा । जब वह तृप्त हो गया और उसकी प्यास बुझ गई तो वह हैंडपंप के चारो औऱ बनी मेड़ का सहारा लेकर बैठ गया । उसने देखा पानी का घड़ा तेज आवाज के साथ टूट गया औऱ झलकारी की आकृति विलुप्त हो गई । अब पुराना हैंडपंप बिहारी की तरह सबके लिए सुलभ हो गया था । लेखक— वैदेही वैष्णव —————————– नोट— ‘कहानी का कोना’ में प्रकाशित अन्य लेखकों की कहानियों को छापने का उद्देश्य उनको प्रोत्साहन देना हैं। साथ ही इस मंच के माध्यम से पाठकों को भी नई रचनाएं पढ़ने को मिल सकेगी। इन लेखकों द्वारा रचित कहानी की विषय वस्तु उनकी अपनी सोच हैं। इसके लिए ‘कहानी का कोना’ किसी भी रुप में जिम्मेदार नहीं हैं…। 1 comment 0 FacebookTwitterPinterestEmail Teena Sharma Madhvi previous post एक पुराना ‘हैंडपंप’… next post कबिलाई— एक ‘प्रेम’ कथा Related Posts छत्तीसगढ़ का भांचा राम August 29, 2024 विनेश फोगाट ओलंपिक में अयोग्य घोषित August 7, 2024 वैदेही माध्यमिक विद्यालय May 10, 2024 राम मंदिर प्राण-प्रतिष्ठा January 29, 2024 राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा January 22, 2024 राम मंदिर प्राण-प्रतिष्ठा January 21, 2024 समर्पण October 28, 2023 विंड चाइम्स September 18, 2023 रक्षाबंधन: दिल के रिश्ते ही हैं सच्चे रिश्ते August 30, 2023 गाथा: श्री घुश्मेश्वर महादेव August 13, 2023 1 comment भटकती आत्मा… - Kahani ka kona February 28, 2022 - 8:34 am […] सही कहती थी कि इस घर में कोई आत्मा हैं। एक पुराना ‘हैंडपंप’..पार्ट—2 हवन में विघ्न आने की वजह भी मिसेज़ […] Reply Leave a Comment Cancel Reply Save my name, email, and website in this browser for the next time I comment.