कहानियाँज्वलंत मुद्ददे ‘पिता’ को बलिदान का तोहफा…. by Teena Sharma Madhvi June 21, 2020 written by Teena Sharma Madhvi June 21, 2020 दिल रो रहा है…आत्मा फट रही हैं….आंसूओं का सैलाब है जो थमने का नाम ही नहीं ले रहा हैं। जिन कांधों पर बैठाकर उसे बचपन में घुमाया था…आज उन्हीं कांधों पर उसकी अर्थी को उठाकर जा रहा हैं एक बाप…। अपने जिगर के टुकड़े से अभी बहुत कुछ सुनना और देखना बाकी था। बहुत सारी बातें थी जो एक बाप अपने बेटे से और एक बेटा अपने बाप से करना चाहता था। लेकिन सुनने और सुनाने के लिए अब इस पिता के पास अपना बेटा नहीं हैं। किससे कहेगा मन की बात…सुख और दु:ख के पल अब किससे करेगा साझा….। ये कहानी है उन तमाम पिताओं की। जिनके बेटे देश पर मर मिटे हैं…ये कहानी हैं उन पिताओं की जिनकी बूढ़ी आंखों में अपने बेटे का ज़ख्मी चेहरा हैं…ये कहानी हैं उन पिताओं के दर्द की जिसकी दवा नहीं….। बस इनके दिलों में एक ही आवाज़ का शोर शेष रह गया है जो चीख—चीखकर कह रही हैं कि देश पर मर मिटने वाले कभी मरा नहीं करते…। अपने बेटों की यादों में ही इन्हें अपनी सारी ज़िंदगी गुज़ारनी होगी। आज ‘फादर्स—डे’ हैं। और देश, दुनिया में इसे अलग—अलग रुप में सेलिब्रेट किया जा रहा है। कहीं कोई अपने पिता को फूल देकर तो कोई चॉकलेट या फिर कुछ और गिफ्ट देकर इस दिन को मना रहा है। लेकिन आज शहीदों के पिता के हाथों में हैं वो गिफ्ट जो हर बेटा नहीं देता। फौजी की वो ड्रेस और वो तिरंगा जिसमें लिपटकर घर लौटा हैं बेटा..। जिसे सिने से लगाकर गर्व पा रहा है वो पिता…। आज दिल नमन करता हैं उन पिताओं को जिनके बेटे शहीद हुए हैं जो कभी—भी लौटकर नहीं आएंगे। श्रृद्धांजलि हैं उन वीर सपूतों को जिन्होंने अपने मां—पिता और घर—परिवार से बढ़कर देश के नाम खुद को समर्पित किया। हम और आप सिर्फ इनके दर्द को महसूस कर सकते हैं। लेकिन सोचिए ज़रा उस पिता के बारे में जिसकी आंखें हमेशा उस दरवाजें पर टिकी रहेंगी जिससे उनका बेटा आख़िरी बार निकलकर गया था…। वो पिता जिसके बेटे ने कहा था कि ‘मैं जल्द ही घर आऊंगा और आपके दिल का इलाज कराऊंगा लेकिन आज इस पिता के दिल को बेटे के चले जाने का जो ज़ख्म मिला हैं उसका इलाज कैसे होगा….। एक पिता वो भी हैं जिसे अभी कुछ दिन पहले ही बाप बनने का सौभाग्य मिला था… जिसने अभी अपने अंश के नन्हें स्पर्श का अहसास भी नहीं पाया था वो हमेशा के लिए उसे इस दुनिया में छोड़कर चला गया…। कैसे भूल पाएगी वो नन्हीं जान अपने पिता के इस बलिदान को…। क्या अपने पिता को नहीं देख पाने का दर्द उसे उम्र भर नहीं रुलाएगा…। ऐसी तमाम ख्वाहिशें होती हैं जो सिर्फ एक पिता ही पूरी करता है। पिता को एक छत के रुप में माना जाता हैं। और जब ये छत ही ना रहें तो उस बेटे का क्या होता होगा…। और जब इस छत के साये में पलने, बढ़ने वाला बेटा ही ना हो तो उस पिता के जीवन के क्या मायने रह जाते होंगे…। बाप और बेटे के बीच एक भावनात्मक रिश्ता होता हैं जिसे सिर्फ एक दिन में नहीं बांधा जा सकता है। हां, अपना प्यार और सम्मान जतानें का ये सिर्फ एक तरीका ज़रुर हो सकता है। आज का ये ब्लॉग समर्पित हैं उन सभी पिताओं को जिन्होंने अपने आंगन का चिराग खोया है…ये ब्लॉग समर्पित हैं उन पिताओं को जो अपने बच्चों को हमेशा के लिए अकेला छोड़कर देश पर कुर्बान हो चलें है। देश के लाखों करोड़ों दिलों में कर्नल संतोष बाबू, सूबेदार एन. सोरेन, नायाब सूबेदार मंदीप सिंह, नायाब सूबेदार सतनाम सिंह, हवलदार सुनील कुमार, हवलदार बिपुल राय, हवलदार के.पलानी, नायक दीपक कुमार, सिपाही गणेश राम, सिपाही अंकुश, सिपाही जयकिशोर, सिपाही कुंदन कुमार, सिपाही कुंदन ओझा, सिपाही राजेश ओरांग, सिपाही गुरबिंदर सिंह, सिपाही गुरतेज सिंह, सिपाही चंद्रकांत, सिपाही गणेश हंसदा, सिपाही अमन सिंह, सिपाही चंदन कुमार का बलिदान हमेशा याद रहेगा। आज हर शब्द श्रृंद्धाजंलि है इन सभी शहीदोें को जो 15 जून 2020 को लद्दाख की गलवान घाटी में भारत—चीन के बीच हुई हिंसक झड़प में शहीद हुए है। कुछ और कहानियां— खाली रह गया ‘खल्या’ लाला की दुकान अब भी है चालू 1 comment 0 FacebookTwitterPinterestEmail Teena Sharma Madhvi previous post ‘सैनिक’ सीमा पर, देश के अंदर ‘हम’ मोर्चे पर… next post ‘मां’ की भावनाओं का ‘टोटल इन्वेस्टमेंट’ Related Posts अपनत्व April 12, 2023 प्यार के रंग March 13, 2023 बकाया आठ सौ रुपए March 1, 2023 एक-एक ख़त…बस February 20, 2023 प्रतीक्षा में पहला पत्र February 16, 2023 लघुकथा—सौंदर्य February 11, 2023 एक शाम January 20, 2023 गुटकी January 13, 2023 कुछ पन्ने इश्क़ December 30, 2022 कहानी स्नेह का आंगन December 23, 2022 1 comment Vaidehi-वैदेही June 21, 2020 - 8:59 am सादर नमन 🙏🏻अश्रुपूरित श्रद्धांजलि 💐🇮🇳 Reply Leave a Comment Cancel Reply Save my name, email, and website in this browser for the next time I comment.