कहानियाँलॉकडाउन में सच्ची कहानियाँ लॉकडाउन में रिश्तों की ‘एंट्री’ by Teena Sharma Madhvi March 26, 2020 written by Teena Sharma Madhvi March 26, 2020 आज सुबह से ही शोभना का दिल बेहद घबरा रहा था। लेकिन इस घबराहट में कहीं भी बुरे ख्याल या डर जैसा अहसास नहीं था। बस उसे बार—बार कुछ अलग होने का आभास हो रहा था। वह सोच में थी। लगभग पंद्रह साल बीत गए और इन बीते सालों में कभी—भी उन्होंने ख़ैर ख़बर नहीं ली। कहां होंगे, कैसे होंगे, क्या करते होंगे…। बस ये ही सवाल आते और जाते रहे। उसे बस इस बात की ही चिंता सताए जा रही थी कि ऐसे हालातों में आख़िर वो कैसे होंगे। तभी शोभना के बेटे अमित ने उसे आवाज़ लगाई। मां चाय पीओगी, मैं अपने लिए बना रहा हूं। शोभना ने कहा हां बेटा बना लें, बस चीनी थोड़ी कम डालना। इस वक़्त मीठा कम ही लें तो अच्छा है। बार—बार टीवी पर इम्यूनिटी बढ़ाने की बातें हो रही है। हमारी तरफ से ज़रा सी भी लापरवाही नहीं होनी चाहिए। अमित ने भी रसोईघर से चिल्लाकर कहा, हां मां हां…। तुम चिंता मत करो..किसी को भी कुछ नहीं होगा। थोड़े दिन में ये संकट टल जाएगा। तभी शोभना ने लंबी सांस ली, हां बेटा बस जल्दी ही समय टल जाए। दोनों मां—बेटे एक—साथ बैठकर चाय पीते है। तभी अचानक से घर के दरवाजे की घंटी बजी। शोभना दरवाजा खोलने के लिए उठती है। तभी अमित कहता है तुम बैठो मां, मैं देखता हूं और फिर वह दरवाजा खोलता है। लेकिन दरवाजा खोलते ही वह हैरान था। बिना पलके झपकाएं उसकी आंखे एकटक देख रही थी। तभी शोभना ने पूछा अरे कौन है। जब अमित ने कुछ नहीं बोला तब शोभना बाहर आई और दरवाजे पर खड़े व्यक्ति को देखा, अमित चुप खड़ा था और अब शोभना भी चौंकी हुई थी। दरवाजे पर खड़ा व्यक्ति और कोई नहीं बल्कि उसका पति सुनील था। लंबी दाड़ी, बड़े हुए बाल और दुबला पतला शरीर। एक हाथ में पानी की बोतल और दूसरे हाथ के कंधे पर टंगा हुआ एक छोटा सा बैग। शोभना ने अपनी शून्यता तोड़ी और उसे अंदर आने को कहा। शोभना ने बेटे अमित को पानी लाने को कहा। सुनील ने पानी पीया और शोभना से पूछा कि कैसे हो तुम दोनों। क्या जवाब देती शोभना…पिछले पंद्रह सालों से अपने बेटे के साथ अकेली रह रही थी। आज उसे सुनील के इस सवाल पर बेहद हैरानी थी लेकिन सुनील की बुरी हालत देखकर वो क्या बोलती। सिर्फ इतना ही कह पाई हम दोनों तो ठीक हैं लेकिन तुम्हारी हालत ठीक नहीं लगती। सुनील ने चारों तरफ देखा फिर गर्दन नीचे करते हुए बोला, शायद अब ठीक हो जाऊं। तुम दोनों को जो देख लिया है। सुनील ने अपने बेटे अमित को अपने पास बुलाया उसके सिर पर हाथ रखा..उसे नीचे से लेकर ऊपर तक देखा और बोला कि, तुम तो बहुत बड़े हो गए हो। अमित ने अपने पिता की आंखों में आंखे डालकर देखा और बोला… हां पापा 25 साल का हो गया हूं। जब आपने छोड़ा था तब सिर्फ दस साल का था। ये कहकर वो अपने कमरे में चला गया। सुनील अपने बेटे की बात सुनकर खुद पर शर्मशार था। जिस वक़्त उसके बेटे को उसकी बेहद ज़रुरत थी तब वो उसके पास नहीं था लेकिन आज वो एक जवान लड़का है जो ख़ुद अपना और मां का ख्याल रखने के लिए सक्षम है। वो शोभना के सामने हाथ जोड़कर कहता है मुझे माफ कर दो..मैं तुम दोनों का गुनहगार हूं। लेकिन आज मुझे अपने परिवार की ज़रुरत है। जिस शराब की खातिर मैं भटक गया था और तुम दोनों को अपने घर से धक्का देकर निकाल दिया था। आज उसी की वजह से ना तो मेरे पास घर रहा और ना ही पैसा। फुटपाथ पर समय गुज़ार रहा था। लेकिन आज जब पूरे देश में विकट हालात है। और एक वायरस ने जब लोगों को अपने परिवार के साथ रहने की स्थितियां पैदा कर दी तो मुझसे रहा नहीं गया। और मैं तुम लोगों को ढुंढता हुआ यहां चला आया। मैं संभल गया हूं शोभना। परिवार से बढ़कर कोई च़ीज नहीं। मुश्किल घड़ी में जब सभी लोगों को अपने बीवी, बच्चों और मां—बाप के साथ देख रहा हूं तो ख़ुद को बेहद अकेला पाता हूं। मुझे उम्मीद है तुम और बेटा अमित मुझे अपना लोगें। शोभना जो अब तक सिर्फ सुनील की बातें सुन रही थी। आज इस हालात में वो अब सुनील को क्या कहे। धक्का देकर उसे घर से निकाल दें तो फिर सुनील और उसमें क्या फर्क रह जाता। शोभना ने सुनील से कहा कि..तुम बीते हुए पंद्रह सालों का सुकून और खुशियां नहीं लौटा सकते। और ना ही मेरे बेटे के बचपन की कमी को पूरा कर सकते हो। उसका बचपन एक पिता के प्यार से हमेशा के लिए महरुम ही रह गया..। मैं तो शायद एक पत्नी होने के नाते तुम्हें माफ कर दूं। लेकिन अमित शायद ना करें…। लेकिन आज जब जीवन का ही भरोसा नहीं रहा तो फिर तुमसे क्या शिकायत करुं। संघर्ष के उन पलों को भूलाना हम दोनों मां बेटे के लिए आसान नहीं है। तुम्हारे धक्का दिए जाने के बाद हमनें फुटपाथ पर दिन बिताएं। फिर आश्रयघर और धर्मशाला में रहकर समय निकाला। गुरुद्वारे में जाकर लंगर का खाना खाकर पेट भरा। ग्रेजुएट थी इसीलिए एक स्कूल में टीचर की नौकरी मिल गई। लेकिन अमित की पढ़ाई और घर खर्च के लिए नौकरी ही काफी नहीं थी। इसाीलिए घर—घर जाकर बच्चों की ट्यूशन ली। आज तुम्हारा बेटा इंजीनियर है। हमारे पास ख़ुद का घर है लेकिन यहां तक का सफर हमारे लिए आसान नहीं था। अब हम दोनों मां—बेटा एक—दूसरे की आदत बन गए है। हमें आज किसी की कमी महसूस नहीं होती। अब तो बस ये ही कह सकती हूं। हमारे साथ ही रहो और भूल जाओ उन पलों को जिसमें कड़वी यादों के सिवा कुछ नहीं। और ईश्वर से प्रार्थना करो कि हमारे साथ—साथ पूरे विश्व को इस संकट की घड़ी में वायरस अटैक से बचाएं। आज अपने मतभेद दिखाने का वक़्त नहीं है। बल्कि मनभेद को दूर करके साथ चलने का वक़्त है। मुझे अब तुमसे कोई शिकायत नहीं लेकिन अब से जो भी पल हम साथ बिताएं उसे सिर्फ जीएं…। न जानें अगले ही पल क्या हो जाएं…। शोभना ये कहकर रसोईघर में चली गई और सुनील के लिए भोजन की तैयारी करने लगी। सुनील को आए हुए एक सप्ताह बीत गया। इन तीनों का जीवन अब एक सामान्य परिवार की तरह चलने लगा है। इधर, सुनील मन ही मन पश्चाताप के आंसू रो रहा था और उसे अहसास हुआ कि उसने बीते पंद्रह सालों में क्या खो दिया था। परिवार से बढ़कर कुछ नहीं है। शायद… यह महज सुनील और शोभना की ही कहानी नहीं है, बल्कि ऐसे कई परिवारों की दास्तां है, जो अब तक किसी विवाद के चलते एक दूसरे से दूर रहकर जीवन बिता रहे थे, लेकिन कोरोना वायरस और लॉकडाउन के चलते अपने घर या अपनों के पास लौट आए हैं। यानि कि लॉकडाउन ने परिवार में बिखरे और बिसरे हुए रिश्तों की फिर से एंट्री करा दी हैं। कुछ और कहानियां— नहीं चुकाऊंगी ‘झगड़ा’ 10 comments 0 FacebookTwitterPinterestEmail Teena Sharma Madhvi previous post दम तोड़ता ‘सवाल’ next post लॉकडाउन में जीवन की ‘कोलाहल’ Related Posts अपनत्व April 12, 2023 प्यार के रंग March 13, 2023 बकाया आठ सौ रुपए March 1, 2023 एक-एक ख़त…बस February 20, 2023 प्रतीक्षा में पहला पत्र February 16, 2023 लघुकथा—सौंदर्य February 11, 2023 एक शाम January 20, 2023 गुटकी January 13, 2023 कुछ पन्ने इश्क़ December 30, 2022 कहानी स्नेह का आंगन December 23, 2022 10 comments Unknown March 26, 2020 - 10:45 am Nice ek accha pryas Reply Prashant sharma March 26, 2020 - 10:56 am बहुत ही खूब दीदी। अच्छा विचार। उससे भी अच्छा शब्द संयोजन। Reply shailendra March 26, 2020 - 11:07 am बहुत सुंदर व्याख्या Reply Teena Sharma madhavi March 26, 2020 - 11:20 am Heart touching story.. like always Reply Teena Sharma 'Madhvi' April 6, 2020 - 11:04 am Thankuu so much Reply Teena Sharma 'Madhvi' April 14, 2020 - 1:36 pm जी बहुत—बहुत धन्यवाद। अगली बार प्लीज अपना नाम जरुर लिखें। मुझे आपको संबोधित करना आसान रहेगा। Reply Teena Sharma 'Madhvi' April 14, 2020 - 1:37 pm thankuu so much Reply Teena Sharma 'Madhvi' April 14, 2020 - 1:37 pm thankuu so much Reply Teena Sharma 'Madhvi' April 14, 2020 - 1:38 pm thankuu so much Reply Vaidehi-वैदेही June 3, 2020 - 9:22 am Nice story Reply Leave a Comment Cancel Reply Save my name, email, and website in this browser for the next time I comment.