स्कूल आ गया ‘घर’ …

by Teena Sharma Madhvi

      इन दिनों हर घर में एक स्कूल चल रहा है। जिसकी प्रिंसीपल भी ‘मां’ हैं और क्लास ​टीचर भी ‘मां’ ही है। लेकिन ये इतना आसान नहीं है। हमें समझना होगा उस औरत और मां की मन:स्थिति को ​जो सुबह उठने से लेकर रात को सोने तक एक मशीन की तरह चल रही है। दो से तीन घंटे नॉन स्टॉप बच्चों को पढ़ाना फिर घर का सारा काम मैनेज करना आखिर कितनी क्लासेस को पूरा करेंगी ये मां? 

सीबीएसई ने कक्षा 9 से 12वीं तक का सिलेबस 30 प्रतिशत घटा दिया हैं। इससे बच्चों को निश्चित ही राहत मिलेगी लेकिन कक्षा 1 से 8वीं तक की पढ़ाई में भी लचीलापन हो जिससे बच्चों और मां दोनों को राहत मिल सके। क्योंकि छोटी क्लास के बच्चों के साथ बहुत माथापच्ची करनी होती है। खासकर तब जब कि बच्चे घर में रहते हुए ही पढ़ाई कर रहे हो। 
   
            स्कूल जाने से बच्चों का एक रुटिन था और पढ़ाई के घंटे भी तय थे लेकिन घर पर बैठकर ऑनलाइन क्लास लेने से घर की औरत का पूरा रुटिन डिस्टर्ब हो गया है। ऑनलाइन क्लासेस अधिकतर सुबह 9 बजे से 12 और 1 बजे तक लग रही है। ऐसे में मां कब इनके लिए नाश्ता बनाएं और ​कब खाना? रोज़ रोज़ बच्चों से ज़्यादा तो मां की क्लास लग रही है लेकिन कब तक ये मां घर और स्कूल की क्लास के बीच तालमेल बैठा सकेगी…आखिर कब तक…? निश्चित ही कोविड—19 एक ‘सिचुएशन’ हैं लेकिन इसकी ‘धूरी’ सिर्फ औरत और मां ही क्यूं हैं…। 

शायद मिलकर काम करने से इस परिस्थिति से लड़ा जा सकेगा…और ‘मां’ के लिए भी घर और ये ऑनलाइन क्लास वाला स्कूल चलाना आसान हो सकेगा….। 
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टीना शर्मा ‘माधवी’

(फाउंडर) कहानी का कोना(kahanikakona.com ) 

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