कहानियाँप्रासंगिक 2021 की दस्तक जो हैं…. by Teena Sharma Madhvi December 31, 2020 written by Teena Sharma Madhvi December 31, 2020 अलविदा—2020 दोष तुम्हारा नहीं था। दोषी तो वो परिस्थितियां थी जब ‘कोरोना’ एक ‘काल’ बनकर आया था। तुम तो महज़ एक अंकों का क्रम हो। आज जैसे तुम 20 हो, वो कल वैसे ही 21 होगा…। लेकिन ये भी सच हैं कि जो आया हैं वो जाएगा। बस इसीलिए तुम जा रहे हो..। तुमसे कोई गिला—शिकवा नहीं हैं…। वो यादें ही कड़वी थी जब कोरोना ने कई ज़िंदगियों को हमसे छिन लिया…वो हालात ही मजबूर थे जब भूख से ज़िंदगियां तड़प रही थी…वो यादें ही बुरी थी जिसने हाथों से काम छिनकर नंगे पैर चलने को मजबूर किया था। तुमसे कैसी शिकायत…। शिकायत तो उन परिस्थितियों से हमेशा रहेगी जब चाहकर भी किसी की मदद नहीं कर सके और ना ही अपने लिए किसी को बुला सके..। बस चार दिवारी में लॉक होकर अपनी खिड़कियों से झांककर कोरोना का तांडव देखते रहे। चारों तरह सन्नाटा ज़रुर पसरा हुआ था लेकिन भीतर बहुत शोर था…। मन बैचेन था और दिल अपनों से मिलने के लिए तड़प रहा था…। अफसोस ये रहेगा कि तुम्हारें क्रम में बनीं यादें कोरोना की गवाह रही हैं….। शायद प्रकृति का यही नियम हैं। तुम न होते तो शायद कोई और क्रम होता…। कोराना ने तुम्हारें समय में प्रवेश किया हैं इसीलिए तुम ‘2020’ नाम के साथ बदनाम हो गए…। मन में तुम कोई मलाल न रखना क्योंकि अब बारी तुमसे अगले क्रम की हैं। अब 2021 को कोरोना के एक नए रुप का सामना करना हैं। हमें तो अब भी संभलकर ही चलना हैं। स्वागत तो हम इस क्रम का भी वैसे ही करेंगे जैसा तुम्हारा किया था। लेकिन इस क्रम से हमारी बेहद उम्मीदें हैं। सवाल जिंदगियों का हैं…। जो हर क्रम का ‘हैप्पी न्यू ईयर’ के रुप में स्वागत करती हैं। हमें तो ‘स्ट्रेन’ से भी सतर्क रहकर ही चलना होगा। हमारे भीतर हौंसला न होता तो टूटकर बिखर गई होती सारी ज़िंदगियां…। लेकिन अब भी डटकर खड़े हैं..। बस 2021 से एक आशा और उम्मीद की किरण जागी हैं कि वो हमारे लिए ‘वैक्सीन’ के रुप में खुशी लेकर आ रहा हैं। जिसका हम सभी को बेसब्री से इंतज़ार हैं। अब हममें से कोई भी किसी अपने को खोना नहीं चाहता हैं…रुखी—सुखी खाकर और कम में ही गुज़र बस कर लेंगे लेकिन अपनों के साथ…। स्वागत हैं ‘2021’ तुम्हारा…बस तुम साथ निभाना और अपने क्रम को यादगार बनाना…। 2 comments 0 FacebookTwitterPinterestEmail Teena Sharma Madhvi previous post अन्नदाता की हांफती सांसों की कीमत क्या…? next post स्वदेशी खेल…राह मुश्किल Related Posts अपनत्व April 12, 2023 प्यार के रंग March 13, 2023 बकाया आठ सौ रुपए March 1, 2023 एक-एक ख़त…बस February 20, 2023 प्रतीक्षा में पहला पत्र February 16, 2023 लघुकथा—सौंदर्य February 11, 2023 एक शाम January 20, 2023 गुटकी January 13, 2023 कुछ पन्ने इश्क़ December 30, 2022 कहानी स्नेह का आंगन December 23, 2022 2 comments Vaidehi-वैदेही December 31, 2020 - 11:57 am प्रकृति ने सही साल (2020)चुना था मनुष्य को सबक सिखाने के लिए।मनुष्य हर काम को शार्ट में निपटाना चाहता हैं। इस बार प्रकृति 2020 खेल गई…. Reply Teena Sharma 'Madhvi' January 1, 2021 - 8:25 am Bilkul sahi bat he Reply Leave a Comment Cancel Reply Save my name, email, and website in this browser for the next time I comment.