कहानियाँहॉरर एक पुराना ‘हैंडपंप’… by Teena Sharma Madhvi May 29, 2021 written by Teena Sharma Madhvi May 29, 2021 ‘कहानी का कोना’ में पढ़िए- वैदेही वैष्णव द्वारा लिखित ‘एक पुराना हैंडपंप’… बिहारी एक सीधा व सरल स्वभाव का इंसान हैं , जो पेशे से डॉक्टर हैं जिसकी नियुक्ति हाल ही में राजस्थान के एक गाँव चिताणुकलां में हुई हैं। उम्र यहीं कोई 30-32 होंगी। टीना शर्मा’ माधवी’ लक्ष्य प्राप्ति के जुनून के कारण अभी तक कुँवारे ही हैं। इसलिए उन्हें गाँव में रहने में रोज किसी न किसी समस्या का सामना करना पड़ता। कभी समय पर भोजन नहीं बन पाता, कभी पीने का पानी खत्म हो जाता। ऐसी कई समस्याएं रोज की बात हो गई थीं। शहर में तो कई होटल- रेस्तरां देर रात तक खुले मिल जाते पर यहाँ तो सूर्यास्त के बाद ही सन्नाटा पसर जाता। गाँव में एक बहुत ही पुराना हैंडपंप था, जो बिहारी के घर से कुछ ही दूरी पर था। बस एक यहीं हैंडपंप बिहारी के लिए सुलभ था जहाँ से उसके पीने के पानी की समस्या तुरन्त हल हो जाया करतीं थीं । बिहारी के अतिरिक्त इक्के—दुक्के लोग ही उस हैंडपंप से पानी लिया करते थे। वजह थीं हैंडपंप से जुड़ी एक कहानी जो भूत से संबंधित थीं । कई बार बिहारी जब पानी के लिए हैंडपंप पर जाता तो चौपाल पर बैठें सत्तू काका उसे वहाँ न जाने की हिदायत देते और कहते बेटा मेरे घर कुआं हैं वहाँ चले जाया करो थोड़ी ही दूर तो हैं, फिर तुम ठहरे गबरू जवान तो कोई समस्या भी नहीं होंगी थोड़ा और चल लेने पर । बिहारी हँसकर काका से कहता – क्या काका आप भी विज्ञान के युग में ऐसी मनगढ़ंत कहानी पर अब तक विश्वास किए हुए हो। ये सब फिजूल की अफवाह हैं जिसे उस दौर में फैलाया गया होगा जब पानी की किल्लत के कारण दूसरे गाँव जाना पड़ता था। ये कहानी जरूर किसी आलसी व्यक्ति के दिमाग की उपज रहीं होगी जो लोगो को डरा कर खुद यहाँ से पानी भरता होगा। सत्तू काका को कई बार बिहारी की बात सही भी लगतीं फिर उनके ज़ेहन में वह घटना किसी बिजली की तरह कौंध उठती जो बारिश के समय देर रात को अपने घर लौटते समय उनके साथ घटित हुई थीं । बात उन दिनों की हैं जब सत्तू काका यानी सत्यप्रकाश त्रिपाठी युवा थे और नौकरी के लिए जयपुर जाते थे। बारिश के दिन थे। तेज बारिश के कारण सत्यप्रकाश आज अपने दफ्तर में ही बैठे बारिश रुकने का इंतजार कर रहें थे। लेकिन बारिश भी मानो उन्हें चिढ़ा रहीं हो, बिजली की गड़गड़ाहट के साथ बारिश भी तेज होने लगीं। सत्यप्रकाश के सब्र का बांध भी टूट गया, छाता उठाकर चपरासी से राम-राम कहकर वे अपने गाँव चिताणुकलां की औऱ चल दिए। दुपहिया वाहन के चालक के लिए छाता किसी काम का नहीं होता, यह सोचकर अपना छाता बंद करके गाड़ी स्टार्ट करते हुए खुद से ही बुदबुदाते हुए कहने लगे – चलिए सत्तू महाराज आपकी पालकी तैयार हैं । सत्तू को अपनी गाड़ी की धीमी चाल पर बड़ी चिढ़ हुआ करतीं थीं, इसलिए वह इसकी तुलना बैलगाड़ी से न करते हुए पालकी से करते। बारिश भी अब कुछ कम हो गई थीं । शहर की चकाचौंध अब पीछे रह गई थीं— ग्रामीण क्षेत्र लगते ही सड़क औऱ रौशनी की समस्या शुरू हो जाती थीं , चारो तरह खेत या फिर घने जंगल ही मिलते। …..और मीलों दूर तक फैला सन्नाटा जिसमें सांय – सांय करती हवा की आवाज बड़ी ही भयानक लगती। अपने गाँव की सीमा में प्रवेश करते ही सत्यप्रकाश को ऐसा महसूस होता जैसे कोई किला फतह कर लिया हो। ऐसे ही गौरवान्वित होते हुए उनकी नजर पुराने हैंडपंप पर पड़ी। वहाँ घूंघट ओढ़े एक महिला हैंडपंप चला रहीं थीं। हैंडपंप के चलने की आवाज के साथ-साथ उसकी चूड़ियों की खनक सुनाई दे रहीं थीं। सत्यप्रकाश को देखने में बहुत अजीब लगा कि इतनी रात को वो भी बारिश में यह कौन हैं जो हैंडपंप पर पानी भर रहीं हैं। सत्यप्रकाश कुछ महीने पहले ही गाँव में रहने आये थे इसलिए किसी से भी खास परिचित नहीं थे। फिर भी उन्हें वहाँ से चुपचाप गुजर जाना ठीक नहीं लगा। हैंडपंप के नजदीक आते ही उन्होंने गाड़ी पर बैठे हुए ही महिला से कहा – सुनिए ! अगर आपको कोई मदद चाहिए तो मैं किये देता हूँ , रात बहुत हो गई हैं आपका यू अकेले यहाँ होना उचित नहीं हैं । महिला ने बस ना में सिर हिला दिया औऱ हैंडपंप चलाना बंद कर दिया ।सत्यप्रकाश ने कहा अगर आप ने घड़ा भर लिया हैं तो गाड़ी पर बैठ जाइये मैं आपको घर तक छोड़ देता हूँ । महिला ने सहमति जताते हुए इस बार हाँ में सिर हिला दिया और गाड़ी पर बैठ गई । सत्यप्रकाश ने गाड़ी स्टार्ट कर दी । वह अपने बारे में बताने लगा। महिला चुपचाप सुनती रहीं। बीच- बीच मे चूड़ियों की आवाज आ जाती। सत्यप्रकाश का घर हैंडपंप से कुछ ही दूरी पर था । अपने घर पर गाड़ी रोकते हुए सत्यप्रकाश ने कहा- मेरा तो घर आ गया । अब आप अपना पता बता दीजिए तो मैं आपको वहाँ छोड़ आऊँ। पुराना हैंडपंप – एक डरावनी औऱ दिल दहला देने वाली आवाज सुनकर सत्यप्रकाश ठिठक गया । उसकी हिम्मत ही नहीं हुई कि वह पीछे मुड़कर देख सकें । फिर भी भगवान को याद करके जैसे ही उसने पीछे देखा । एक आकृति हवा में उससे कुछ ही दूरी पर थीं । यह दृश्य देखकर उसके चेहरे की हवाइयां उड़ गई , हाथ पांव शिथिल हो गए , घिग्घी बंध गई । मुहँ से शब्द नहीं निकले । वह बूत बना खड़ा रहा ।आकृति हवा में कुछ देर लहराती रहीं फिर पुराने हैंडपंप की दिशा की औऱ तेजी से चली गई । इस घटना के बाद सत्यप्रकाश सप्ताह भर तक घर से नहीं निकले । उनके एक मित्र उनसे मिलने आये तो पता चला उन्हें 103 ° बुखार था । सत्यप्रकाश ने मित्र से कहा – कैसे भी हो जयपुर में ही किराए का घर दिलवा दो चाहे मेरी तनख्वाह की दुगनी कीमत का ही हो। सस्ते घर के कारण तुमने मुझे यहाँ गाँव में घर दिलवा दिया और अब मुझें रोज आने -जाने में समस्या होतीं हैं। मित्र ने कहा – शुक्र मनाओ खुद का मकान हैं । बीवी बच्चों के साथ सुख से रहते हो , वरना मुखर्जी को देखों कितने परेशान हैं बेचारे …सत्यप्रकाश – भैया अब तुम्हें कैसे समझाएं…..। शेष अगले भाग में….. ——————————– नोट— ‘कहानी का कोना’ में प्रकाशित अन्य लेखकों की कहानियों को छापने का उद्देश्य उनको प्रोत्साहन देना हैं। साथ ही इस मंच के माध्यम से पाठकों को भी नई रचनाएं पढ़ने को मिल सकेगी। इन लेखकों द्वारा रचित कहानी की विषय वस्तु उनकी अपनी सोच हैं। इसके लिए ‘कहानी का कोना’ किसी भी रुप में जिम्मेदार नहीं हैं…। 3 comments 0 FacebookTwitterPinterestEmail Teena Sharma Madhvi previous post ‘पाती’ पाठकों के नाम…. next post एक पुराना ‘हैंडपंप’..पार्ट—2 Related Posts छत्तीसगढ़ का भांचा राम August 29, 2024 विनेश फोगाट ओलंपिक में अयोग्य घोषित August 7, 2024 वैदेही माध्यमिक विद्यालय May 10, 2024 राम मंदिर प्राण-प्रतिष्ठा January 29, 2024 राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा January 22, 2024 राम मंदिर प्राण-प्रतिष्ठा January 21, 2024 समर्पण October 28, 2023 विंड चाइम्स September 18, 2023 रक्षाबंधन: दिल के रिश्ते ही हैं सच्चे रिश्ते August 30, 2023 गाथा: श्री घुश्मेश्वर महादेव August 13, 2023 3 comments Anonymous May 30, 2021 - 11:35 am nice story..waiting for next part. kumar Pawan Reply Teena Sharma 'Madhvi' June 1, 2021 - 6:22 pm Ji thankuu 🙏 Reply भटकती आत्मा… - Kahani ka kona February 28, 2022 - 7:24 am […] देख लिया, सभी दरवाजे – खिड़की बंद थे। एक पुराना […] Reply Leave a Comment Cancel Reply Save my name, email, and website in this browser for the next time I comment.