Uncategorizedकहानियाँलेखक/साहित्यकार गुटकी लेखिका—मीनाक्षी माथुर by teenasharma January 13, 2023 written by teenasharma January 13, 2023 दो एक दिन अखबार में भी मामला आया , पुलिस भी हरकत में आ चुकी थी लेकिन जैसे जैसे दिन बीतते गए मामला भी ऐसे शांत होता गया जैसे कुछ हुआ ही नही , सभी संस्थाए भी ठंडी पड़ चुकी थीं। रोज़ की तरह वहीं सड़क थी , वहीं चौराहा था , वहीं हम थे , वहीं गुटकी के माता – पिता थे बस ‘गुटकी’ नही थी। पढ़िए लेखिका मीनाक्षी माथुर की लिखी कहानी गुटकी…। गुटकी ” गुटकी ” आज भी जब कभी वो बच्ची मेरे ख्यालों में आती है तो मन में एक कपकपी सी छूट जाती है , मन उदास हो जाता है और कई दबे हुए प्रश्न फिर से मेरे दिल दिमाग का दरवाजा खटखटाने लगते हैं। ” कहाँ होगी वो बच्ची ? कैसी होगी ? , क्या हुआ होगा उसके साथ ? क्या वो अपने माँ – बाप को मिल गई होगी ? ” अब यदाकदा ही उस बच्ची की याद सताती है , शुरू में तो बहुत बैचेन रहती थी और ऑफिस जाते हुए पहले चौराहे की लालबत्ती पर जैसे ही गाड़ी रुकती थी तो मेरी नज़रें उस बच्ची को ही ढूंढती थी बाद में मैं भी आदि होती गई और अपनी रोजमर्रा की जिंदगी में व्यस्त होती गई। मीनाक्षी माथुर दरअसल बात पिछले साल की है , मैं और मेरे पति शहर में नए नए थे दोनों ने एक ही ऑफिस जॉइन किया था रोज साथ ही निकलते थे। घर से निकलते ही पहले चौराहे पर जैसे ही लालबत्ती पर गाड़ी रुकती कुछ बच्चे दौड़ कर आते और गुब्बारे बैचने लगते “ऐ आंटी ले लेना , ऐ अंकल ले लेना ‘ चिल्ला चिल्ला कर गाड़ी का शीशा बजाने लगते। कुछ दिन तो हम उन्हें अनदेखा करके निकलते रहे लेकिन उनमें एक छोटी सी बच्ची बरबस ही मेरा ध्यान खींच लेती थी ये ही कोई 6 या 7 साल की रही होगी ,” गौरी सी लेकिन मटमैली सूरत , घुँघराले लेकिन गुच्छेदार बिना कंगी किए बाल , मोटी सी पीली सी आंखें लेकिन चंचलता मानो कूट कूट के भरी थी , उम्मीद भरी निगाहों से मासूम सी मुस्कान के साथ सबको देखती , उछल उछल कर गाड़ियों के बीच दौड़ती , हरी बत्ती होते ही फुटपाथ को दौड़ जातीं। एक दिन घर लौटते समय मैंने शीशा खोलकर उसका नाम पूछ ही लिया लेकिन वो नाम बताने के बजाए एक ही रट लगाती रही ” आँटी ले लेना , 2 ही गुब्बारे बचे हैं , आँटी ले लेना , खाना खाऊँगी “, जैसे उसे ये ही बोलना सीखाया गया हो, मैने कहा ” पहले नाम बता फिर तेरे दोनों गुब्बारे ले लुंगी “, इतने में ही उसकी माँ दौड़ी चली आई उसकी गोदी में एक बच्चा और भी था ” क्या हुआ पूछने लगी ” , मैंने उससे उसका और बच्ची का पूरा परीचय पूछा , उसने बताया इस बच्ची का नाम गुटकी है और ये 5 भाई बहन है 4 बेटी हैं और 5 वा बेटा है जो उसकी गोदी में था पिता दिनभर बेलदारी करता है और वहीं फुटपाथ पर तम्बु डाल बसेरा कर रखा था। गांव में खेतीबाडी खत्म हो चुकी थी जो शहर आना पड़ा। उस दिन उस बच्ची से दोनों गुब्बारे खरीद लिए और उसी को दे दिये फिर घर को चली आई। दूसरे दिन गाड़ी रुकते ही वो बच्ची फिरसे दौड़ी आई लेकिन इसबार गुब्बारे लेने के लिये नही बोली बल्कि बार बार अपना नाम बताती रही और नटखट सी मेरे ही सामने उछलती कूदती रही शायद उसके चंचल मन को लग रहा था कि कल नाम पूछकर गुब्बारे खरीदे और मुझे ही दे दिए तो आज भी ऐसा ही करेगी। ऐसा करने का मेरा इरादा तो नही था लेकिन उसकी मासूमियत ने मजबूर कर दिया और मैने एक गुब्बारा खरीदा और उसी को दे दिया कुछ दिनों तक ये क्रम बना रहा , मुझे भी रोज़ गुटकी की आदत सी हो गई थी। एक दिन रोज़ की तरह मेरी गाड़ी लालबत्ती पर रुकी लेकिन गुटकी नही आई उसकी माँ और बहने भी नज़र नही आईं ऑफिस को देरी हो रही थी तो सीधे ही निकल गये , शाम को लौटते में भी गुटकी और उसके घरवाले नही दिखे तो दूसरे बच्चों से पूछा तब एक बच्चे ने बताया कि ” कल रात से गुटकी फुटपाथ से गायब है ” सुनते ही मानो मेरे पैरों तले की जमी खिसक गई हो , मेरे पति ने गाड़ी साइड में रोकी और हम गुटकी के तम्बु की ओर चल दिये वहां पहुंचने पर देखा उसकी माँ रो रही थी पिता भी चुपचाप बैठा था और चार पांच लोग उनके इर्दगिर्द बैठे ढाढ़स बंधा रहे थे। हमारे पूछने पर उसके पिता ने बताया कि तम्बु में किनारे पर सोई थी सुबह उठकर देखा तो यहाँ नही थी बाहर निकल कर आसपास ढूंढा कहीं नही मिली पुलिस ने भी मेरी बात पर ध्यान नही दिया बोले पहले तो भीख मांगने के लिए खुला छोड़ देते हो ध्यान नही देते फिर तामाशा करते हो , मीनाक्षी माथुर खेलते खेलते इधर उधर चली गई होगी, आ जाएगी थोड़ी देर में और हमें डांटकर भेज दिया ।हम दोनों उन्हें फिर से पुलिस के पास थाने में ले गए और पुलिस को FIR लिखने को कहा । थाना इंचार्ज हमे बोला कि” खुद इन लोगों की कोई पहचान नही है, शहर के सारे चौराहों पर इन लोगों ने अवैध रूप से कब्जे कर रखे है , न जाने कौन हैं , कहाँ से आये है , ये भी नही पता , कोई पहचान पत्र भी नही है इनके पास , वो बच्ची इनकी है इसका भी कोई प्रमाण नही है किस आधार पर इनकी शिकायत दर्ज करें। वैसे भी आये दिन दारू पीकर कोई ना कोई बखेड़ा खड़ा करते रहते हैं , बच्ची का बाप ही नशे में बेच आया होगा उसे अब अपहरण का नाटक कर रहा है।” थाना इंचार्ज ने कहा “आप दोनों जानते हो क्या इन्हें ? आपके कहने पर हम रिपोर्ट दर्ज कर लेते हैं लेकिन बहुत कानूनी पेचीदगियां हैं , झेल सकते हो तो ही कदम आगे बढ़ाओ।” हम दोनों एक दूसरे को देखने लगे आखिर थे तो हम भी नौकरीपेशा आम माध्यम वर्गी ही। बहुत सोचा और कल देखते हैं का दिलासा खुद को भी दिया और गुटकी के पिता को भी दिया और घर लौट आये। घर आकर भी दिमाग में शान्ति नही थी ऑफिस के दोस्त को फोन किया जो इसी शहर का रहने वाला था उसने कुछ समाज सेवी संस्थाओं के नंबर दे दिये हमने भी तुरंत ही उन संस्थाओं में फोन कर दिया , दूसरे दिन ऑफिस जाते देख कि उस चौराहे पर गहमा गहमी मची थी , कुछ समाज सेवी संस्थायें अपने पोस्टर बैनर लेकर आ चुकी थी और नारेबाजी भी कर रही थीं , गुटकी के माँ बाप भी वहीं थे , कुछ पत्रकार भी नज़र आ रहे थे। हम दोनों को लग रहा था कि अब कुछ होगा और शायद गुटकी भी मिल जाएगी , ऑफिस समय से पहुंचना था सो हम वहां रुके नही शाम को रुकेंगे सोचकर आगे बढ़ गए। दो एक दिन अखबार में भी मामला आया , पुलिस भी हरकत में आ चुकी थी लेकिन जैसे जैसे दिन बीतते गए मामला भी ऐसे शांत होता गया जैसे कुछ हुआ ही नही , सभी संस्थाए भी ठंडी पड़ चुकी थीं। रोज़ की तरह वहीं सड़क थी , वहीं चौराहा था , वहीं हम थे , वहीं गुटकी के माता – पिता थे बस गुटकी नही थी। अन्य कहानियां पढ़ने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें— स्ट्रीट आर्टिस्ट हूं भिखारी नहीं ‘चपरकनाती’.. भटकती आत्मा… कबिलाई— एक ‘प्रेम’ कथा “बातशाला” लेखक परिचय लेखिका के रुप में मीनाक्षी माथुर के ‘संदल सुगन्ध’, ‘उत्कर्ष काव्य संग्रह’,’अल्फ़ाज़ के गुँचे’,’साहित्य-कुंदन’,’नारी काव्य संग्रह’, ‘काव्य-कुंज’ जैसे साझा संग्रह प्रकाशित हो चुके हैं। इन्हें Indian Trailblazer Women Awards, Integral Humanism Awards,आगमन – गौरव सम्मान, पत्रिका समूह की ओर से ” नेशनल वीमेन रिकॉगनिशन ” अवार्ड, शक्तिस्वरूपा सम्मान आदि मिल चुके हैं। वर्तमान में मीनाक्षी माथुर अर्थशास्त्र की व्याख्याता है। इसके साथ ही वे ‘कला मंजर संस्था’ की संस्थापिका व महासचिव, देवांग इंस्टिट्यूट ऑफ इकोनॉमिक्स की निर्देशिका भी हैं। ऑफिस के दोस्तगुटकीगुब्बारेपुलिसमीनाक्षी माथुरलालबत्तीसमाज सेवी संस्था 2 comments 2 FacebookTwitterPinterestEmail teenasharma previous post महिला अधिकार व सुरक्षा next post ह से हिंदी Related Posts छत्तीसगढ़ का भांचा राम August 29, 2024 बंजर ही रहा दिल August 24, 2024 विनेश फोगाट ओलंपिक में अयोग्य घोषित August 7, 2024 रामचरित मानस यूनेस्को ‘मेमोरी ऑफ द वर्ल्ड’ सूची... 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