ज्वलंत मुद्ददेप्रासंगिक मुद्दे ‘सैनिक’ सीमा पर, देश के अंदर ‘हम’ मोर्चे पर… by Teena Sharma Madhvi June 17, 2020 written by Teena Sharma Madhvi June 17, 2020 जिस तरह से हमारे बहादुर सैनिक हमारे देश की सीमा पर चाइना से लोहा ले रहे हैं और शहीद हो रहे हैं…… अब वक्त आ गया हैं….हम भी हमारे इन वीर सिपाहियों के कंधे से कंधा मिलाकर उनकी इस जंग में सहयोग करें। इसके लिए हमको हथियार उठाकर किसी एक्चुअल लाइन ऑफ कंट्रोल ‘एलएसी’ पर जाने की ज़रुरत नहीं हैं। हम सभी अपने घर बैठे ही ‘चाइना’ को हरा सकते हैं। मेरा इशारा किस तरफ हैं आप सभी समझ रहे होंगे। चाइना का आर्थिक बहिष्कार करके हम ना सिर्फ अपने वीर शहीदों को सच्ची श्रद्धांजलि दे सकते हैं बल्कि वहां तैनात वीर सपूतों को हौंसला दे सकते हैं। पूरे देश को कोरोना का वायरस देकर चैन की नींद सो रहे चाइना को इस तरह की हरकत करने में बिल्कुल भी शर्म नहीं आती हैं। ऐसा करके वह ना सिर्फ अंतरराष्ट्रीय संबंधों को धत्ता बता रहा हैं बल्कि एक पड़ौसी देश होने के धर्म को भी भूल गया हैं। हमारे देश की आज़ादी के बाद से समय—समय पर रह—रहकर ‘मेड इन इंडिया’ से लेकर स्वदेशी अपनाओं के नारे गूंजते रहे और सुनाई देते रहे….। लेकिन आज वक्त आ गया हैं इन नारों को हक़ीकत में बदलने का। वक्त़ आ गया वाकई में ‘ वोकल फॉर लोकल‘ बनने का। बस हमें सिर्फ इतना ही करना हैं कि आज से ही नहीं अब से और इसी क्षण से हम सब यह प्रतिज्ञा कर लेें। यह प्रण कर लें कि हम चाइना का बना माल ना तो खरीदेंगे और ना ही बेचेंगे। चाहे किसी भी तरह की मजबूरी हो, हम मेड इन चाइना के माल को हाथ नहीं लगाएंगे। साथ ही अपने बच्चों को भी ये संस्कार दें कि वो ना तों चाइनीज़ खिलौनों के प्रति आकर्षित हो और ना ही चाइनीज़ फिल्में व कार्टून को देखें। कुछ लोग कहेंगे कि चाइना का माल सस्ता होता हैं, और वो ही हमारे देश का बना माल महंगा होता है। तो मैं उन लोगों से पूछना चाहती हूं कि क्या सीमा पर देश की रक्षा के लिए शहीद हुए इन वीर रणबांकुरों के बलिदान की कीमत से महंगा सौदा कोई हो सकता हैं। शायद आपको पता हो ना हो, लेकिन हमारा भारत देश चाइना माल का सबसे बड़ा बाज़ार हैं। यहीं नहीं चाइना की जीडीपी को बढ़ाने में हमारा बहुत बढ़ा योगदान हैं। अगर आज हर भारतीय यह तय कर लें कि आज से मैं चाइना का कोई भी उत्पाद नहीं खरीदूंगा और ना ही टीवी पर आने वाली चाइना की फिल्मों को देखूंगा। इसके अलावा जितने भी चाइना के मोबाइल एप्पस हैं उनको भी रिइस्टांल कर दूंगा। आज हमारे 130 करोड़ देशवासियों ने यह तय कर लिया तो एक महीने में चाइना को छठी का दूध याद आ जाएगा और उसकी आर्थिक स्थिति औंधे मुहं गिरते ही वह भारत के पैरों पर गिर जाएगा। आपको ये भी जानना है ज़रुरी— वर्ष 1962 में भी इसी गलवान घाटी में भारत और चीन के बीच जंग हुई थी। जिसमें 33 भारतीयों की जान गई थी। ये गलवान घाटी लद्दाख में 14 हजार फीट की ऊंचाई पर है। ये घाटी भारतीय इतिहास में पहले भी काफी चर्चा में रही है। इसकी सबसे बड़ी वजह 1962 का भारत-चीन युद्ध ही है। चीनी सेना ने उस वक़्त भी भारत को इसी घाटी में धोखा दिया था। और अब 58 साल बाद भी इसी घाटी में अपनी चालबाजी और धोखे का इतिहास दोहराया है। आप इसी भी जानें कि गलवान घाटी का पूरा इलाका लद्दाख में आता है। और यहां पर नदी भी बहती है। चीनी सेना यहां के विवादित क्षेत्रों में अपने टेंट लगाती है। यदि जानकारों की सुनें तो इसके पीछे इनका मकसद भारतीय सेना को चिड़ाना और उकसाना है। फिर की कायराना करतूत… गलवान की घाटी पर बीते सोमवार यानि 15 जून को चीन और भारत के सैनिकों के बीच हिंसा हुई। इसमें हमारे 20 जवान शहीद हो गए। चीनी सैनिकों ने लोहे की रॉड और नुकीले कांटों को डंडों पर लपेटकर भारतीय सैनिकों पर प्रहार किया। ये कायराना करतूत करके चीन ने जता दिया कि वो एक गंदे और भद्दे चेहरे वाला देश हैं जो छुपकर वार करना जानता है। लेकिन सामने आकर भारतीय सैनिकोंं से लड़ने का उसमें जिगर नहीं हैं। अब निर्णायक फैसले की हैं घड़ी— भारत को चीन से मुकाबले के लिए न सिर्फ सीमा पर बल्कि देश के भीतर भी आर्थिक रुप से तैयारी करनी होगी। यदि गौर करें तो चीन की कितनी ही कंपनियां ऐसी है जो भारत के बाजारों पर कब्ज़ा जमाएं हुए है। इनमें इलेक्ट्रॉनिक और मोबाइल बाज़ार नंबर वन पर है। जिस तरह से कोरोना चैन को तोड़ने के हर संभव प्रयास किए जा रहे हैं। ठीक वैसे ही चीन की बाजारीकरण की नीति की चैन को तोड़ना होगा। भारत यानि कि हम चीन में निर्यात से ज्यादा आयात करते हैं। यदि हम अपने व्यापार को निर्मित करें, विकसित करें तो वो दिन दूर नहीं जब चीन भारत से अपना व्यापार समेटता हुआ नज़र आए। फैसला हमारा है…अब तय हमें ही करना हैं…। 1 comment 0 FacebookTwitterPinterestEmail Teena Sharma Madhvi previous post एक मुस्कुराता चेहरा ‘सुशांत’… next post ‘पिता’ को बलिदान का तोहफा…. Related Posts विनेश फोगाट ओलंपिक में अयोग्य घोषित August 7, 2024 बांडी नदी को ओढ़ाई साड़ी August 3, 2024 मनु भाकर ने जीता कांस्य पदक July 28, 2024 नीमूचाणा किसान आंदोलन May 14, 2024 पानी पानी रे October 30, 2023 चंद्रयान-3 August 23, 2023 महिला अधिकार व सुरक्षा January 12, 2023 ‘मर्दो’ का नहीं ‘वीरों’ का है ये प्रदेश... March 10, 2022 ‘पाती’ पाठकों के नाम…. May 26, 2021 सोशल मीडिया से ‘ऑफलाइन’ का वक़्त तो नहीं….? February 27, 2021 1 comment Vaidehi-वैदेही June 17, 2020 - 2:03 pm सटीक लेखअब पुर्ण रूप से चीन का बहिष्कार करना हैं। Reply Leave a Comment Cancel Reply Save my name, email, and website in this browser for the next time I comment.