कहानियाँलेखक/साहित्यकारस्त्री विमर्श कहानी ‘ताई’… by teenasharma May 18, 2022 written by teenasharma May 18, 2022 “क्या दद्दो, आप अभी तक नहीं बदली ,क्यों डांटती रहती हो ताई को।” दादी-” अरे तू जानत नी है इने, बिना डाँटे सिर चढ़कर नाचवै लागे ये। “दद्दो ऐसा कुछ नहीं है”( मैंने कहा) “तेरी ताई शुरू से ही बड़ी बेशर्म थी, तू जानत नहीं छोरी,( फुसफुसाकर) पतो छ जब तेरा ताया गर्मियां में छत पर मेरे कने सोतो , तो बड़ी बेशर्मो की तैया बोल देवै छी-” नीचे आकर सोओ, मने डर लागै छ ।” दादी इस तरह मुंह बनाकर बोली कि मैं अपनी हंसी नहीं रोक पाई मुझे हंसते देखकर बोली, ‘लेखक व साहित्यकारों’ की श्रेणी में आज पढ़िए लेखक ‘शिखा मनमोहन शर्मा’ की लिखी कहानी ‘ताई’..। ‘शिखा मनमोहन शर्मा’ लेखक शिखा की रचनाओं में एक उपन्यास ‘मैं अभी ज़िंदा हूं’, दो कविता संग्रह एवं कहानी के तीन साझा संग्रह अब तक प्रकाशित हो चुके हैं। लेखक शिखा ‘साहित्य सागर सम्मान’, काव्य सागर सम्मान, श्रेष्ठ लघुकथा सम्मान, व्यंग्य आलेख प्रतियोगिता सम्मान, देवी अन्नपूर्णा सम्मान आदि से नवाजी गई हैं…। इसके साथ ही समय—समय पर विभिन्न पत्र—पत्रिकाओं में इनकी रचनाएं प्रकाशित हो रही हैं..। “क्या दद्दो, आप अभी तक नहीं बदली ,क्यों डांटती रहती हो ताई को।” दादी-” अरे तू जानत नी है इने, बिना डाँटे सिर चढ़कर नाचवै लागे ये। “दद्दो ऐसा कुछ नहीं है”( मैंने कहा) “तेरी ताई शुरू से ही बड़ी बेशर्म थी, तू जानत नहीं छोरी,( फुसफुसाकर) पतो छ जब तेरा ताया गर्मियां में छत पर मेरे कने सोतो , तो बड़ी बेशर्मो की तैया बोल देवै छी-” नीचे आकर सोओ, मने डर लागै छ ।” दादी इस तरह मुंह बनाकर बोली कि मैं अपनी हंसी नहीं रोक पाई मुझे हंसते देखकर बोली ” नी हसबा की बात कौनै ,इको मरद तो अण्डै रहवै कौने तो म्हारी ही जिम्मेदारी होत है ,बहू बेटियां न दबार रखवा की, कहीं कोई ऊंच-नीच हो जावे तो,।” मैंने कहा -“ओफ्फो दादी, इतनी भी कोई बच्ची नहीं है तुम्हारी बहू, तीन, तीन शादी लायक बच्चों की मां है। तुम तो ऐसे करती हो जैसे अभी वह नई नवेली दुल्हन हो। “ ‘शिखा मनमोहन शर्मा’ “अरी तुम रहने दो ना ,अब तो जब तक तुम्हारी दादी की डांट ना सुन लूूँ, मेरा दिन ही पूरा नहीं होता है। तुम अंदर आओ, गरम-गरम हलवा बनाया है तुम्हारे लिए, इतनी दूर का सफर करके आई हो, थक गई होगी। (ताई ने स्नेहसिक्त हाथ सिर पर फेरते हुए कहा) ताई ने सही कहा था । थक तो मैं गई थी । हर साल मम्मी कितना जिद करती थी छुट्टियों में नानी के यहां चलने की, पर मुझे तो यहां गांव की सोंधी खुशबू, पक्षियों की चहचहाहट ,चूल्हे पर बनी मक्के बाजरे की रोटी, परिंडे पर रखा मटके का पानी, दद्दो की स्नेह भरी फटकार और ताई का मित्रवत व्यवहार हर साल यहां खींच लाता था। मेरे पापा को दादा जी ने गोद लिया था । बड़े होने के बाद पता नहीं कैसे परिवार में मनमुटाव हो गया कि हम शहर जाकर बस गए और वही के होकर रह गए। उस समय मैं लगभग पांच वर्ष की थी। अपने ताई के गले लग कर मैं खूब रोई थी । मेरे चचेरे भाई बहनों ने तो मम्मी पापा का रास्ता ही रोक दिया था । कहां “आपको जाना है तो जाओ, सवि को यहीं छोड़ जाओ। उन्होंने छुट्टियों में मुझे भेजने का कहकर बड़ी मुश्किल से अपना पीछा छुड़ाया था । बस तब से ही अनवरत छुट्टियों में मेरा गांव आना चल रहा है ।बचपन से देखती आ रही हूं दद्दो का ताई को डांटना, ताया जी का घर से बाहर रहना और ताई जी का प्रेम से परिपूर्ण रहकर सदैव मुस्कुराती हुई अपना काम करती जाना । ताया जी से मेरा मिलना कम ही होता था । ताया जी को मैंने हमेशा घर से बाहर ही पाया। वह शहर में नौकरी करते थे। जब कभी घर पर भी होते तो हमेशा दद्दो के पास बैठे ही दिखाई देते थे । ना बच्चों से ज्यादा बात करते और ना ही ताई से। जब ताया जी ताई को अनदेखा करते तो ताई जी का मासूम सा चेहरा उतर सा जाता था। फिर थोड़ी देर बाद ताई अपने आप को दूसरे कामों में या फिर बच्चों में लगा देती थी। थोड़ी समझदार होने पर यह बातें भी सुनाई दी कि ताया जी, ताई जी की छोटी बहन को पसंद करते थे ,पर अपने पिता की जिद के आगे हार कर उन्हें ताई से शादी करनी पड़ी। तभी से नजरअंदाज करने का यह सिलसिला बदस्तूर जारी है। गृहस्ती भी निर्बाध गति से चल रही थी तो सिर्फ ताई के कारण, उनकी चुप्पी के कारण। वह तो महीने में दो-तीन दिन के लिए आते ,खर्चा पानी देते और चलते बनते । उन्हें तो यह तक पता नहीं था कि उनके कौन से बच्चे ने बोलना कब सीखा। ताई अकेली मौन रहकर अपनी जिम्मेदारी को भली प्रकार से निभाती चली आ रही थी बिना किसी शिकायत के। मेरा ताई से ना जाने क्या रिश्ता था पर जब उनका उदास चेहरा देखती तो मेरे चेहरे पर भी उदासी छा जाती थी । ताई ममता की मूरत थी। उनकी गोद में लेटते ही मैं मेरी सारी समस्याएं पल भर में भूल जाती थी । अंदर कमरे में आते ही मैं मैं ताई की गोद में लेट गई । ताई हंसती हुई कहने लगी। ताई – “शादी पक्की हो गई सवि, अब तो बचपना छोड़ अपना । “ सवि- “नहीं ताई, मैं तो हमेशा ऐसी ही रहूंगी।” ताई-” सब कहने की बातें होती है। शादी होते ही समझदारी अपनेेे आप औरत के हिस्से आ जाती है ।”यह कहते हुए ताई की आंखों में एक अजीब सूनापन तैर गया जैसे अतीत का कुछ याद आ गया हो ।” मैंने पूछा- “ताई ,आपको ताया जी की याद नहीं आती।” मेरा सवाल सुनकर कुुुछ अचकचा गई ताई,फिर थोड़ा संभलकर बोली-“अरे यहाँ घर गृहस्थी में,बच्चों मेें फुर्सत किसे है जो किसी को याद करने बैठे ।” मैंने पूछा-” और ताया जी को ?” इस सवाल पर ताई व्यंग्य पूर्ण हंसी हंसती हुई बोली -“बेटा जी, यह जो जिंदगानी है ना ,इसमें यदि किसी के मन में कोई गांठ पड़ जावे तो कभी-कभी एक उम्र भी कम पड़ती है उस गांठ को खोलने के लिए। तू ना समझेगी। तू छोड़ इन बाता न, और अपनी बहन को समझा, बारहवीं पूरी हो गई अभी तक यह ना सोचा क्या करना है आगे।” अंजली जो कि ताई जी की बेटी थी, उसकी बात चलते ही मुझे दद्दो की बात याद आ गई। वह कह रही थी कि ताया जी कोई लड़का देखने गए हैं उसके लिए ,पर ताई की बात सुनकर मुझे ऐसा लगा जैसी वह इस मामले से अनभिज्ञ है ।मैं इस बारे में कुछ बात करने ही जा रही थी कि अंजलि ने आकर बोला-” मम्मी पापा आ गए हैं, चाय बनाने के लिए कह रहे हैं। ताई जल्दी से उठी और चाय बनाकर ट्रेन में रखकर बाहर लेकर गई। मैं ताई के साथ ही थी। बाहर जाते ही दद्दो ने खिलखिला कर कहा -“ले आ गई ,ले मिठाई खा, आज तो बिटवा खुशखबर लायो है घर पर।” ताई ने मिठाई हाथ में लेते हुए दद्दो से पूछा -“किस बात की मिठाई और किस बात की खुशखबरी है दद्दो।” “अरे लाडो की शादी पक्की कर आयो है छोरो” यह सुनते ही ताई जो मिठाई मुंह में रख रही थी उनका हाथ अचानक रुक गया। चेहरे पर क्रोध की लालिमा छा गई। फुफकारती हुई बोली -“किस से पूछ कर रिश्ता कर पक्का कर आए, का घर में कोई नहीं है पूछबा ताछबा वाला।” दद्दो(अचरज से)- “क्या लाडो का ब्याह नहीं करेगी बहुरिया” ताई-” करूंगी अम्मा, पर अभी ब्याह की उमर नहीं है उसकी और ब्याह की उम्र होती भी तो बिना देखे भाले कैसे हां कर दूं” ताया जी-” मैं भी बाप हूं उसका, देखभाल कर ही पक्का किया है सब ,दुश्मन नहीं हूं ना उसका।” मैंने ताई जी को ताया जी और दद्दो के सामने पहली बार बोलते देखा था वह अभी भरपूर क्रोध में थी । हल्ला सुनकर ताई के तीनों बच्चे उनके पीछे आकर खड़े हो गए थे। अंजली की आंखें अपनी शादी की बात सुनकर डबडबा गई थी । ताई जी-” दुश्मन नहीं हो, पता है मुझे ,पर बच्चों के दिल का हाल नहीं पता आपको। मैं मेरी बेटी की शादी जबरदस्ती कहीं नहीं करूंगी ।सब उसकी रजामंदी से होगा। छोरे को घर पर बुला लो, पहले अंजलि भी उसे देख ले और हां शादी की कोई जल्दी नहीं है। अभी साल दो साल बाद होगी शादी ।” बात बढ़ती देख कर दद्दो ने सब बच्चों को अंदर चलेेेे जाने के लिए कहां। उनकेेे जाने के बाद ताया जी बोले -“बड़ी जबान चल रही है तुम्हारी ,तुम्हारे घर में होता होगा ऐसे, हमारे घर में नहीं होते ऐसे चोंचले।” ताई -“काश आपके घर में भी ऐसा ही होता ।आपके पिताजी ने आपकी पसंद पूछ ली होती शादी से पहले , तो मेरे बच्चों का बचपन सिर्फ मां के साए में ना गुजरता। उन्हें पिता का प्यार भी मिलता ।अरे आपको याद भी है कि आपने अपने बच्चों को प्यार से गोद में कितनी बार लिया है । कान खोल कर सुन लो आप ,जैसा जीवन मैंने जिया है अपनी बच्ची को नहीं जीने दूंगी । शादी होगी तो दोनों की रजामंदी से, नहीं तो नहीं । यह बात समझ लेना अच्छी तरह। एक बहू और एक पत्नी ने कायदे में जीवन भर जुबान सिल कर रखी है पर एक मां की जुबान अपनी बेटी के भविष्य की खातिर जरूर खुलेगी।” दद्दो- ” चाल शांत हो जा अब ,तू जेया चाहेली वया ही हौवेलो ,छोरा तू लड़का वाला ने बुला ले पहले घरा, फिर कोई फैसला होवेलो ।”(दद्दो ने ताई की कंधे पर हाथ रखते हुए कहा) शायद आज पहली बार वह अपनी बहू के पक्ष में नजर आई । ताया जी की आंखें भी आज डबडबा गई थी। वे ताई से आंखें नहीं मिला पा रहे थे। जिस गांठ की बात ताई जी ने की थी, शायद आज थोड़ी ढीली पड़ गई थी । और भी कहानियां पढ़ने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें— मंगला ‘मीत’…. ‘धागा—बटन’… ‘अपने—अपने अरण्य’ प्रिय, पाठकगण आपको ये कहानी कैसी लगी, नीचे अपना कमेंट ज़रुर लिखकर भेजें। साथ ही ब्लॉग और इसका कंटेंट आपको कैसा लग रहा हैं इस बारे में भी अपनी राय अवश्य भेजें…। आपकी प्रतिक्रिया हमारे लिए बेहद अमूल्य हैं, जो हमें लिखते रहने की उर्जा देती हैं। धन्यवाद 'मैं अभी ज़िंदा हूं''शिखा मनमोहन शर्माकहानी 'ताई' 7 comments 1 FacebookTwitterPinterestEmail teenasharma previous post ‘चरण सिंह पथिक’ next post ‘इकिगाई’ Related Posts छत्तीसगढ़ का भांचा राम August 29, 2024 बंजर ही रहा दिल August 24, 2024 विनेश फोगाट ओलंपिक में अयोग्य घोषित August 7, 2024 रामचरित मानस यूनेस्को ‘मेमोरी ऑफ द वर्ल्ड’ सूची... May 15, 2024 वैदेही माध्यमिक विद्यालय May 10, 2024 राम मंदिर प्राण-प्रतिष्ठा January 29, 2024 राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा January 22, 2024 राम मंदिर प्राण-प्रतिष्ठा January 21, 2024 पानी पानी रे October 30, 2023 समर्पण October 28, 2023 7 comments נערת ליווי July 28, 2022 - 8:57 pm Itís difficult to find well-informed people in this particular subject, but you sound like you know what youíre talking about! Thanks Reply דירות דיסקרטיות חולון August 15, 2022 - 8:30 am Greetings! Very useful advice within this article! It is the little changes that produce the most significant changes. Thanks for sharing! Reply Marvingaf December 25, 2022 - 8:38 pm amoxicillin generic brand name Reply KimKix December 26, 2022 - 12:51 am mail order pharmacy no prescription Reply Michaelvew December 26, 2022 - 2:23 am inderal la generic Reply Tommyger December 26, 2022 - 3:23 am buy zovirax usa Reply YonKix January 20, 2023 - 3:22 am canada pharmacy ventolin Reply Leave a Comment Cancel Reply Save my name, email, and website in this browser for the next time I comment.