ज्वलंत मुद्ददेप्रासंगिक मुद्दे सत्ता के शेर, ड्यूटी के आगे ढेर…. by Teena Sharma Madhvi July 13, 2020 written by Teena Sharma Madhvi July 13, 2020 पद कोई भी हो लेकिन जिसे ड्यूटी निभाना आता हैं वो फिर मंत्री—शंत्री और किसी बाबजी से नहीं डरता। लेडी कांस्टेबल सुनीता यादव ने दिखा दिया कि ड्यूटी को ज़िम्मेदारी से कैसे निभाया जाता है। गुजरात के स्वास्थ्य मंत्री कुमार कानानी के बेटे को इस लेडी कांस्टेबल को धमकी देना वाकई भारी पड़ गया। सत्ता को जेब में लेकर हेकड़ी दिखाने वाले आज मामूली सी कांस्टेबल के कर्तव्य के आगे झूक गए है। इस घटना ने राजस्थान के चित्तौड़गढ़ में हुई उस घटना की याद को ताजा करा दिया हैं जब लॉकडाउन के दौरान एसडीएम तेजस्वी राणा ने बेगूं से विधायक राजेंद्र बिधूड़ी की कार पर चालान काट दिया था। महज़ कुछ घंटों में ही इस दबंग लेडी अफसर का जयपुर में ट्रांसफर कर दिया गया था। लेकिन राणा की निडर छवि खूब सुर्खियों में रही। आज सालों पहले हुआ वो वाकया भी याद आता है जब पहली महिला आईपीएस किरण बेदी ने देश की प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की कार का चालान काट दिया था। दरअसल, ये घटना 1982 की है। उस समय किरण बेदी को दिल्ली शहर के ट्रैफिक की कमान मिली हुई थी और वो दिल्ली की ट्रैफिक कमिश्नर थीं। दोपहर का समय था और उनके एक सब इंस्पेक्टर ने एक सफेद एम्बेस्डर कार को एक कार शोरूम के सामने रांग साइड में नो पार्किंग जोन में खड़ा हुआ देखा। तो उसका चालान कर दिया। कुछ देर बाद जब कार सवार आया तब पता चला कि ये कार पीएम इंदिरा गांधी की है। लेकिन तब तक चालान कट चुका था। इस वक़्त ट्रैफिक कमिश्नर किरण बेदी के सख्त निर्देश थे कि कोई भी वीआईपी हो या फिर आम आदमी। ट्रैफिक नियम सभी के लिए बराबर होंगे। जब इंदिरा गांधी को इस बात की ख़बर लगी तो वे खुश हुई और किरण बेदी की ड्यूटी निभाने की तारीफ़ की। और कहा कि पहली बार ऐसी कोई लेडी मिली जो उनसे भी नहीं दबी। गुजरात में शनिवार की रात जब सुनीता यादव ने करफ्यू के दौरान कार से घूम रहे मंत्री के बेटे के दोस्तों को रोक लिया। मंत्री के बेटे ने इस दबंग लेडी कांस्टेबल को मंत्री पुत्र होने की धौंस दिखाई लेकिन ये डरी नहीं। जब इस घटना का वीडियो वायरल हुआ तो सच सामने आया और मंत्री पुत्र को गिरफ्तार किया गया। सुनीता का साहस और ड्यूटी निभाने की जिम्मेदारी को पूरा करना तारीफ़—ए—क़ाबिल है। शुक्र हैं सोशल मीडिया का जो आज हम इस लेडी कांस्टेबल के हौंसले का ज़िक्र कर रहे है। जिसने समय रहते दूध का दूध और पानी का पानी कर दिया। ये उदाहरण उन लोगों के लिए भी नज़ीर है जो अकसर कहते हैैं कि पद मिलें तो वे दिखाएंगे कि काम कैसे किया जाता है। सच तो ये है कि ड्यूटी निभाने के लिए कोई बहाना नहीं चलता है। जिसे ज़िम्मेदारी निभाना आता है वो बस कर गुज़रता है…। _________________ कुछ और कहानियां ‘नहीं रहा अब कोई प्रश्न चिन्ह दम तोड़ता ‘सवाल उस सर्द रात की सुबह नहीं भावनाओं का टोटल इन्वेस्टमेंट खाली रह गया ‘खल्या’ 0 comment 0 FacebookTwitterPinterestEmail Teena Sharma Madhvi previous post जुर्माने से बड़ी जान है ‘साब’… next post संक्रमण काल की ‘वॉरियर’ Related Posts विनेश फोगाट ओलंपिक में अयोग्य घोषित August 7, 2024 बांडी नदी को ओढ़ाई साड़ी August 3, 2024 मनु भाकर ने जीता कांस्य पदक July 28, 2024 नीमूचाणा किसान आंदोलन May 14, 2024 पानी पानी रे October 30, 2023 चंद्रयान-3 August 23, 2023 महिला अधिकार व सुरक्षा January 12, 2023 ‘मर्दो’ का नहीं ‘वीरों’ का है ये प्रदेश... March 10, 2022 ‘पाती’ पाठकों के नाम…. May 26, 2021 सोशल मीडिया से ‘ऑफलाइन’ का वक़्त तो नहीं….? February 27, 2021 Leave a Comment Cancel Reply Save my name, email, and website in this browser for the next time I comment.