जन्माष्टमी पर बन रहे द्वापर जैसे चार संयोग

26 अगस्त को कृष्ण जन्माष्टमी

by teenasharma
जन्माष्टमी पर बन रहे द्वापर जैसे चार संयोग

जन्माष्टमी पर बन रहे द्वापर जैसे चार संयोग

इस वर्ष कृष्ण जन्माष्टमी पर बन रहे द्वापर जैसे चार संयोग..। लंबे समय बाद ये संयोग देखने को मिलेंगे। ज्योतिषाचार्यो ने इसे बेहद लाभकारी व फलदायी बताया है।

क्या आप जानते हैं कि इस वर्ष वे कौन से खास योग बनने जा रहे हैं जो द्वापर युग में उस समय बने थे जब भगवान श्री कृष्ण ने जन्म लिया था। वैसे तो हर वर्ष भाद्रपद महीने की कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को कृष्ण जन्माष्टमी मनाई जाती है। और इस वर्ष भी इसकी तैयारियां बड़े ज़ोरों पर हैं। पर इस वर्ष जन्माष्टमी पर्व कई मायनों में बेहद खास है।

जन्माष्टमी पर बन रहे द्वापर जैसे चार संयोग

कृष्ण जन्माष्टमी

यदि ज्योतिष गणना और पंचांग की मानें तो इस वर्ष कृष्ण जन्माष्टमी उसी योग में पड़ रही है जिस योग में द्वापर युग में भगवान कृष्ण का जन्म हुआ था। यही वजह है कि इस बार कृष्ण जन्माष्टमी बहुत लाभकारी और फल प्रदान करने वाली है।

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार इस वर्ष 26 अगस्त को कृष्ण जन्माष्टमी पर्व मनाया जाएगा। माना जाता है कि भगवान श्री कृष्ण का जब जन्म हुआ था तब छह विशेष संयोग बने थे। और इन छह संयोगों में से चार योग इस बार बनने जा रहे हैं। 

द्वापर काल में भगवान कृष्ण के जन्म के समय सूर्य सिंह राशि में, चंद्रमा वृषभ, मंगल वृश्चिक राशि में एवं शनि कुंभ राशि के केंद्र में था। इस बार 30 साल बाद सूर्य, शनि और चंद्रमा उसी स्थिति में रहेंगे।

धार्मिक शास्त्रों में भगवान कृष्ण का जन्म भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को रोहिणी नक्षत्र में रात 12 बजे हुआ था। उस समय चंद्रमा वृषभ राशि में थे, संयोग से इस वर्ष भी जन्माष्टमी पर चंद्रमा वृषभ राशि में है। इतना ही नहीं रोहिणी नक्षत्र में ही इस बार कृष्ण जन्माष्टमी मनाई जाएगी।

जन्माष्टमी पर बन रहे द्वापर जैसे चार संयोग

भगवान श्री कृष्ण
जन्माष्टमी

यह दोनों योग बहुत ही शुभ माने जाते हैं। वहीं अष्टमी तिथि के साथ सोमवार होना भी एक विशेष संयोग है। ऐसा माना जाता है कि भगवान श्री कृष्ण का जन्म सोमवार या बुधवार में से किसी दिन हुआ था।

तब इस दृष्टि से देखें तो इस वर्ष कृष्ण जन्माष्टमी तिथि के साथ वार सोमवार भी पड़ रहा है। ऐसे में ज्योतिषाचार्यो के अनुसार भगवान कृष्ण की पूजा—अर्चना करने के लिए सबसे शुभ समय रात्रि 12 बजे से 12 बजकर 45 मिनट तक रहेगा। 

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