प्रासंगिकविविध ‘ओलंपिक ‘ — कितना सही ….? by Teena Sharma Madhvi June 23, 2021 written by Teena Sharma Madhvi June 23, 2021 इंटरनेशनल ओलंपिक—डे क्या हम भूल रहे हैं कि हम एक ऐसे जहाज पर सवार हैं जो कोरोना तूफान से डगमगा रहा हैं…। क्या हम वाकई ये भूल बैठे हैं कि ये जहाज बुरी तरह से जख्मी हैं…क्या सच में हमें याद नहीं रहा कि दूसरी लहर में किस तरह इस तूफान ने मौत का तांडव दिखाया हैं…। लाखों जिंदगियां इस जहाज पर कोरोना के कहर से दम तोड़ चुकी हैं और कितनी ही अब भी इसके सिरे को पकड़े हुए आर या पार की स्थिति में हैं। मानाकि कोरोना के कारण ओलपिंक खेलों का आयोजन पहले ही एक साल टल चुका हैं। फिर भी ऐसे नाजुक वक्त पर क्या जरुरी हो सकता हैं…? वे सारे संभव प्रयास जो जहाज पर सवार जिंदगियों को बचाने के लिए होने चाहिए…? या फिर उन चंद लोगों के लिए ‘पिज्जा—बर्गर’ जैसे जंक फूड का शौक पूरा करना…? टीना शर्मा एक छोटा बच्चा भी इसका सही और सटीक जवाब दे देगा। फिर तमाम देशों की सरकारें तो अच्छा खासा दिमाग रखती हैं। क्या इस वक़्त ‘ओलंपिक खेलों’ का आयोजन करना एक ‘बचकाना’ चर्चा नहीं हैं जो इस समय की जा रही हैं। क्या जिंदगी बचाने से भी कोई बड़ी मजबूरी आन पड़ी है जिसकी वजह से ओलंपिक के आयोजन कराने हैं…? क्या सच में इसे टालकर आगे नहीं बढ़ाया जा सकता हैं….? क्या सामान्य स्थितियां हो जाने तक का इंतजार नहीं किया जा सकता हैं…? जब एक बेहतर मानसिकता के साथ इन खेलों का आनंद लिया जा सके…। सरकारों को कड़ा फैसला लेने में आखिर हिचकिचाहट क्यूं हो रही हैं…? क्यूं वे एक टूक फैसला नहीं ले लेती…’नहीं होगा इस साल भी टोक्यो ओलंपिक’। बजाए इसके इस आयोजन का ‘काउंटडाउन’ चल रहा हैं। क्या वर्तमान हालात सरकारों के सामने नहीं हैं या फिर कोरोना से मरने वालों में उनका अपना कोई नहीं…तीसरी लहर आने का स्वर तेज हो रहा हैं फिर भी खेलों के आयोजनों को लेकर सरकारें अब भी दबे स्वर में हैं। आखिर क्यूं…? खुद जापान में कोरोना के मामले अब भी आ रहे हैं। ऐसे में ‘अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक समिति’ इन खेलों के सुरक्षित और सफल आयोजन का दावा कैसे कर सकती हैं। एक आम जनता ही हैं जो अपनों को खोकर बैठी हैं इसीलिए चीख रही हैं मत करो इस ‘खेल महाकुंभ’ का आयोजन…’मत करो’…। हालांकि मीडिया रिपोर्ट्स इसके पीछे की वजह अरबों रुपयों के निवेश को बता रही हैं। टोक्यो ओलंपिक के लिए 15.4 बिलियन डॉलर यानी करीब 1140 अरब रुपए का निवेश किया गया हैं। अब यदि खेल रद्द होते हैं तो अधिकांश राशि डूब जाएगी। ये टोटली बिजनेस गेम हैं जो आमजन की समझ से परे हैं। एक दूसरा एंगल हैं जापान के पीएम ‘योशीहिदे सुगा’। जिनके लिए ये ओलंपिक का आयोजन एक कड़ी परीक्षा हैं। उनकी लोकप्रियता पचास प्रतिशत से भी कम हैं ऐसे में खेल रद्द हुए तो उनके लिए सियासी चुनौतियां बढ़ सकती हैं। एक तीसरा एंगल भी हैं जो सीधे तौर पर खिलाड़ियो से जुड़ा हुआ हैं। ऐसा माना जा रहा हैैं इनमें हिस्सा लेने वाले पंद्रह हजार से अधिक एथलीट्स का जीवन ठहर जाएगा। लेकिन सोचकर देखिए जरा। क्या वाकई में ये सभी कारण कोरोनाकाल में जिंदगियों से बढ़कर हैं। एथलीट्स का जीवन ठहर जाएगा या उनकी जिंदगी बच जाएगी…? जापान के पीएम की लोकप्रियता जिंदगियों को संकट में डालने से बढ़ जाएगी या उन्हें संकट से बचाने में…? ओलंपिक का आयोजन कराने के पीछे इन सबसे बड़ा और एक प्रमुख कारण विज्ञापन कंपनियों का मुनाफा भी बताया जा रहा हैं यानी की ‘टोटल बिजनेस डील’…। कोरोनाकाल के बीच ओलंपिक खेल का आयोजन कितना सही है और कितना ग़लत, ये फैसला ख़ुद खिलाड़ियोें पर हैै या फिर उन खेल प्रेमियों पर जो इसके आयोजन कराने के पक्ष में हैं। मौके की नज़ाकत को समझने का ‘फन’ देखना अभी बाकी हैं…। क्योंकि अगले महीने की 23 तारीख़ से ही जापान में होने हैं ‘ओलंपिक खेल’। इतना ही नहीं इस वर्ष इस खेल की थीम हैं ‘स्वस्थ रहो, मजबूत रहोे, एक्टिव रहो’…ये कैसे वर्क करती हैं ये भी देखना अभी शेष ही हैं….। 2 comments 0 FacebookTwitterPinterestEmail Teena Sharma Madhvi previous post ‘फटी’ हुई ‘जेब’…. next post बजता रहे ‘भोंपू’…. Related Posts गणतंत्र दिवस January 25, 2023 महिला अधिकार व सुरक्षा January 12, 2023 ‘इकिगाई’ May 20, 2022 प्रेस स्वतंत्रता सूचकांक… May 13, 2022 ‘मर्दो’ का नहीं ‘वीरों’ का है ये प्रदेश... March 10, 2022 ‘सर्वाइवल से सेविअर’ तक….. March 8, 2022 रानी लक्ष्मीबाई जयंती—- November 18, 2021 ‘पारंपरिक खेल’ क्यों नहीं…? November 13, 2021 ‘विश्व हृदय दिवस’ September 29, 2021 ‘मुंशी प्रेमचंद’—जन्मदिन विशेष July 31, 2021 2 comments Vaidehi-वैदेही June 23, 2021 - 6:47 pm जिन सरकारों को आम जनता की ज़िंदगी ही खेल लग रहीं हैं , वो ओलंपिक के आयोजन पर विचार भी क्यों करेंगी भला ?पता नहीं इन खेलों से किसका मनोरंजन होगा ? Reply Teena Sharma 'Madhvi' June 26, 2021 - 1:29 pm वाकई सोचनीय हैं। Reply Leave a Comment Cancel Reply Save my name, email, and website in this browser for the next time I comment.