ज्वलंत मुद्ददेप्रासंगिक गणतंत्र का ‘काला’ दिन.. by Teena Sharma Madhvi January 26, 2021 written by Teena Sharma Madhvi January 26, 2021 आज जश्न है 72वें गणतंत्र का…। आज उत्सव है हमारे अपने सविंधान का …। आज दिन हैं इसे संजोकर रखने का…। ये नया भारत हैं जो झुकेगा नहीं बल्कि झुका देगा…। इसके लिए आज मरने की नहीं बल्कि जीने की ज़रुरत हैं। ये आज़ादी इतनी सस्ती तो नहीं मिली हैं हमें कि इसे यूं ही धुआं फूंककर उड़ा दे…इसे मटरगस्ती में उजाड़ दें या फिर एक—दूसरे के सामने तलवारें लेकर खड़े हो जाएं….। इस देश की आन—बान—शान को बचाने की ख़ातिर मर मिटे रणबांकुरों को क्या ख़बर थी कि उनके लहू का कर्ज़ ओछी चाल बाजियों से उतारा जाएगा…। वो भी आज गणतंत्र दिवस के मौके पर…। उन्हें क्या मालूम था कि देश के भीतर अन्न ऊँपजाने वाले हाथ ही आज सड़कों पर यूं तलवारें लहराएंगे…। देश की शान ‘तिरंगा’ यूं आज अपनों के ही हाथों अपमानित होगा…। आज पूरे देश ने कोरोना महामारी के बीच गणतंत्र दिवस के जश्न की बेहद भव्य तस्वीरों को देखा और सुखद अनुभव भी महसूस किया। वहीं दूसरी ओर आज किसानों द्वारा एक ऐसा ‘काला अध्याय’ भी लिखा गया जो इतिहास में लोकतंत्र के नाम पर हमेशा ‘काला धब्बा’ बनकर दिखाई देगा..। किसानों का विरोध लाज़िमी हैं…। प्रदर्शन करने का भी उन्हें हक हैं…। लेकिन प्रदर्शन के नाम पर ‘गुंडागर्दी’ करना…ये कहां तक उचित हैं…? बेकाबू होकर ट्रेक्टर भगा रहे हैं…वर्दी का मखौल उड़ा रहे हैं…। यदि मंशा ठीक थी तो फिर तय रास्तों से क्यूं नहीं गुजरें…? यदि मंशा ठीक थी तो क्यूं हाथों में डंडा, पत्थर और तलवार ले आए…? मंशा ठीक ही थी तो क्यूं लाल किले की प्राचीर पर चढ़कर उसे लज्जित किया…? अपनी बात से पलटने की कला तो इस देश के अन्नदाता में नहीें थी …। फिर आज लाल किले पर वादा खिलाफी कैसे आ गई उनमें…? वो भी इतनी कि वे देश के मान और गौरव का प्रतीक ‘तिरंगे’ के स्थान पर अपना झंडा तक लगा बैठे…। ये महज़ एक कपड़ा और तीन रंग ही नहीं हैं। बल्कि हमारी पहचान हैं…कैसे भूल गए हमारे अन्नदाता…। एक बार भी उनके ज़ेहन में उन शहीदों का ख़्याल नहीं आया जो मर मिटे इसी ख़याल में कि हमारे पीछे कोई है जो देश की आबरु को संभाल लेगा…। तो क्या उनका शहीद होना यूं ही था…या आज किसानों की गुंडागर्दी यूं ही सड़कों पर उतर आई …? आज इन तस्वीरों ने पूरे देश का सर नीचा कर दिया। क्या वाकई ये हमारे किसान भाई है…? खैर, इस सवाल का जवाब तो वक़्त ही देगा…। लेकिन लोकतंत्र की ऐसी तस्वीर नहीं हो सकती..। जब देश के भीतर हमारे अपने ही हमारे स्मारकों और धरोहरों पर चढ़कर तलवारें घुमाएं..ईंट, भांटे फेंकें…और ”हमारी जान.. हमारी शान” तिरंगे की गरिमा की यूं धज्जियां उड़ाएं। तिरंगे से ऊपर कुछ नहीं हैं…। विश्व पटल पर चिन्हित देश भी आज ये तमाशा देख रहे होंगे…। ये क्या उदाहरण गढ दिया हमनें…। चाहे जो भी हो सियासतें एक तरफ लेकिन देश प्रेम एक तरफा हो…। कोई किंतु—परंतु नहीं…। सियासतदान बदलेंगे…फिर कोई और हुक्मरां होगा…। लेकिन देश वहीं रहेगा हमारी माटी वही रहेगी…। हमें कभी नहीं भूलना चाहिए कि अपनी ही मातृभूमि को पाने के लिए हमारे देश के वीरों ने इस मिट्टी को अपना खून दिया हैं। न जानें कितनी ही बहनों ने अपने भाई की कलाई दी हैं…। न जानें कितनी ही औरतों ने अपना सुहाग हंसते हुए रण क्षेत्र में भेजा हैं। न जानें कितनी ही ‘माओ’ के लाल इसे बचाने की ख़ातिर इस धरती ‘मां’ पर न्यौछावर हुए हैं। किसी वीर सपूत ने सीने पर हंसते हुए गोली खाई हैं तो किसी ने दस—दस को अकेले ही पछाड़ा हैं। कितना दम भरा होगा इनके भीतर…। जो ख़ुद तो मर गए लेकिन पीछे छोड़ गए एक आज़ाद कौम…आज़ाद ज़िंदगी…। आज़ादी के जश्न को गर्व से मनाने का हक हमें ऐसे ही वीरों की कुर्बानी से मिला हैं। फिर क्यूं भूल बैठे किसान भाई कि एक हमारा ‘भगत’ भी था जो देश की ख़ातिर हंसते हुए फांसी पर चढ़ गया…। लहराते हुए तिरंगे में भगतसिंह…चंद्रशेखर आज़ाद…राजगुरु जैसे वीर सपूतों का ही तो चेहरा गर्व से मुस्कुरा रहा हैं…। और आज उसी तिरंगे के सामने इतनी बेहयाई…। गणतंत्र के इतिहास का ये ‘काला दिन’ है। जय हिन्द—जय भारत 0 comment 0 FacebookTwitterPinterestEmail Teena Sharma Madhvi previous post फ़ौजी बाबा next post प्रेम का ‘वर्ग’ संघर्ष Related Posts प्रेस स्वतंत्रता सूचकांक… May 13, 2022 ‘मर्दो’ का नहीं ‘वीरों’ का है ये प्रदेश... March 10, 2022 रानी लक्ष्मीबाई जयंती—- November 18, 2021 ‘पारंपरिक खेल’ क्यों नहीं…? November 13, 2021 ‘विश्व हृदय दिवस’ September 29, 2021 ‘मुंशी प्रेमचंद’—जन्मदिन विशेष July 31, 2021 ‘रबर—पेंसिल’ …. July 10, 2021 बजता रहे ‘भोंपू’…. June 26, 2021 ‘ओलंपिक ‘ — कितना सही ….? June 23, 2021 ‘फटी’ हुई ‘जेब’…. June 20, 2021 Leave a Comment Cancel Reply Save my name, email, and website in this browser for the next time I comment.