कविता ‘गुफ़्तगू’ हैं आज ‘दर्द’ से…. by Teena Sharma Madhvi April 30, 2021 written by Teena Sharma Madhvi April 30, 2021 दर्द के आगोश में गुज़र रही हैं तमाम रातें कभी इस करवट तो कभी उस करवट। आज गुफ़्तगू हैं मेरी दर्द से, साथ निभाओगे या चले जाओगें…। बड़ी ही बेअदबी से दर्द ने कहा, तेरी रीढ़ में हूं शामिल जाने का तो सवाल ही नहीं बनता…। हैरां हूं मैं, इस ज़माने में कहां मिलता हैं ऐसा प्यार। जो साथ दें, उम्र भर के लिए…। वाह रे दर्द, तूने तो जीत लिया ये दिल सच कहूं, अब तो आदत सी हो गई हैं तेरी…। बस इक गुज़ारिश हैं तूझसे शामिल—हाल हैं तू…। कभी टूटने न देना हौंसला मेरा…। जो हैं अब यही हैं… यही हैं… बस यही हैं…। टीना शर्मा ‘माधवी’ ———————- अन्य कविता यहां पढ़े— कभी ‘फुर्सत’ मिलें तो चले आना… 1 comment 0 FacebookTwitterPinterestEmail Teena Sharma Madhvi previous post एक ‘पगार’ … next post टूट रही ‘सांसे’, बिक रही ‘आत्मा’ Related Posts गर लफ़्ज़ों की दहलीज होती April 23, 2023 खुद के लिए जीना April 20, 2023 सन्दूक January 25, 2023 ह से हिंदी January 18, 2023 हे नव-वर्ष प्रेरित करो हमें January 4, 2023 कविता दरवाज़े से जब December 18, 2022 ग़ज़ल निरुपमा चतुर्वेदी December 16, 2022 गूंगी कविता…. May 27, 2022 कविता ‘मां’ May 8, 2022 कविता ‘नई पौध’ May 4, 2022 1 comment 'प्रतीक्षा है कविता'... - Kahani ka kona 'प्रतीक्षा है कविता'... 'प्रतीक्षा है कविता' April 30, 2022 - 6:26 pm […] 'गुफ़्तगू' हैं आज 'दर्द' से…. […] Reply Leave a Comment Cancel Reply Save my name, email, and website in this browser for the next time I comment.