दर्द के आगोश में गुज़र रही हैं तमाम रातें
कभी इस करवट तो कभी उस करवट।
आज गुफ़्तगू हैं मेरी दर्द से,
साथ निभाओगे या चले जाओगें...।
बड़ी ही बेअदबी से दर्द ने कहा,
तेरी रीढ़ में हूं शामिल
जाने का तो सवाल ही नहीं बनता...।
हैरां हूं मैं,
इस ज़माने में कहां मिलता हैं ऐसा प्यार।
जो साथ दें, उम्र भर के लिए...।
वाह रे दर्द, तूने तो जीत लिया ये दिल
सच कहूं, अब तो आदत सी हो गई हैं तेरी...।
बस इक गुज़ारिश हैं तूझसे
शामिल—हाल हैं तू...।
कभी टूटने न देना हौंसला मेरा...।
जो हैं अब यही हैं... यही हैं... बस यही हैं...।
टीना शर्मा 'माधवी'
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