प्रासंगिकरंगमंच जी ‘हुजूरी’ का रंगमंच….. by Teena Sharma Madhvi March 24, 2021 written by Teena Sharma Madhvi March 24, 2021 विश्व ‘रंगमंच—सप्ताह’ में वरिष्ठ रंगकर्मी सुनीता तिवारी नागपाल की ‘कहानी का कोना’ से खास बातचीत— ‘मैं खुशनसीब हूं कि मैंने बहुत संपन्न थिएटर देखा। वो बेचारगी या ‘जुगाड़’ का थिएटर नहीं था। अपने आप में पूर्ण रंगमंच था। लेकिन आज का रंगमंच जी ‘हुजूरी’ का हो चुका हैं।’ ये बेबाक शब्द हैं वरिष्ठ रंगकर्मी सुनीता तिवारी नागपाल के। वे कहती हैं कि आज से करीब पच्चीस साल पहले जब उन्होंने थिएटर में अपना पहला कदम रखा था तब उसका स्वरुप आज से एकदम अलग था। नाटक के लिए घंटों रिहर्सल हुआ करती थी। जो दिन, हफ्तों और महीनों में नहीं बंधी थी। जब तक नाटक ‘पक’ नहीं जाता था। तब तक उसकी प्रस्तुति नहीं होती थी। लेकिन आज थिएटर का स्तर गिरता जा रहा हैं। दो घंटों की रिहर्सल में ही बच्चे ख़ुद को थिएटर आर्टिस्ट मानने लगे हैं। वे जो भी कुछ आधा अधूरा सीख रहे हैं वो मंच पर दिखाई दे रहा हैं। उनके अभिनय में कसावट नहीं दिखती। वे दर्शकों को बांधने में सफल नहीं हो पाते। ये देखकर बेहद तकलीफ़ होती हैं। बातचीत के दौरान सुनीता कई बार भावुक भी हुई। थिएटर की वर्तमान दशा को देखकर वे कहती हैं कि कई बार मुझे ये लगता है कि, ‘मैं थिएटर को छोड़ दूं, मुझे अब नाटक नहीं करना हैं, ये निर्णय शायद जल्द ही ले लूंगी’…। ऐसा लगता हैं जैसे मेरे अंदर की ऊर्जा और उत्साह नाटक के नाम पर ही खत्म सा होने लगा हैं। लेकिन रंगमंच मेरे जीवन का एक हिस्सा हैं। जिसने मेरे व्यक्तित्व को निखारा हैं। आज मैं जो कुछ भी हूं वो थिएटर की वजह से हूं। ये मेरे लिए एक ‘आईनें’ की तरह हैं जिसमें हर बार में ख़ुद को देखती हूं। जब कुछ अच्छा होता है तब मुझमें उत्साह भर उठता हैं जो मुझे आगे बढ़ने की प्रेरणा देता हैं। लेकिन जब कुछ गलतियों को देखती हूं, तब थिएटर ही है जो मुझे उसे सुधारने का मौका देता हैं। मेरे लिए थिएटर एक बेस्ट ‘एक्सप्रेशन’ हैं। जिसकी वज़ह से मैैं अपने अंदर के भाव को लोगों तक पहुंचानें में सफल हो पाती हूं। सुनीता पच्चीस साल पुरानी यादों में लेकर जाती हैं और महारानी कॉलेज में उस वक़्त को दोहराती हैं जब ‘थिएटर स्टडीज’ की शुरुआत हुई थी। वे कहती हैं कि मैं भाग्यशाली हूं कि पहली ही बैच की स्टूडेंट होने का मौका मिला। यहीं से मेरी ‘थिएटर जर्नी’ की शुरुआत हुई हैं। इसके बाद धीरे—धीरे रास्ते खुलते गए और फिर वर्ष 1999 में एनएसडी में चयन हो गया। यहां पर बहुत कुछ सीखने को मिला। इसके बाद मुंबई चली गई। लेकिन वर्ष 1994 से 1999 के बीच की यादेें अब भी मेरे लिए बेहद ख़ास हैं। रंगमंच का ये वो सुनहरा समय था जब सरताज नारायण माथुर ,साबिर खान, एस वासुदेव, विजय माथुर, रवि चतुर्वेदी, अशोक राही जैसे दिग्गज लोग नाटक किया करते थे। इनके नाटक देखकर ही मैं बड़ी हुई हूं। ये वो समय था जब ‘रंगमंच’ पर कॉम्प्रोमॉइस नहीं होता था। नाटक किसी का भी हो लेकिन बेक स्टेज जाकर भी लोग एक—दूसरे की मदद किया करते थे। इस वक़्त जो मैंने सीखा उसे आज भी बहुत याद करती हूं। रंगमंच के ‘ऑनलाइन’ स्वरुप को वे नकारते हुए कहती हैं कि ऑनलाइन थिएटर में क्वालिटी के साथ समझौता हो रहा हैं। अच्छे—बुरे की समझ खत़्म हो रही हैं। हर कोई ‘थिएटर वाला’ कहलाने लगा हैं। लोग चैनल बनाकर बैठे हैं। वेबीनार हो रही हैं। ऐसी सूरत में वास्तविक कलाकार तो पीछे छूट रहा हैं। जबकि रंगमंच तो आमने—सामने की विधा हैं। इसमें आमने सामने बात करनी ज़रुरी हैं। जब बोलना और सुनना ही हैं तो फिर ‘रेडियो नाटक’ किए जा सकते हैं। सुनीता स्पष्ट शब्दों में कहती हैं कि ‘डिजिटल रंगमंच’ की ज़रुरत ही नहीं हैं। इससे सिर्फ मन बहल सकता हैं। उनके हिसाब से इसका कोई बेहतर एवं कारगर विकल्प निकालने की ज़रुरत हैं। जो ऑडिटोरियम और डिजिटल थिएटर के बीच की कोई राह हो। जिसमें लोगों से सीधे तौर पर जुड़ा जा सके। बड़ी ही निराशा के साथ वे कहती हैं कि अब रंगमंच का कोई भविष्य नहीं दिखाई दे रहा हैं। क्योंकि वर्तमान पीढ़ी बहुत ही कन्फ्यूज्ड हैं। अधिकतर युवाओं में र्धर्य व लगन नहीं दिखती। वे थोड़े—थोड़े में सबकुछ कर लेना चाहते हैं। माध्यम बढ़ते जा रहे हैं लेकिन स्पष्टता गुम हो रही हैं। वे एक उदाहरण के तौर पर इसे बहुत ही गंभीर भावों के साथ समझाती हैं कि मेरे पास भी जो स्टूडेंट्स सीखने आते हैं वे ये सोचकर आ रहे हैं कि मेरा लिंक मुंबई से हैं जो बॉलीवुड पहुंचने का एक रास्ता हैं। सुनीता कहती हैं कि, ‘थिएटर और कैमरा एक्टिंग’ में बहुत फ़र्क हैं ये बात समझनी होगी युवाओं को। ‘नाटक’ जारी है… ‘ऑनलाइन प्रोडक्शन’ थिएटर की हत्या… 0 comment 0 FacebookTwitterPinterestEmail Teena Sharma Madhvi previous post ‘ऑनलाइन प्रोडक्शन’ थिएटर की हत्या…. next post ‘रंगमंच’ की जान ‘ गिव एंड टेक ‘… Related Posts जन्माष्टमी पर बन रहे द्वापर जैसे चार संयोग August 24, 2024 देश की आज़ादी में संतों की भूमिका August 15, 2024 विनेश फोगाट ओलंपिक में अयोग्य घोषित August 7, 2024 मनु भाकर ने जीता कांस्य पदक July 28, 2024 रामचरित मानस यूनेस्को ‘मेमोरी ऑफ द वर्ल्ड’ सूची... May 15, 2024 Basant Panchami बसंत पंचमी February 14, 2024 राम मंदिर प्राण-प्रतिष्ठा January 29, 2024 राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा January 22, 2024 राम मंदिर प्राण-प्रतिष्ठा January 21, 2024 राम मंदिर प्राण-प्रतिष्ठा January 10, 2024 Leave a Comment Cancel Reply Save my name, email, and website in this browser for the next time I comment.