यूं तो डॉक्टर्स को जितना धन्यवाद दें उतना कम हैं लेकिन आज इनके काम को समग्र रुप से धन्यवाद देने का दिन है। इसीलिए इस दिन को 'डॉक्टर्स डे' के रुप में मनाया जा रहा है। जिन हालातों से पिछले दिनों हम सभी ग़ुजर कर आए हैं उसमें जीवन को संभालने और सुरक्षित रखने में डॉक्टर्स ने बहुत अहम भूमिका निभाई है।
लॉकडाउन में 'कोरोना वारियर्स' के तौर पर जिस तरह से डॉक्टर्स ने अपनी ड्यूटी को अंजाम दिया है और अभी तक उसे पूरा करने में जुटे हैं। उसके लिए हम जितना भी लिखें और कहें वो कम हैं आज। ऊपर यदि भगवान है तो नीचे धरती के भगवान ये 'डॉक्टर' ही है।
हममें से कईयों के जीवन में ऐसा पल आया होगा जब हमारा अपना कोई या फिर हम ख़ुद जीवन और मृत्यु के संघर्ष के बीच में रहे होंगे। तब हमारी प्रार्थनाओं में ज़रुर ईश्वर था लेकिन ज़िदगी बचाने में ये डॉक्टर ही लगे थे। डॉक्टरी पेशा इसीलिए बाकी प्रोफेशन से अलग है। ये सिर्फ नौकरी नहीं है बल्कि एक ऐसी सेवा हैं जो बहुत मूल्यवान है।
आज नमन हैं सभी डॉक्टर्स और चिकित्सा पेशे से जुड़े लोगों को जो इस सेवा कार्य में जुटे हैं...। नमन हैं उन सभी डॉक्टर्स को जो अपनी 'हिप्पोक्रेटिक ओथ' को निभा रहे है।
दरअसल, 'हिप्पोक्रेटिक ओथ' ऐतिहासिक रूप से चिकित्सकों एवं चिकित्सा व्यसायियों द्वारा ली जाने वाली एक शपथ है। जिसमें सभी देवी-देवताओं को साक्षी मानकर अपने पेशे को पूरा करने का वचन लिया जाता है। और कोरोना के संक्रमण काल में डॉक्टरों को इस वचन को निभाते हुए हमने देखा है। यही है हमारे डॉक साब...।