प्रासंगिकरंगमंच ‘नाटक’ जारी है… by Teena Sharma Madhvi March 22, 2021 written by Teena Sharma Madhvi March 22, 2021 विश्व ‘रंगमंच दिवस’ पर विशेष— ‘कहानी का कोना’ में आज से ‘रंगमंच’ सप्ताह मनाया जा रहा हैं। इसमें आप रंगमंच से जुड़े कलाकारों की कहानी और उनके अनुभवों को पढ़ सकेंगे। वहीं प्रसिद्ध नाटककारों द्वारा रचित ‘नाटकों’ और रंगमंच के वर्तमान स्वरुप की बारीकियों से भी परिचित होंगे। ———————— टीना शर्मा ‘माधवी’ पौराणिक कथा ‘महाभारत’ तो आपको याद होगी ही। इसके हर प्रसंग आज भी लोगों के ज़ेहन में बसे हुए हैं। भले ही ये प्रसंग नब्बे के दशक में टीवी पर दिखाई गई महाभारत के रुप में याद हो। महाभारत ‘युद्ध’ का अंतिम दिन कैसा गुज़रा…सैनिकों की मनोदशा…गांधारी का अपने पुत्रों को खो देना और इसके लिए श्री कृष्ण को जिम्मेदार ठहराना…फिर अश्वथ्थामा का पांडवों से बदला लेना…और फिर अंत में कृष्ण की मृत्यु…। इन्हीं सभी दृश्यों को नाटकीय रुप में बखूबी निभाया गया है ‘अंधायुग’ में। ‘अंधायुग’ नाटक भारतीय रंगमंच का एक लोकप्रिय नाटक हैं। जो आज भी रंगमंच की दुनिया की पहली पसंद हैं। मंच पर पांव रखने वाले हर रंगकर्मी का सपना होता हैं कि एक बार उसे ‘अंधायुग’ नाटक करने को मिलें। और उनका ये सपना सच होना भी चाहिए…। हिन्दी साहित्य के स्तंभ धर्मवीर भारती द्वारा रचित यह एक हिन्दी ‘काव्य नाटक’ हैं जो पौराणिक कथा व सबल कल्पना पर आधारित हैं। जिसमें महाभारत युद्ध के अंतिम दिनों को बेहद ही खूबसूरती से लिखा गया हैं। इसमें युद्ध और उसके बाद की समस्याओं और मानवीय महत्वाकांक्षाओं को जिस तरह से प्रस्तुत किया गया हैं वो हर रंगकर्मी को आकर्षित करता हैं और दर्शकों के मन को झंकझौर देता हैं। जब दर्शक दीर्घा से तालियों की गड़गड़ाहट का शोर गूंजता है तो भारती जी के लिखे एक—एक शब्द इस वक्त साकार हो उठते हैं। इसका श्रेय उन कलाकारों को भी जाता हैं जो बेहद ही संजीदगी से ‘अंधायुग’ को निभाते हैं। तभी तो कई दशकों से भारत की प्रत्येक भाषा में ये नाटक मंचित होता आ रहा हैं। भारती जी ने इस नाटक में ढेर सारी संभावनाएं रंगमंच के लिए छोड़ रखी हैं। ऐसा ही एक और नाटक सामने आता है ‘खामोश! अदालत जारी हैं’ जिसका छह हजार से भी अधिक बार मंचन हो चुका हैं। जिसे लिखा हैं विजय तेंदुलकर ने…। ये नाम सिर्फ एक नाटककार के रुप में ही नहीं बल्कि महान कहानीकार, उपन्यासकार, संपादक, अनुवादक, स्तंभ लेखक की बहुमुखी प्रतिभा के रुप में जाना जाता हैं। भारतीय नाट्य जगत में इस नाटक का सर्वोच्च स्थान हैं। वर्ष 1968 में पहली बार इस नाटक का मंचन हुआ था और तब से आज तक ये दर्शकों के मानस को विचलित करने का सामर्थ लिए हुए अब भी प्रासंगिक लगता हैं। ये नाटक एक स्त्री की ज़िंदगी को उकेरता हैं। किस तरह समाज इस स्त्री के जीवन में घुसता है और फिर उस पर नीचता व क्रूरता की सारी हदें पार करता हैं। एक औरत की मानसिक प्रताड़ना का परत दर परत खुलासा करता हुआ ये नाटक मज़ाक में शुरु हुई कोर्ट की कार्यवाही से होता हैं। दिलो दिमाग को हिला के रख देने वाले संवादों ने इस नाटक की छाप ऐसी छोड़ दी कि आज भी एक मंझा हुआ रंगकर्मी भी इसके बगैर ख़ुद को ‘कलाकार’ के रुप में अधूरा मानता हैं। थिएटर की दुनिया में ऐसे ही कुछ और नाटक मंचित हुए जिन्होंने इस दुनिया को उत्साह से भर दिया। मोहन राकेश एक ऐसे नाटककार हुए जिन्होंने ‘आधे—अधूरे’ शीर्षक से नाटक की रचना की। ये नाटक एक मध्यम वर्ग के लोगों के जीवन पर आधारित दु:खद कॉमेडी हैं। नाटक के क्षितिज पर मोहन राकेश का जन्म उस वक़्त हुआ जब पचास के दशक में सांस्कृतिक पुनर्जागरण का ज्वार जीवन के हर क्षेत्र को प्रभावित कर रहा था। तब इनके द्वारा रचित नाटकों ने न सिर्फ नाटक का तेवर और स्तर बदल दिया बल्कि हिन्दी रंगमंच की दिशा को भी प्रभावित किया। इनका लिखा हुआ नाटक ‘आषाढ़ का एक दिन’ हिन्दी नाटकों की यात्रा में कई तरह सेे महत्वपूर्ण हैं। ये नाटक महाकवि कालीदास के जीवन से संबंधित है। एक सीधी—सादी लड़की की नियति का एक ऐसा सजीव चित्र इसमें देखने को मिलता हैं जो एक कवि से प्रेम करती हैं और उसे महान होते देखना चाहती हैं। इसकी कीमत वो अपना सर्वस्व देकर चुकाती हैं। ये नाटक कई स्तरों को छूता हैं जिसमें प्रेम के साथ ही साथ व्यक्ति और परिवेेश, कर्म और भावना, राज्य और कलाकार के रुप में कई आयाम नज़र आते हैं। ‘विश्व रंगमंच दिवस’ की सार्थकता इन नाटकों के बगैर अधूरी हैं। इसी श्रृंखला में आप आगे पढ़ सकेंगे और भी नाटक व उनके रचनाकारों के बारे में….। continue——— 8 comments 0 FacebookTwitterPinterestEmail Teena Sharma Madhvi previous post तबड़क…तबड़क…तबड़क… next post ‘ऑनलाइन प्रोडक्शन’ थिएटर की हत्या…. 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Reply Anonymous March 23, 2021 - 8:58 am Nice One### Regards- Kumar Pawan Reply Teena Sharma 'Madhvi' March 23, 2021 - 2:01 pm 🙏🙏 Reply Teena Sharma 'Madhvi' March 23, 2021 - 2:02 pm 🙏🙏 Reply Leave a Comment Cancel Reply Save my name, email, and website in this browser for the next time I comment.