विविधस्त्री विमर्श ‘सर्वाइवल से सेविअर’ तक….. by teenasharma March 8, 2022 written by teenasharma March 8, 2022 ‘सर्वाइवल से सेविअर’ तक….. सर्वाइवल से सेविअर बनी कृति ने अपने जीवन के बेहद ही व्यक्तिगत सवालों पर भी खुलकर कहा। कृति ने बताया कि लोग अकसर पूछते हैं तुम कब शादी करोगी…इस पर वे हंसकर जवाब देती हैं ”अभी तो मैं छोटी हूं…। ‘कहानी का कोना’ में आज जोधपुर की बेटी डॉ. कृति की कहानी लिख रही हूं जिसने न सिर्फ ख़ुद को ज़िदा रखने की लड़ाई लड़ी है बल्कि आज उन बेटियों की आवाज़ बनकर भी समाज से लड़ रही हैं, जो ‘बाल विवाह’ की अग्नि में झोंक दी जाती हैं। कृति की ‘सर्वाइवल से सेविअर’ तक की कहानी प्रस्तुत हैं— आज ‘अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस’ हैं…यूं तो इस दिन की मोहताज नहीं हैं कोई भी स्त्री…पर इस एक दिन ही सही, ज़रा ठहर कर ख़ुद के बारे में सोचे …अपने भीतर दबी—छुपी हुई ख़्वाहिशों को पूरा करने का निर्णय लें….यहीं इस दिन को मनाने की सार्थकता होगी…। अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस…. डॉ. कृति भारती को हाल ही में ‘वीमन हीरोज आफ नेशन’ अवॉर्ड से नवाज़ा गया हैं। लेकिन यहां तक का सफर तय करना कृति के लिए आसान न था। कृति बताती हैं, ‘पिता नहीं चाहते थे कि मेरा जन्म हो’…परिवार के लोग किसी भी तरह से ‘मां’ का गर्भपात कराना चाहते थे , लेकिन कहते हैं ना ‘जाको राखे सांईया..मार सके ना कोई’…। गर्भपात नहीं हो पाया…जैसे—तैसे मां ने मुझे कोख़ में रखा…इसी दौरान मां को कुछ कॉम्प्लीकेशंस हो गए। डॉक्टरों ने कहा या तो मां बच सकती है या फिर बच्चा…। फिर वही हुआ ‘जाको राखे सांईया..मार सके ना कोई’…। मैंने एक प्री—मैच्योर बेबी के रुप में जन्म लिया और मां भी बच गई। मेरे पिता ने हमें छोड़ दिया था बल्कि मुझे मारने की हर वो कोशिशें की गई जो इंसानी बस में थी…शायद ईश्वर की मर्जी कुछ ओर ही थी, हर बार ‘मैं’ बच गई…लेकिन एक वक़्त ऐसा भी आया जब मुझे मारने की साज़िश कुछ हद तक सफल हुई। इस समय मेरी उम्र 10 साल थी और मुझे मारने के लिए ज़हर दिया गया…मेरी जान बच तो गई लेकिन ज़हर मेरे पूरे शरीर में फेल गया…और मैं दो साल तक बिस्तर पर ही रही। शरीर ने काम करना बंद कर दिया था…’मां’ ने मुझे ज़िंदा रखने की हर संभव कोशिश की…ऐसी कोई जगह ऐसी कोई इलाज की पद्धति नहीं छोड़ी जिससे मैं पहले की तरह चल—फिर सकूं…पहले की तरह बात कर सकूं…। मां की दुआ और ईश्वर की कृपा ही थी एक बार फिर से मैं बच गई। दुनिया के किसी भी बच्चे को शायद ही अपना पहला कद़म याद होगा लेकिन 12 साल की उम्र में उठाया पहला कदम अब भी मुझे याद हैं। कृति ने अपने जीवन की पहली क्रांति उस दिन को बताया जब अपने नाम के आगे ‘भारती’ सरनेम लगाया। दरअसल, इसके पीछे की वजह एक पिता द्वारा ठुकराया जाना और उसे मार देने की कोशिशें थी…। कृति कहती है कि मुझे ऐसे सरनेम की ज़रुरत न थी जिसने मुझे अपनाया ही नहीं। ‘मैं’ अब ख़ुद को देश की बेटी कहलवाना चाहती थी। इसीलिए मैंने अपने नाम से पिता का सरनेम हटाकर ‘भारती’ रख लिया। उस वक़्त ये गुस्से में लिया गया फैसला था लेकिन आज मुझे लगता है कि मेरे जीवन का ये एक बेहतरीन फ़ैसला था। यहां के बाद से कभी—जीवन में पलट कर नहीं देखा। शरीर में ज़हर फेलने के बाद मेरी पढ़ाई भी छूट गई थी…लेकिन अब मैं पढ़ना चाहती थी। मां और मेरे टीचर्स ने मुझ पर बहुत मेहनत की। इसी का परिणाम रहा कि मैंने बीच की कक्षाएं छोड़ सीधे 10वीं की कक्षा पास की। आज मैं पीएचडी होल्डर हूं….लेकिन मुझे अपनी 10 वीं की मार्कशीट से बेहद लगाव हैं। गहन संघर्षो के बीच मैंने इसे पाया था। जब मैं बड़ी हुई तो एक एनजीओ में बतौर काउंसलर का काम शुरु किया। यहां से मेरे जीवन की दिशा बदल गई। एक दिन मेरे पास रेप विक्टीम की बच्ची का केस आया…इस केस की पूरी काउंसलिंग मैंने की थी। इसी दौरान मुझे ये महसूस हुआ कि सिर्फ काउंसलिंग करने से ही काम पूरा नहीं होगा। ऐसे केस में न्याय भी चाहिए। बस यहीं से मेरे जीवन की दूसरी जर्नी शुरु हुई। मैंने अपनी नानी के नाम पर ‘सारथी ट्रस्ट’ की स्थापना की…। इस वक़्त मेरे पास एक बाल—विवाह का मामला सामने आया…मुझसे कहा गया कि ‘गौना रुकवा दो मेडम जी’…। इस वक़्त तक मुझे बाल विवाह के बारे में कोई ख़ास जानकारी न थी। धीरे—धीरे मैंने इस प्रथा के बारे में जाना, समझा…। एक समय ऐसा आया जब मेरे पास बाल विवाह रुकवाने के लिए लोग आने लगे। मैंने भी इस वक्त फैसला कर लिया कि अब से मैं किसी भी बेटी को इस दलदल में नहीं फंसने दूंगी। डॉ. कृति भारती साल 2012 में देश का पहला बाल विवाह निरस्त करवाया। इस वक़्त तक लोगों को ये पता नहीं था कि बाल विवाह निरस्त भी हो सकता हैं यानि कि ‘शून्यीकरण’ किया जा सकता हैं। मुझे यह कहते हुए खुशी हो रही हैं कि अब तक 1500 बालविवाह रुकवाएं है और 43 बाल विवाह को निरस्त करवाया हैं। ऐसा करने पर मुझे कई तरह की धमकियां भी मिलती हैं लेकिन मुझे जान की परवाह नहीं हैं इसीलिए खुलकर काम करती हूं। इन बेटियों की दुआ है जब मैं इस दिशा में काम कर पा रही हूं…और लोग मुझे सम्मानित कर रहे हैं। ये पूछने पर कि अब आगे क्या करने की ख़्वाहिश हैं, तब कृति ने बताया कि भविष्य में ‘लैंगिक अपराध’ और ‘मेंटल हेल्थ’ पर काम करना चाहती हूं। सर्वाइवल से सेविअर बनी कृति ने अपने जीवन के बेहद ही व्यक्तिगत सवालों पर भी खुलकर कहा। कृति ने बताया कि लोग अकसर पूछते हैं तुम कब शादी करोगी…इस पर वे हंसकर जवाब देती हैं ”अभी तो मैं छोटी हूं…। खैर, इस बारे में ज़्यादा सोचा नहीं हैं लेकिन शादी जैसे इंस्टीट्यूशन में प्रवेश लेने से पहले एक बेहतर इंसान का होना ज़रुरी हैं। जिस दिन मुझे ऐसा ही एक इंसान मिल गया तब जल्द ही शादी कर लूंगी। अपनी रुचि—खानपान—रहन—सहन के बारे में कृति ने बताया कि मुझे हर तरह का पहनावा पसंद हैं बशर्त हैं कि वो सुविधाजनक हो। खाने में चटपटी चीजें पसंद हैं…। मुझे डांस करना बेहद पसंद हैं…इसका अंदाज़ा इस बात से लगाया जा सकता है कि मैं बैगानी बारात के सामने भी डांस कर सकती हूं….। दरअसल, मेरे जीवन में डांस ही एक ऐसी खूबसूरत बात हैं, जो मेरी आत्मा से जुड़ी हुई हैं। कृति सभी महिलाओं और लड़कियों से कहती है कि हर महिला ख़ास और हुनरमंद हैं…। बस संघर्षो की भट्टी से तपकर जो सफलता को हासिल करती हैं वो एक मिसाल बन जाती हैं…। इसका मतलब ये कतई नहीं कि बाकी सब हारी हुई हैं…। वे ख़ुद के लिए सबसे पहला कद़म उठाएं उसके बाद दूसरों के लिए आगे बढ़े…। अपने साथ होने वाली किसी भी बुरी परिस्थिति को नज़र अंदाज़ न करें…बल्कि आवाज़ उठाएं…वरना आगे चलकर ये नज़र अंदाज़ करना आदत बन जाएगा। अधिकांश महिलाएं सिर्फ बर्दाश्त करती हैं और उसे अपना भाग्य समझकर चुप बैठ जाती हैं…। ये सही नहीं हैं। इस मानसिकता से बाहर आना होगा…। महिला दिवस मनाने भर से कुछ न होगा बल्कि एक संकल्प ख़ुद के लिए लें…तब तो सही मायने में ये सार्थक हैं….। नकारात्मकता से सकारात्मकता की ओर ख़ुद को ले जाएं क्योंकि दुनिया में असंभव जैसा कुछ नहीं…। कुछ और कहानियां, लेख व कविताएं पढ़ने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें— ‘अपने—अपने अरण्य’ कविता ‘मां’ ऐसे थे ‘संतूर के शिव’ “बातशाला” womendayडॉ. कृति भारतीस्त्री—विमर्श 4 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