कॉमन मैनकोना स्ट्रीट आर्टिस्ट हूं भिखारी नहीं कॉमन मैन- by teenasharma November 14, 2022 written by teenasharma November 14, 2022 ‘सचिन फौज़दार’ कॉमन मैन– स्ट्रीट आर्टिस्ट हूं भिखारी नहीं…। ये सुन मेरी तलाश उन गलियों में जा पहुंची जहां पर एक युवा हाथों में गिटार पकड़े हुए भीड़ के बीच फरमाइशी गानों की सरगम छेड़ रहा था…। बात मामूली न थी…। सुर का पक्का ये नौजवां…न सिर्फ जवान दिलों को धड़कानें में सफल रहा बल्कि बच्चे और बूढ़े भी इसकी अंगुलियों से छिड़ रहे तारों से बंध से गए…। मेरी जिज्ञासा ने मुझे भी भीड़ के बीचों—बीच जा खड़ा किया…। इसकी आवाज़ में एक ठहराव था्, पर आंखों की नमी न जानें कौन—सा दर्द बयां कर रही थी…। जब गाना—बजाना रुका तब मैंने बात कुछ यूं छेड़ी…। ‘बहुत अच्छा गा और बजा लेते हो…।’ पर यूं सड़क पर क्यूं…? उसने हल्की सी मुस्कान के साथ जवाब दिया…। थैंक्यू मैम…। ”ये करना मुझे अच्छा लगता हैं…।” सचिन फौज़दार पर ये जवाब नाकाफी था। क्यूंकि शक्ल, सूरत और कपड़ों से ये अच्छे परिवार से और पढ़ा—लिखा सा नज़र आया। इसीलिए जिज्ञासा को एक सिरा और मिल गया, इसी के सहारे मैंने फिर एक सवाल किया, ”कौन हो भई तुम…?” पलटकर जवाब आया, ”मैं बुरे से बुरा वक़्त देखना चाहता हूं…।” पर लोगों के चेहरों पर हमेशा मुस्कान बनी रहें….। जवाब बेहद अजीब था पर ये सुनने के बाद इससे आगे बात करना लाज़िमी ही था, आख़िर कोई क्यूं बुरे वक़्त को भी यूं हंसते—बजाते हुए देखने की ख़्वाहिश रख सकता हैं…? जब बात कुछ और आगे बढ़ी तब इस नौजवां ने इतना ही कहा, ”मैं लोगों को मुस्कुराते हुए देखना चाहता हूं…।” बस इत्ती सी बात हैं…और इसी ‘पंच लाइन’ से मेरी तलाश अपने ‘कॉमन मैन’ पर जा रुकी…। आज मेरी कहानी का ‘कॉमन मैन’ यही हैं…। नाम हैं ‘सचिन फौज़दार’…। उम्र— 25 वर्ष काम— पिंकसिटी की सड़कों पर गिटार बजाना…। मकसद एकदम साफ़ हैं, लोगों के चेहरों पर मुस्कान देखना…। दरअसल, सचिन की कहानी उन फोन कॉल्स के साथ ही शुरु हो गई थी जो ‘रिकवरी’ के लिए लगाए जाते हैं…। सचिन ने बताया कि वो बीएड पास हैं और टिचिंग लाइन में अच्छी खासी जॉब कर रहा था…। लेकिन कुछ दिनों बाद उसे लगने लगा कि, मैं इसके लिए नहीं बना हूं….पर ये नहीं तो फिर क्या…? ये ही सवाल दिनरात सचिन के दिलों दिमाग़ में घुमने लगा…। इस वक़्त उसे एक प्राइवेट फाइनेंस कंपनी में जॉब मिल गई….। उसने यहां भी मन लगाकर काम शुरु कर दिया…। यहां पर उसका काम ‘रिकवर ऑन कॉल’ था…। वो रोज़ाना कस्टमर्स को फोन करता और उनसे पेमेंट भुगतान के लिए कहता…। इस दौरान कस्टमर उसे अपनी परेशानियां सुनाते…। कोई कहता ‘मां’ बीमार हैं तो कोई कहता बच्चे की फीस जमा नहीं हो रही…कोई अपनी गरीबी की व्यथा—कथा सुनाकर रोने लगता…। तो कोई पैसा चुकाने के लिए कुछ और दिन की मुहलत मांगता। लोगों की परेशानियां…उनके दु:ख और तकलीफ़ सुनते—सुनते सचिन का मन काम से भटकने लगा…। वो सोच में पड़ गया। दुनिया में लोग न जानें कैसी—कैसी तकलीफों और दर्द से गुज़र रहे हैं…। और मैं रिकवरी कॉल करके सिर्फ अपनी नौकरी पूरी करता रहूंगा…। जबकि मैं बेबस हूं, मैं उनकी इसमें कोई मदद नहीं कर सकता….। तब मैं क्या करूं…? एक बार फिर वही सवाल दिन रात घुमने लगा…। एक दिन सचिन ने ये भी जॉब छोड़ दी…। पर अब क्या करुं…। इस बात ने फिर परेशान किया…। सचिन ने बताया कि काफी दिनों तक वो सोचता रहा कि, जॉब नहीं तो क्या करुं…? वो भी ऐसा काम जिससे लोगों के चेहरों पर मुस्कान ला सकूं…। हर आदमी दु:ख और तकलीफ़ से जूझ रहा हैं…। लोगों के जीवन में ख़ुशी कम और दु:ख ज़्यादा हैं…। तब ऐसा कोई तरीका हो जब कुछ पल ही सही, पर लोग अपने दु:ख और दर्द भूला सके…कुछ पल ही सही, पर लोगों के चेहरों पर मुस्कान आ सके….। बस यहीं से सचिन के ज़ेहन में एक ख़याल जन्मा…। उसने अपनी गिटार उठाई और ‘सड़क’ को चुन लिया…। सचिन को गिटार बजाना तो आता ही था, फिर क्या बस छिड़ गए ‘तार’…। वो हर शाम जयपुर की अलग—अलग जगहों पर गिटार बजाकर लोगों के चेहरों पर मुस्कान बिखेर रहा हैं…। पर ये फ़ैसला लेना इतना आसान भी न था। अच्छी भली जॉब छोड़कर यूं सड़कों पर ‘गाना—बजाना’ करना किसी को भी पसंद नहीं आया…। घर, परिवार और रिश्तेदारों का विरोध शुरु हो गया…। मां—पिता को छोड़कर सभी ने सचिन को बहुत कुछ सुनाया…। किसी की इज्ज़त घट रही थी तो किसी को शर्म महसूस होने लगी…। पर सचिन ने अपनी अंतर्रात्मा की सुनी और मां—पिता के आशीर्वाद के साथ वो इस काम में पूरी शिद्दत से जुट गया…। सचिन कहता है, ”म्यूजिक वो थेरेपी है जो लोगों के चेहरों पर खिलखिलाहट ला सकती हैं…।” इसी ध्येय के साथ उसने गिटार बजाना शुरु किया था और ये सिलसिला जो शुरु हुआ कि फिर न थमा…। लोग न सिर्फ उसका गिटार बजाना पसंद कर रहे हैं बल्कि उसकी गायकी के दर्द को भी महसूस कर रहे हैं…। भीड़ से निकलकर कुछ लोगों ने उसे अच्छी जॉब भी ऑफर की हैं…। सचिन ने एक वाकया सुनाते हुए कहा, एक बार के लिए मैंने होटल…रेस्त्रां और बार में गाने—बजाने का ऑफर मान भी लिया था। और कई दिनों तक वहां पर गिटार बजाई लेकिन मुझे खुशी नहीं मिली…। सचिन ने अपनी बात को कुछ यूं गहराई में बांधा, मैं बस इतना ही चाहता हूं कि लोग होश में रहकर मेरा म्यूजिक सुने और खुश हो…। क्यूंकि लोगों के चेहरों पर मुस्कान देखने के लिए ही मैं ‘स्ट्रीट आर्टिस्ट’ बना हूं…। पर दु:ख इस बात का है कि, हमारे यहां पर सड़क पर गाने—बजाने वाले को ‘भिखारी’ के रुप में देखा जाता हैं…। ये सही नहीं हैं…। मेरी अपील है कि, सड़कों पर अपनी कला प्रदर्शन करने वालों को भी एक ‘कलाकार’ के रुप में मान सम्मान मिलें…। विदेशों में लोग बतौर स्ट्रीट आर्टिस्ट के तौर पर न सिर्फ अपनी कला का प्रदर्शन कर रहे है बल्कि जीवन यापन करने जितनी कमाई भी कर रहे हैं…वो भी सम्मान के साथ…। वही सम्मान हमारे देश में भी मिलें…। अंत में वहीं सवाल पूछा, तुम अपने लिए बुरे से बुरा वक़्त क्यूं देखना चाहते हो…? जबकि तुम एक नेक काज को दिल में लिए हुए सड़कों पर उतरे हो…? http://kahanikakona.com/wp-content/uploads/2022/11/WhatsApp-Video-2022-11-14-at-22.18.32.mp4 सचिन ने बेहद ही गंभीर भावों से जवाब दिया, ”छोटी उम्र में बड़े दु:ख देख लिए…। अब उनसे बुरा तो क्या ही हो सकता हैं मेरी ज़िंदगी में….।” सचिन की निजी ज़िंदगी में न सिर्फ़ संघर्ष छुपा है बल्कि कुछ ऐसी घटनाएं भी हुई है, जिन्होंने उसे भीतर तक आहत कर दिया….। जिनसे लड़कर उसने ख़ुद को खड़ा किया हैं…। इसीलिए वो कहता है, इससे बुरा तो अब क्या ही होगा उसके साथ….। फ़िलहाल उसके ज़ख़्मों को शब्दों में पिरोकर कुरेदने का इरादा बिल्कुल भी नहीं हैं। इसीलिए उसके लक्ष्य की कहानी आपके साथ साझा करने का प्रयास किया हैं। और वो हैं, ”लोगों के चेहरों पर मुस्कान लाना….।” इसके आगे अब कोई सवाल नहीं…। इस जवाब ने सबकुछ बयां कर दिया…। सचिन अपने दु:खों को भूलाकर ”अनजान चेहरों पर मुस्कान” लाने निकल पड़ा हैं….। कॉमन मैन श्रृंखला की अन्य कहानी पढ़ने के लिए नीचे क्लिक करें— कॉमन मैन— ‘हुकमचंद’ गाइड ‘गुड़िया के बाल’ comman manexcludesachinfaujdarmusicstreet artistकॉमन मैनकॉमन मैन—स्ट्रीट आर्टिस्ट हूंभिखारी नहींसचिन फौज़दार 3 comments 4 FacebookTwitterPinterestEmail teenasharma previous post कहानी-बुधिया next post ग़ज़ल निरुपमा चतुर्वेदी Related Posts गाथा: श्री घुश्मेश्वर महादेव August 13, 2023 राष्ट्रीय प्रसारण दिवस आज July 23, 2023 उपन्यास ’उधड़न’ का लोकार्पण June 24, 2023 बाहुबली January 28, 2023 कॉमन मैन— ‘हुकमचंद’ गाइड July 12, 2022 ‘गुड़िया के बाल’ June 16, 2022 कहानी का कोना June 12, 2022 ‘फटी’ हुई ‘जेब’…. 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