सपनों की दे​ह पर…..

by Teena Sharma Madhvi

 सपनों की दे​ह पर सुलग रही है

तमाम उम्र की ख़्वाहिशें

इक पल की ख़ुशी की ख़ातिर

न जानें कितनी रातें गुज़ारी हैं करवटों में..। 

आज ज़रा हथेली क्या देख ली

ख़ुद की ‘लकीरें’ ही मिट गई…। 

उफ! ये ख़्वाहिशें और इसे पा लेने की चाहतें,

न जानें क्या—क्या ‘लूट’ गया पीछे।

 

 

‘चैन ओ सुकून’ का उठना—बैठना

तसल्ली का घूंट और वो निवाला

बेफिक्र नीेंदें

वो अपनेपन की थप्पी

और वो हंसी ठट्ठे का शोर…। 

 

सपनों की देह पर अब सुलग रही हैं सिर्फ ‘आह’

आज सोचा है यूं कि

बस और नहीं,

     अब और नहीं…। 

‘दोस्ती वाली गठरी’ …..

ठहर जाना ऐ, ‘इंसान’…..

‘फटी’ हुई ‘जेब’….

‘गुफ़्तगू’ हैं आज ‘दर्द’ से….

कभी ‘फुर्सत’ मिलें तो…

 

 

 

 

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10 comments

Anonymous September 1, 2021 - 11:38 am

Beautifully expressed feelings

Kumar Pawan

Reply
shailendra September 1, 2021 - 12:55 pm

भावनाओं की अभिव्यक्ति का शानदार प्रदर्शन…

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Vaidehi-वैदेही September 1, 2021 - 7:17 pm

बेहतरीन भावाभिव्यक्ति

Reply
Teena Sharma 'Madhvi' September 2, 2021 - 5:37 am

Thankyou 🙏

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Teena Sharma 'Madhvi' September 2, 2021 - 5:38 am

Thankyou shail

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Teena Sharma 'Madhvi' September 2, 2021 - 5:39 am

Thankyou dear ❤️

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Ashish September 4, 2021 - 9:25 am

Ek no

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कविता 'मां' - Kahani ka kona May 8, 2022 - 5:12 am

[…] सपनों की दे​ह पर….. […]

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गढ़िए एक 'झूठी कहानी' - Kahani ka kona June 11, 2022 - 8:32 am

[…] सपनों की दे​ह पर….. […]

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नमस्कार,

   ‘कहानी का कोना’ में आप सभी का स्वागत हैं। ये ‘कोना’ आपका अपना ‘कोना’ है। इसमें कभी आप ख़ुद की कहानी को पाएंगे तो कभी अपनों की…। यह कहानियां कभी आपको रुलाएगी तो कभी हंसाएगी…। कभी गुदगुदाएगी तो कभी आपको ज़िंदगी के संघर्षों से लड़ने का हौंसला भी देगी। यदि आप भी कहानी, कविता व अन्य किसी विधा में लिखते हैं तो अवश्य ही लिख भेजिए। 

 

टीना शर्मा ‘माधवी’

(फाउंडर) कहानी का कोना(kahanikakona.com ) 

kahanikakona@gmail.com

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