कला/संस्कृतिप्रासंगिकसम सामयिकस्लाइडर लोक गायिका शारदा सिन्हा का निधन बिहार कोकिला by teenasharma November 7, 2024 written by teenasharma November 7, 2024 लोक गायिका शारदा सिन्हा का निधन छठ पर्व की आवाज़ व बिहार की लोकप्रिय लोक गायिका शारदा सिन्हा का निधन। इस पर यक़ीन कर पाना उनके चाहने वालों के लिए अब भी मुश्किल हैं। जिसकी आवाज़ चार दशक से भी अधिक समय तक छठ पर्व की जान रही। वो चार दिवसीय छठ पर्व के पहले दिन ही इस संसार को अलविदा कह गई। इसे नियति ही कहेंगे..। जिसकी आवाज़ चार दशक से भी अधिक समय तक छठ पर्व की जान रही। वो चार दिवसीय छठ पर्व के पहले दिन ही इस संसार को अलविदा कह गई। पीछे रह गए उनके वे गीत जो हर साल इस उत्सव की जान हुआ करते हैं। छठ पर्व की आवाज़ व बिहार की लोकप्रिय गायिका शारदा सिन्हा नहीं रही। इस पर यक़ीन कर पाना उनके चाहने वालों के लिए अब भी मुश्किल हैं। किंतु 5 नवंबर को 72 वर्ष की उम्र में उनका निधन होना निश्चत ही उनके फैंस को गहरा सदमा देकर गया है। दिल्ली के एम्स में पिछले कुछ दिनों से उनका इलाज चल रहा था। वे मल्टीपल मायलोमा जो एक प्रकार का रक्त कैंसर है, इससे जूझ रही थी। बड़ी और दु:खद बात ये है कि वे ऐसे वक्त पर सभी को छोड़कर गईं हैं जब उत्तर भारत के लोग छठ पर्व की तैयारी में डूबे थे। और उन्हें इंतज़ार था शारदा सिन्हा के उन गानों पर झूमने और गानें का जो हर साल इस पर्व पर उनके घर आंगन को अपनी आवाज़ के जादू से चमका देते हैं। लोक गायिका शारदा सिन्हा दरअसल, शारदा सिन्हा बिहार की एक लोकप्रिय गायिका थीं। उन्होंने मैथिली, भोजपुरी के अलावे कई फिल्मों में हिन्दी गीत भी गाये। उन्होंने करीब 50 साल पहले 1974 में अपना पहला भोजपुरी गाना गाया था। इसके बाद वे अपनी गायकी का संघर्ष करती रहीं। फिर साल 1978 में उन्होंने छठ गीत ‘उग हो सुरुज देव’ गाया। इस गाने ने जबरदस्त रेकॉर्ड बनाया और यहीं से शारदा सिन्हा और छठ पर्व एक दूसरे के पूरक बन गए। उनके गाये गीतों के कैसेट संगीत बाजार में सहजता से उपलब्ध होने लगे। और धीरे—धीरे वे उत्तर भारत में पहचानी जाने लगी। शारदा सिन्हा को 1991 में पद्मश्री अवॉर्ड से नवाज़ा गया था। इसके बाद वर्ष 2000 में उन्हें संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। फिर 2006 में वो राष्ट्रीय अहिल्या देवी अवॉर्ड से सम्मानित हुईं। और 2015 में उन्हें बिहार पुरस्कार व 2018 में भारत सरकार द्वारा पद्मभूषण पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। उन्हें बिहार कोकिला के नाम से जाना जाता था। वे सुपौल में जन्मी थी। शारदा सिन्हा अपने गृह राज्य तथा पूर्वी उत्तर प्रदेश के कुछ हिस्सों में छठ पूजा और विवाह जैसे अवसरों पर गाये जाने वाले लोकगीतों के कारण खास प्रसिद्ध थीं। उनके गीतों में अपनापन झलकता था। खासतौर पर उनके द्वारा गाए हुए छठ मैया के गीत रुला देते थे। जिसमें एक मां और उसकी पुकार में अपने पुत्र के प्रति प्रेम का दर्द साफ तौर पर दिखाई देता है। इतना ही नहीं उन्हें ‘मिथिला की बेगम अख्तर’ के नाम से भी पुकारा जाता था। वे न सिर्फ छठ पूजा बल्कि इसके बाहर भी कई उत्सवों की जान हुआ करती थीं। उनकी आवाज़ दिल को छूती थी और छठ का आह्वान करती थी। हालांकि बॉलीवुड में भी शारदा सिन्हा ने हिन्दी गानें गाए हैं। नब्बे दशक की सुपरहिट ”फिल्म मैंने प्यार किया” का ”कहे तौह से सजना…।” गाना भी ख़ूब पसंद किया गया था। जिसे शारदा सिन्हा ने ही गाया था। इस गाने ने उनकी पहचान को और विस्तार दिया था। सबसे खास बात ये है कि वे हमेशा छठ पर्व के दौरान एक गाना रिलीज़ करती थीं और इस साल भी उन्होंने अपनी खराब सेहत के बावजूद गाना निकाला था। इतना ही नहीं अपने पूरे करियर में उन्होंने टी-सीरीज, एचएमवी और टिप्स द्वारा जारी एल्बम में छठ पर्व को लेकर लगभग 62 गीत गाए। अपने इलाज के दौरान सोशल मीडिया पर उनका एक वीडियो भी सामने आया था। जिसमें वे ख़ुद कह रही थी कि ”अफ़वाहों पर न जाएं। मैं रिकवर हो रही हूं।” काश! कि ये बात सच होती। एक बार कहीं पर उन्होंने कहा था, “इन गीतों के माध्यम से मैंने अपनी समृद्ध संस्कृति और परंपरा को बचाने की पूरी कोशिश की है।” और आज वाकई लगता है कि उनके गाए हुए लोकगीत सदैव हमें हमारी भारतीय संस्कृति और परंपरा से जोड़े रखेंगे। आने वाली पीढ़ी के लिए उनके गाए गीत एक सौगात के रुप में होंगे। जिसे संजोकर रखना हम सभी की ज़िम्मेदारी होगी। महान व्यक्तित्व शारदा सिन्हा को शत्—शत् नमन। bihar kokilachhath parv geetchhath pujafolk singer sharda sinhasharda sinhasharda sinha chhath geetsharda sinha passes away 0 comment 0 FacebookTwitterPinterestEmail teenasharma previous post छत्तीसगढ़ का भांचा राम Related Posts छत्तीसगढ़ का भांचा राम August 29, 2024 बंजर ही रहा दिल August 24, 2024 जन्माष्टमी पर बन रहे द्वापर जैसे चार संयोग August 24, 2024 देश की आज़ादी में संतों की भूमिका August 15, 2024 विनेश फोगाट ओलंपिक में अयोग्य घोषित August 7, 2024 बांडी नदी को ओढ़ाई साड़ी August 3, 2024 मनु भाकर ने जीता कांस्य पदक July 28, 2024 रामचरित मानस यूनेस्को ‘मेमोरी ऑफ द वर्ल्ड’ सूची... May 15, 2024 नीमूचाणा किसान आंदोलन May 14, 2024 जगन्नाथ मंदिर में ‘चंदन यात्रा’ उत्सव May 12, 2024 Leave a Comment Cancel Reply Save my name, email, and website in this browser for the next time I comment.