कहानियाँ मीरा का ‘अधूरा’ प्रेम…पार्ट-2 by Teena Sharma Madhvi December 18, 2020 written by Teena Sharma Madhvi December 18, 2020 देव बिना रुके बोलता रहा। उसकी बातें सुनने के बाद मैंने उससे पूछा कि , तो क्या देव वो पत्र मीरा ने नहीं पढ़ा था? हैं ईश्वर…! उस रात मुझसे कितनी बड़ी भूल हो गई। मैंने मीरा की बातों पर क्यूं भरोसा नहीं किया…? ओह! मीरा मुझे माफ कर दो। ‘वह चिल्लाती रही, प्रेम मेरा विश्वास करो…मैं इस पत्र के बारे में कुछ नहीं जानती…। काश! उस दिन उस वक़्त मीरा की बातों पर भरोसा किया होता…। देव की बातें सुनने के बाद मैंने उसे बताया कि उस रात तुम्हारें जानें के बाद मैं, मीरा के घर पहुंचा था। मीरा ने बताया था कि तुम उससे मिलकर कुछ ही देर पहले निकलें हो। मैंने उससे कहा कि ठीक हैं तुम एक ग्लास पानी ले आओ। वह पानी लेने गई। मैंने इधर-उधर देखा और फिर मेज़ पर रखी क़िताब को उठाया। मैंने ऐसे ही उसके पन्ने पलटना शुरु किए। तभी उसके अंदर से एक कागज़ गिरा। ये तुम्हारा पत्र था। इसकी पहली पंक्ति में लिखा था कि प्लीज पढ़ने के बाद नाराज़ नहीं होना…। ये पढ़कर मैं खु़द को रोक नहीं पाया और पत्र को पढ़ने लगा। पत्र की शुरुआत ‘डियर मीरा’ से हुई। यह पढ़ते ही मेरी छाती फट गई। मानों किसी ने गहरा वार किया हो…। पत्र को पूरा पढ़ता उससे पहले ही मीरा पानी लेकर आ गई। मैंने उसे गुस्से भरी निगाहों से देखा और पानी पिएं बगैर उस पत्र को पढ़ता रहा…। मीरा मुझे बीच-बीच में टोकती रही। लेकिन मैंने उसकी एक ना सुनी। मीरा कहती रही…ये किसका पत्र हैं….और तुम इसे यूं गुस्से से क्यूं पढ़ रहे हो….? मैंने पत्र को पूरा पढ़ने के बाद गुस्से से उसके हाथ में थमाया और उसके गाल पर जोरदार तमाचा मारा…। वह बुरी तरह से घबरा गई …..लेकिन मुझे लगा कि वो नाटक कर रही हैं। मैंने उसे कहा कि मीरा तुम इतना गिर सकती हो, ये कभी नहीं सोचा था मैंने। तुमने मेरे साथ ऐसा क्यों किया…? क्यों मेरे दिल के साथ इतना बड़ा विश्वासघात किया…? तुम तो मेरा गर्व थी…। लेकिन आज तुमने मेरा वो गर्व टुकडे़-टुकड़े कर दिया। अब एक पल के लिए भी मैं तुम्हें बर्दाश्त नहीं कर सकता…। मैं हमेशा के लिए तुम्हें छोड़कर तुमसे दूर जा रहा हूं। वह एकदम मौन हुए खड़ी थी लेकिन उसकी आंखों से आंसू गिर रहे थे। जब मैं वहां से जाने लगा तब उसने कहा कि रुक जाओ प्रेम…तुम्हें ग़लत फ़हमी हुई हैं। मैं बेकसूर हूं…मुझे छोड़कर मत जाओ….मेरी बात तो सुनो….। लेकिन मैंने उसकी एक ना सुनी और ना ही उसे पीछे पलटकर देखा। मैं उस रात इस क़दर टूट चुका था कि किसी भी बात को सुनने और समझने की शक्ति मुझमें बाकी नहीं रह गई थी। उसके बाद मैं यह शहर छोड़कर अपने गांव लौट गया। काश! उस दिन उसका भी पक्ष सुनता। देव क्या तुम बता सकते हो कि, अभी मीरा कहां है? और किस हाल में हैं…? देव ने मेरे कांधे पर हाथ रखते हुए कहा कि, प्रेम उससे ना ही मिलो तो अच्छा हैं। उसे भूल जाओ…। आज वह तुम्हारी बातें नहीं सुनेंगी…। लेकिन मैंने देव से ज़िद की। मैं उसे एक बार मिलना चाहता हूं…उसे देखना चाहता हूं….और उससे अपनी ग़लती की माफी मांगकर प्रायश्चित करना चाहता हूं….। ठीक हैं तुम नहीं मानते हो तो चलो…। देव यह कहते हुए आगे चल दिया। मैं और उसकी पत्नी नैना भी उसके पीछे हो लिए। गाड़ी में बैठने से पहले देव ने एक बार फिर पूछा सोच लो प्रेम….। इस वक़्त मीरा से मिलने में तुम्हें कुछ हासिल नहीं होगा। लेकिन देव को कैसे बताऊं कि आज मेरा दिल अपने आपे से बाहर हैं। हो भी क्यूं ना….। बरसो पहले की ग़लतफहमी से पर्दा जो उठ गया था। बस अब तो एक नज़र भर के अपनी मीरा को देख लेना चाहता हूं। मैंने देव से कहा कि वो मुझसे ज़्यादा देर तक नाराज़ नहीं रहेगी। देखना मुझे देखते ही कैसे उसके चेहरे का रंग खिल उठेगा…। उसके होंठों पर वहीं पुरानी मुस्कान होगी जो मुझे देखकर हुआ करती थी। मैं उसके ख़्यालों में खो गया। मेरे कानों में उसके आखि़री शब्दों की गूंज थी। मुझे छोड़कर मत जाओ प्रेम….। मैं बेकसूर हूं….। ओह! मीरा…..। बस उससे मिलने के लिए मेरी रुह तड़प रही थी। ऐसा लग रहा था जैसे मैं जितना उसके पास जा रहा हूं वो मुझसे और दूर-और दूर होती चली जा रही हैं। पांच साल उसे बेवफा मानकर बीत गए लेकिन ये पल नहीं गुज़र रहा। ऐसा लग रहा हैं जैसे सदियों से सफ़र कर रहा हूं। मीरा से मिलने की आस में डूबा हुआ था तभी देव ने एक अस्पताल के बाहर गाड़ी रोकी। मुझे कुछ समझ नहीं आया। मैंने देव और नैना से पूछा कि क्या मीरा यहां पर हैं। लेकिन दोनों ने मेरी बात का जवाब नहीं दिया। देव ने रिसेप्शन पर पहुंचकर एक कागज़ पर सिग्नेचर किए और फिर उसे जमा करा दिया। रिसेप्शन वाली मैडम ने बैल बजाई और तभी एक महिला कर्मचारी आई। मैडम ने उससे कहा कि कमरा नंबर 27 में इन्हें ले जाओ। अभी तक ठीक से मेरे कुछ समझ नहीं आ रहा था। आखिर हम कहां जा रहे हैं….? जैसे-जैसे मेरे कदम आगे बढ़ रहे थे मेरी धड़कनें भी तेज हो रही थी। चारों तरफ चीखने-चिल्लाने, रोने-हंसने का शोर था। तरह-तरह की अजीब सी आवाजें आ रही थी। मन ये मानने को तैयार न था कि ये पागल खाना हैं। तभी महिला कर्मचारी ने कमरा नंबर 27 का दरवाजा़ खोला। पहले वह भीतर गई और करीब पांच-सात मिनट बाद वह बाहर आई। उसने हम तीनों को अंदर आने को कहां। लेकिन मेरे कदम एकदम थम से गए थे। देव ने मेरा हाथ पकड़ा और अंदर की ओर लेकर गया। कभी लक्की नंबर रहा 27 आज मीरा की पहचान होगा ये कभी नहीं सोचा था। लोहे की जाली से बनी दीवार….जिसके पीछे एक महिला अपनी पीठ करके बैठी हैं। देव ने कहा कि….लो मिल लो अपनी मीरा से….। देव के इतना कहते ही मैं सन्न रह गया….। मानों पैरों तले से ज़मीं खिंसक गई हो। इस दृश्य पर यकीन करना मेरे लिए आसान न था लेकिन ये सच था। मैं चिल्ला उठा….। मेरा दिल नहीं मानता कि ये मीरा हैं। लेकिन मेरी बदनसीबी ही थी कि ये मीरा थी। मैं जोरों से चिल्लानें लगा। मीरा एक बार पलटकर देखो…मैं तुम्हारा प्रेम ..। मेरी आवाज़ जैसे ही उसके कानों में पड़ी वह उठी और पलटकर देखा। लेकिन चेहरे पर उसके कोई भाव न थे। उसे सूती साड़ी में देखकर दिल बुरी तरह से रो पड़ा। वह हंसता-खिलता चेहरा कहां खो गया…..? वह आंखों की चमक कहां खो गई…..? वह गालों की लाली कहां खो गई….? वो घने काले बाल अब उसके चेहरे पर क्यूं नहीं हैं….? वह चंचल मुस्कान, चुलबुली शरारतें कहां चली गई…? आज इस चेहरे पर झुर्रियां हैं…। बालों में रुखापन हैं। आंखों के नीचे घने काले धब्बे हैं…जैसे बरसों से बीमार हो। उसे इस हालत में देखकर मैंने उस दिन के लिए उससे माफी मांगी। मैं तुम्हारा गुनहगार हूं मीरा। काश उस दिन मैंने तुम्हारा पक्ष भी सुना होता। मीरा एक बार कह दो कि तुमने मुझे माफ कर दिया। लेकिन वह चुप रही। एकदम निर्जीव बनकर खड़ी रही। मानों मैं उसके लिए एक अनजान चेहरा हूं। मीरा की आंखों में अपने प्रेम का इंतजार था और उससे बिछुड़ने का कभी न मिटने वाला दर्द। शायद आज उसे मेरे प्यार की ज़रुरत नहीं थीं । आज मैं, ….. मीरा के सामने खड़ा हूं लेकिन वह मुझे पहचान नहीं पा रही। मैं कितना ही चीखूं-चिल्लाउं लेकिन मेरे लिए आज उसकी कोई प्रतिक्रिया नहीं थी। और फिर उसने मेरी ओर से मुंह फेर लिया और सहमें हुए कदमों से वह चल दी। उसको जाता देख मेरी धड़कन मानों रुक सी गई। एक पल के लिए लगा जैसे सब कुछ थम सा गया हो…। मैं चिल्लाता रहा ‘मीरा‘ रुक जाओ….। मुझे छोड़कर मत जाओ….। मेरी बात सुनो….यूं मुझसे मुंह न फेरो….मीरा मुझे माफ कर दो….। मुझसे ऐसी बेरुखी न दिखाओ। मैं ज़मीन पर सिर पटक-पटक कर रोता रहा…..चिल्लाता रहा मीरा लौट आओ, लौट आओ….लेकिन उसने पलटकर नहीं देखा। देव ने मुझे उठाया और कहा कि खु़द को संभालों प्रेम…और वह मुझे मीरा के कमरे से बाहर ले आया। देव ने मुझसे कहा कि वाकई उसने सबकुछ सहा हैं, शायद इतना कि उसकी कल्पना की सीमाओं से परे तक। एक होनहार व्यक्तित्व का यूं टुकड़े-टुकड़े हो जाना….हम सब दोषी हैं। देव सच ही कह रहा था। कैसे खु़द को माफ करुंगा मैं….। उसकी इस हालत का असल जिम्मेदार तो मैं ही हूं….। मैंने तो उसे उस वक़्त छोड़ा था, जब मैं उसके बारे में सबकुछ जानता था। मुझसे दूर की कल्पना तो उसने कभी की ही नहीं थी। फिर भला…वह अपना मानसिक संतुलन खो देती हैं तो इसकी वजह सिर्फ मैं हूं…सिर्फ मैं….। ‘ आज भी उसका मासूम चेहरा मेरी आंखोें में बसा हैं, जो मुझे बार-बार यह अहसास दिलाता हैं कि, मीरा के प्यार के काबिल मैं कभी था ही नहीं….। जो दोष उसका था ही नहीं उसकी सजा उसे मिली हैं….। उसकी मासूम चीख अब भी मेरे कानों में गूंजती हैं। मुझे छोड़कर मत जाओ….मैं बेकसूर हूं…..। ‘मैं’ ….अपने मन को दिलासा देता हूं…. हां, ‘मीरा’ मैं ग़लत था….काश मैंने तुम्हें भी सुना होता….। ‘काश’……….। मीरा का ‘अधूरा’ प्रेम….पार्ट-1 पढ़ने के लिए इस लिंक पर क्लिक करें। मीरा का ‘अधूरा’ प्रेम 3 comments 0 FacebookTwitterPinterestEmail Teena Sharma Madhvi previous post मीरा का ‘अधूरा’ प्रेम… next post अन्नदाता की हांफती सांसों की कीमत क्या…? Related Posts छत्तीसगढ़ का भांचा राम August 29, 2024 विनेश फोगाट ओलंपिक में अयोग्य घोषित August 7, 2024 वैदेही माध्यमिक विद्यालय May 10, 2024 राम मंदिर प्राण-प्रतिष्ठा January 29, 2024 राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा January 22, 2024 राम मंदिर प्राण-प्रतिष्ठा January 21, 2024 समर्पण October 28, 2023 विंड चाइम्स September 18, 2023 रक्षाबंधन: दिल के रिश्ते ही हैं सच्चे रिश्ते August 30, 2023 गाथा: श्री घुश्मेश्वर महादेव August 13, 2023 3 comments Unknown December 19, 2020 - 11:49 am बहुत मर्मस्पर्शी कहानी है। Reply Teena Sharma 'Madhvi' December 19, 2020 - 12:15 pm धन्यवाद Reply Unknown July 2, 2021 - 12:14 pm Heart Touching Reply Leave a Comment Cancel Reply Save my name, email, and website in this browser for the next time I comment.