बंजर ही रहा दिल

कविता-सुमनजीत कौर

by teenasharma
बंजर ही रहा दिल

बंजर ही रहा दिल

कहानी का कोना में आज पढ़िए लेखक सुमनजीत कौर की लिखी हुई  कविता बंजर ही रहा दिल…। सुमनजीत कौर का एकल काव्य संग्रह “सादगी” राजस्थान साहित्य अकादमी से अनुमोदित हैं, साथ ही इन्हें कई साहित्यिक सम्मान भी प्राप्त हैं।

बंजर ही रहा दिल
हर जमीन की खुदाई में
न ही निगाहों के बीज थे
ना ही सपने के शजर थे

तन्हां गुजर गया सफर
हर राह से खास यारी के बाद भी
ना ही कदमों में बेकरारी थी
ना ही मंजिल की जुस्तजू थी

बंजर ही रहा दिल

सुमनजीत कौर

बेमतलब ही ज़िंदगी के
कॉलम खाली रह गए
ना ही इम्तहान में सवाल थे
ना ही नतीजों में जवाब थे

फिजूल ही खर्च होती गई
चिल्लर यादों की
न वो इश्क ही मूल था
ना वो वक्त ही ब्याज था

सुमनजीत कौर

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समर्पण

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टीना शर्मा ‘माधवी’

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