महिला अधिकार व सुरक्षा

एडवोकेट पूनम जंजानी

by teenasharma
महिला अधिकार व सुरक्षा

आज ‘डिजिटल युग’ हैं, जहां एक ‘क्लिक’ पर सारे काम आसान हो रहे हैं। इस स्थिति में अब महिलाओं को भी कुछ अहम बातों की जानकारी एक क्लिक पर हो, वे भी ‘अपनी सुरक्षा और अपने अधिकारों’ के प्रति सजग और सतर्क हो। इसी मकसद से ‘कहानी का कोना’ में कुछ महत्वपूर्ण कानूनों व अधिकारों की जानकारी एडवोकेट पूनम जंजानी (कुंगवानी) द्वारा लिखित महिला अधिकार व सुरक्षा लेख के माध्यम से दी जा रही हैं। वर्तमान में ‘पूनम जंजानी’ जयपुर, राजस्थान के ‘सेशन व फैमिली कोर्ट’ में एडवोकेट हैं। जिनका मानना है कि महिलाओं को भी इस ‘नए ज़मानें’ के साथ—साथ अपडेट होने की ज़रुरत हैं।
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महिला अधिकार व सुरक्षा

आज के समय में महिलाएं हर क्षेत्र में अपना योगदान दे रही हैं। घर हो या बाहर महिलाएं बखूबी अपना काम करती हैं, लेकिन कुछ वजह से उन्हें कई सारी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। जैसे घरेलू हिंसा, लिंग भेद व महिला उत्पीड़न आदि। विडंबना है कि अधिकतर महिलाओं को इस संबंध में पूरी और ठोस जानकारी ही नहीं हैं।

महिला अधिकार व सुरक्षा

एडवोकेट पूनम जंजानी

यदि महिलाओं को अपने कानूनी अधिकारों के बारे में जानकारी होगी, तो वे किसी भी प्रताड़ना को सहने से पहले उसके ख़िलाफ़ आवाज़ उठा सकती हैं। इसी दिशा में पहला अधिकार हैं,

 घरेलू हिंसा के खिलाफ

इसके अनुसार यदि आप किसी की पत्नी है, और आपका पति और आपके ससुराल वाले यदि आप पर घरेलू हिंसा करते हैं, तो आपके पास उनके ख़िलाफ़ शिकायत दर्ज करने का अधिकार है। किसी भी घर में रहने वाली महिला जिसे घरेलू हिंसा झेलनी पड़ रही है उसे कानूनी रूप से अधिकार मिलता है कि वह इसके ख़िलाफ़ आवाज़ उठाएं। केस फाइल करें। ऐसा करने से जो व्यक्ति घरेलू हिंसा कर रहा है उसे 3 साल का कारावास एवं भारी जुर्माने से दंडित किया जाएगा।

दूसरा,
महिलाओं को नहीं कर सकते इस समय गिरफ्तार

‘भारतीय नागरिक प्रक्रिया संहिता’ के अनुसार किसी भी महिला आरोपी को सूर्यास्त यानी शाम 6:00 बजे के पश्चात एवं सूर्य उदय यानी सुबह 6:00 बजे से पूर्व गिरफ्तार किया जाता है तो वह कानून के खिलाफ है।
धारा 160 के अनुसार यदि किसी महिला से पूछताछ भी करनी है तो ‘महिला कॉन्स्टेबल’ की उपस्थिति होना अनिवार्य है।

तीसरा,
कार्यस्थल पर उत्पीड़न

अगर किसी महिला का उसके ऑफिस में या उसके कार्य स्थल पर शारीरिक उत्पीड़न या यौन उत्पीड़न किया जाता है, तो वह महिला उत्पीड़न करने वाले आरोपी के ख़िलाफ़ शिकायत दर्ज कर सकती है।

चौथा,
दहेज लेने पर

यदि विवाह के समय या उसके पश्चात लड़के वाले या लड़का स्वयं दहेज की मांग करता है, तो लड़की के परिवार वालों को दहेज देने की ज़रुरत नहीं है। वे इसके ख़िलाफ़ ‘दहेज प्रतिषेध अधिनियम’ के तहत शिकायत दर्ज कर सकती हैं। इससे दहेज की मांग करने वालों के ख़िलाफ़ भारी जुर्माना एवं सजा भी हो सकती है।

पांचवा,
महिला की पहचान की रक्षा

ऐसी महिलाएं जिनके साथ यौन उत्पीड़न हुआ है उनकी पहचान की रक्षा के लिए अधिकार भारतीय दंड संहिता में धारा 228( ए )का प्रावधान है। इसके तहत महिला अकेले ‘डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट’ के सामने अपने बयान दर्ज करा सकती हैं।

छठा, 
‘मातृत्व संबंधी’ लाभ के अधिकार

मातृत्व लाभ कामकाजी महिलाओं के लिए सुविधा ही नहीं बल्कि अधिकार भी है। अधिनियम के तहत प्रसव के पश्चात 6 महीने तक कामकाजी महिलाओं के वेतन में कोई कटौती नहीं की जाती है।

महिला अधिकार व सुरक्षा

एडवोकेट पूनम जंजानी

सातवां ,
कन्या भ्रूण हत्या के ख़िलाफ़ अधिकार

प्रसव से पूर्व लिंग पहचान करने की तकनीक ‘लिंग चयन पर रोक अधिनियम’ (PCPNDT), कन्या भ्रूण हत्या के खिलाफ अधिकार देता है।

आठवां,
मुफ्त कानूनी मदद के लिए अधिकार

बलात्कार की शिकार हुई किसी भी महिला को कानूनी मदद मुफ्त पाने का पूर्ण अधिकार है। एसएचओ के लिए जरूरी है कि वह विधिक सेवा प्राधिकरण को वकील की व्यवस्था के लिए सूचित करें।

नवां,
गरिमा और शालीनता के लिए अधिकार

किसी मामले में अगर आरोपी एक महिला है तो उस पर की जाने वाली कोई भी चिकित्सीय जांच प्रक्रिया किसी महिला द्वारा या किसी दूसरी महिला की उपस्थिति में ही की जानी चाहिए।

दसवां,
संपत्ति पर अधिकार

‘हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम’ के तहत नए नियमों के आधार पर पुश्तैनी संपत्ति पर महिला और पुरुष दोनों का बराबर का हक है।

ग्यारहवां,
महिला का पीछा नहीं कर सकते

आईपीसी की धारा 354 d के तहत ऐसे किसी भी व्यक्ति के ख़िलाफ़ कानूनी कार्यवाही होगी, जो किसी महिला का पीछा करे, बार-बार मना करने के बावजूद भी उससे संपर्क करे या इलेक्ट्रॉनिक कम्यूनिकेशन के जरिए मॉनिटर करने की कोशिश करे।

बारहवां,
जीरो f.i.r. का अधिकार

महिला को अधिकार है कि, वह किसी भी थाने में या कहीं से भी एफआईआर दर्ज करा सकती है। जीरो एफआईआर के बाद उसे संबंधित थाने में भेज दिया जाएगा जहां घटना घटित हुई है।

तेरहवां,
अशोभनीय भाषा का प्रयोग नहीं

किसी महिला को उसके रूप या शरीर के किसी अंग को किसी भी तरह से अशोभनीय अपमानजनक या सार्वजनिक नैतिकता को भ्रष्ट करने वाले रूप में प्रदर्शित नहीं कर सकते। ऐसा करना दंडनीय अपराध है।

चौदहवां,
वर्चुअल शिकायत दर्ज करने का अधिकार

कोई भी महिला वर्चुअल तरीके से अपनी शिकायत दर्ज कर सकती है। इसमें वह ईमेल का सहारा ले सकती है या रजिस्टर पोस्टल के जरिए पुलिस थाने में अपनी शिकायत भेज सकती है। तब एसएचओ महिला कॉन्स्टेबल को पीड़ित महिला के घर भेज कर उसके बयान दर्ज कराएगा।

एडवोकेट पूनम जंजानी (कुंगवानी)
सेशन कोर्ट व फैमिली कोर्ट
जयपुर, राजस्थान

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(फाउंडर) कहानी का कोना(kahanikakona.com ) 

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