कहानियाँ एक-एक ख़त…बस लेखिका- शिवानी जयपुर by teenasharma February 20, 2023 written by teenasharma February 20, 2023 एक-एक ख़त…बस दोनों ने एक-दूसरे के हाथ में चिठ्ठी देखी। उलाहने भरी नज़रों और डबडबाई आँखों से एक-दूसरे को देखा, “पागल हो ना सच्ची…” भरे गले और नम आँखों से दोनों इतना ही कह पाए और गले लग गये। पढ़िए लेखिका शिवानी जयपुर की लिखी कहानी एक-एक ख़त…बस…। सुनो मीत, समय तो लगेगा पर सम्हल जाऊँगी मैं! तुम भी अपना ख्याल रखना। कोशिश करूँगी कि मेरे साथ बिताए खूबसूरत पलों की तुम्हें याद न आए। सबको गहरे दफ़ना रही हूँ और एक बबूल बो रही हूँ उस क़ब्र पर ताकि चाहकर भी कभी उसके नीचे कोई ठहर न पाए…. हम भी नहीं!! मैंने तो तुम्हें किसी क़ुबूल हुई दुआ की तरह ही समझा था। कहाँ पता था कि दुआएँ भी कभी-कभी ग़लत पते पर क़ुबूल हो जाती हैं या फिर क़ुबूल हुई दुआएँ भी वापस लौटा ली जाती हैं! अच्छा देखो, किसी को पता न चले राज कि अब तुम मेरी ज़िन्दगी से जा चुके हो वरना दुआओं पर से भरोसा उठ जाएगा लोगों का। इतनी ज़िम्मेदारी तो उठा लोगे ना तुम! प्रीती, क्या कहूँ तुम्हारी? या जो कभी तुम्हारी होती थी… शिवानी जयपुर खुशबू से तर-बतर गुलाबी कागज़ पर लिखा ये ख़त प्रीती ने मीतेश की तह की हुई उस शर्ट की जेब में रखा जिसे वो आज पहनने वाला था। फिर कुछ पल धीरे-धीरे ऐसे सहलाया जैसे सोते हुए बच्चे को प्यार से सहलाते हैं। तभी मीतेश नहाकर बाथरूम से बाहर आ गया “अरे तुम लेट नहीं हो गईं ऑफिस के लिए?” “बस निकल ही रही हूँ!” और प्रीती अपना पर्स उठाकर फ्लैट से बाहर निकल गई। स्कूटर की चाबी के लिए पर्स में हाथ डाला तो एक लिफाफा हाथ में आया। निकाल कर देखा तो सकते में आ गई! बिल्कुल वही खुशबू जो पिछले दो साल से उसके आसपास बसी हुई है… मीतेश की खुशबू! सीढ़ियों पर बैठ कर जल्दी से उसमें रखी चिठ्ठी पढ़ने लगी। प्रिय पीहू पिछले दो साल के साथ में तुम पर इतना भरोसा तो हो गया है कि किसी की कही बात पर तुम आँख-कान बंद करके विश्वास नहीं कर लोगी। और फिर मेरे अतीत में ऐसा कुछ नहीं जो तुम नहीं जानती! फिर भी मज़ाक में कही आशीष की बात का न जाने तुम पर क्या असर हुआ है कि तुम कल रात से बात नहीं कर रही हो! मैं बस इतना कहना चाहता हूँ कि अपने आप को दुखी मत करो। किसी भी हालत में तुम मुझसे दूर रहकर खुश नहीं रह सकती हो और ना मैं रह सकता हूँ। फिर भी जो तुम चाहोगी वही होगा, मेरे साथ या मुझसे दूर, हर हाल में तुम्हारी खुशी महत्वपूर्ण है मेरे लिए। शिवानी जयपुर तुम्हारा और सिर्फ तुम्हारा मीत पसीने-पसीने हो कर उसने दौड़ कर डोर बैल की तरफ हाथ बढ़ाया ही था कि अचानक ही दरवाज़ा खोलकर हतप्रभ-सा केशव बाहर निकल आया। दोनों ने एक-दूसरे के हाथ में चिठ्ठी देखी। उलाहने भरी नज़रों और डबडबाई आँखों से एक-दूसरे को देखा, “पागल हो ना सच्ची…” भरे गले और नम आँखों से दोनों इतना ही कह पाए और गले लग गये। लेखक परिचय— एक लेखक के तौर पर ‘शिवानी जयपुर’ के दो काव्य संग्रह ‘कुछ ख़्वाब कुछ हकीक़त’ और ‘कुछ मत पूछो हम सच कह बैठेंगी’ प्रकाशित हुए हैं….वे वर्ष 1990 से आकाशवाणी में रेडियो जॉकी है…साथ ही कई पत्र—पत्रिकाओं में उनकी कविताएं, कहानियां, लघुकथाएं और समसामयिक विषयों पर लेख समय—समय पर प्रकाशित होते रहे हैं…। इनकी पुस्तक ‘कबीर जग में जस रहे’ (कहानी संग्रह) के रुप में प्रकाशित हुई हैं…। कुछ अन्य कहानियां पढ़ने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें— लघुकथा—सौंदर्य सन्दूक गुटकी कहानी स्नेह का आंगन स्ट्रीट आर्टिस्ट हूं भिखारी नहीं फेसबुक दोस्त love storyएक-एक ख़त...बसचिट्ठीप्रेम पत्रशिवानी जयपुर 2 comments 1 FacebookTwitterPinterestEmail teenasharma previous post प्रतीक्षा में पहला पत्र next post बकाया आठ सौ रुपए Related Posts छत्तीसगढ़ का भांचा राम August 29, 2024 विनेश फोगाट ओलंपिक में अयोग्य घोषित August 7, 2024 वैदेही माध्यमिक विद्यालय May 10, 2024 राम मंदिर प्राण-प्रतिष्ठा January 29, 2024 राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा January 22, 2024 राम मंदिर प्राण-प्रतिष्ठा January 21, 2024 समर्पण October 28, 2023 विंड चाइम्स September 18, 2023 रक्षाबंधन: दिल के रिश्ते ही हैं सच्चे रिश्ते August 30, 2023 गाथा: श्री घुश्मेश्वर महादेव August 13, 2023 2 comments shivani February 20, 2023 - 2:08 pm बहुत धन्यवाद टीना Reply बकाया आठ सौ रुपए - Kahani ka kona March 1, 2023 - 5:08 am […] बकाया आठ सौ रुपए एक-एक ख़त…बस प्रतीक्षा में पहला पत्र […] Reply Leave a Comment Cancel Reply Save my name, email, and website in this browser for the next time I comment.